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This Article is From Jun 25, 2015

अरुण जेटली ने कहा, इंदिरा की कुर्सी और वंशवादी सोच का परिणाम था आपातकाल

अरुण जेटली ने कहा, इंदिरा की कुर्सी और वंशवादी सोच का परिणाम था आपातकाल
अरुण जेटली की फाइल फोटो
नई दिल्ली: तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा 1975 में लगाए गए आपातकाल के दौरान 19 माह जेल में काटने वाले वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवरा को कहा कि किसी के लिए भी यह संभव नहीं है कि लोकतांत्रिक भारत को 'तानाशाही' में तब्दील कर दे।

आपातकाल के अंधकारमय दिनों की याद करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा कि 40 साल पहले मीडिया कमजोर था, पुलिस एवं नौकरशाही हुक्म बजा रहे थे तथा उच्चतम न्यायालय के लिए भी आपातकाल बेहद अंधकारमय घड़ी थी।

उन्होंने कहा, 'क्या अब इस स्थिति का दोहराव हो सकता है। मुझे संदेह है।' जेटली ने कहा, 'आज मीडिया एवं राजनीतिक तंत्र मजबूत है और साथ ही वैश्विक संस्थान भी। विश्व इस बात को स्वीकार नहीं करेगा कि दुनिया का विशालतम लोकतंत्र तानाशाह बन जाये।'

लोकतंत्र तानाशाही हुआ था तब्दील
उन्होंने कहा कि आपातकाल ऐसा समय था जिसने यह दर्शाया कि संविधान के कुछ प्रावधानों का इस्तेमाल कर लोकतंत्र को तानाशाही में तब्दील किया जा सकता है और नौकरशाही, पुलिस, मीडिया एवं न्यायपालिका जैसी प्रमुख संस्थाएं धराशायी हो सकती हैं।

उन्होंने कहा 'मुझे लगता है कि आज वैश्विक चेतना लोकतंत्र के पक्ष में है और तानाशाही पर जिस तरह के प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं, वही इसका प्रतिरोधक हो सकता है।' भाजपा के बुजुर्ग नेता लालकृष्ण आडवाणी के हाल के उस बयान पर बड़ा विवाद छिड़ गया था जिसमें उन्होंने कहा था, 'लोकतंत्र को कुचलने वाली ताकतें अभी अपेक्षाकृत अधिक मजबूत हैं और आपातकाल जैसी परिस्थिति फिर पैदा हो सकती है। कांग्रेस ने जेटली की इस बात को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाने के तौर पर देखा जबकि आम आदमी पार्टी ने इसे ‘मोदी की राजनीति पर पहला अभियोग’ बताया।’ अन्य विपक्षी दलों ने भी कहा कि आडवाणी की टिप्पणी को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।

मीडिया पर अब सेंसरशिप संभव नहीं
आडवाणी की टिप्पणी का हवाला दिए बगैर जेटली ने कहा कि प्रौद्योगिकी के कारण आज मीडिया सेंसरशिप संभव नहीं है। जेटली ने कहा 'समाचारों का प्रसार इंटरनेट के जरिए हो रहा है और इंटरनेट को सेंसर नहीं किया जा सकता।' उन्होंने कहा कि राजनीतिक व्यवस्था आपातकाल में भी मजबूत थी लेकिन 'मीडिया ने मोटे तौर पर घुटने टेक दिए थे।' आपातकाल से जुड़े अपने अनुभवों को याद करते हुए जेटली ने कहा 'उन्हें उम्मीद है कि आज न्यायपालिका कहीं अधिक स्वतंत्र है और यह तानाशाही प्रवृत्तियों के आगे नहीं झुकती, जैसे आपातकाल में झुक गई थी।' आपातकाल के समय जेटली छात्र नेता थे और उन्हें 19 माह की जेल हुई थी।

उन्होंने कहा 'दरअसल अब बिना किसी आधार के लिए किसी की गिरफ्तारी संभव नहीं है, मीडिया सेंसरशिप अब संभव नहीं है और उम्मीद है कि न्यायपालिका कहीं अधिक स्वतंत्र है इसलिए अब किसी के लिए भी इन तीनों स्तंभों के बगैर लोकतंत्र को तानाशाही में तब्दील करना संभव नहीं है।'

कल से ठीक 40 वर्ष पहले 25 जून 1975 को आपातकाल की घोषणा की गई थी।

जेटली ने कहा कि देश में वंशवाद और वंशवादी राजनीतिक दलों की परिपाटी आपातकाल के साथ ही शुरू हुई। उन्होंने कहा कि आपातकाल के 40 वर्ष बीत चुके हैं और वह 'स्वतंत्र भारत का सबसे अंधकारपूर्ण समय था।'

दो वजहों से लगा था आपातकाल
वित्त मंत्री ने कहा कि आपातकाल दो वजहों से लगाया गया था। पहली वजह यह थी कि इंदिरा गांधी की प्रधानमंत्री की कुर्सी के लिए खतरा पैदा हो गया था क्योंकि उन्हें चुनाव में भ्रष्ट तरीके अपनाने का दोषी करार दिया गया था। दूसरे वह आपातकाल में भारत को वंशवादी शासन में तब्दील करने के लिए तानाशाही की शक्ति का उपयोग करना चाहती थीं।'

जेटली ने कहा कि आपातकाल ऐसा दौर था जब नागरिकों की स्वतंत्रता समाप्त कर दी गई थी, व्यक्तिगत स्वतंत्रता का कोई मोल नहीं था, लाखों लोग गिरफ्तार कर लिए गए थे, मीडिया पर सेंसरशिप लागू कर दी गई थी और न्यायिक स्वतंत्रता का पूरी तरह से गला घोंट दिया गया था।

19 महीनों तक रहा आपातकाल
उन्होंने कहा 'मैं उस वक्त छात्र नेता था। मैं आपातकाल के खिलाफ संघर्ष में पहली पांत में था। मैं उन पहले लोगों में शामिल था जिन्हें आपातकाल में गिरफ्तार किया गया था। और फिर 19 महीने बाद जब आपतकाल खत्म हुआ तो मुझे चुनाव प्रचार में भाग लेने का मौका मिला।' उस दौर में संस्थाओं की कमजोरी के बारे में जेटली ने कहा कि उस समय लोगों के खिलाफ बड़ी संख्या में फर्जी मामले दर्ज किए गए - उनकी संख्या हजारों-लाखों में थी।

एक पुलिसवाल, एक कलेक्टर नहीं हुआ खड़ा
उन्होंने कहा ‘‘एक भी पुलिस वाला खड़ा नहीं हुआ और यह नहीं कहा कि मैं फर्जी मामले दर्ज नहीं करूंगा। हजारों-लाखों लोगों के खिलाफ गिरफ्तारी के आदेश जारी हुए। एक भी कलेक्टकर तन कर नहीं कह पाया कि फर्जी गिरफ्तारी आदेश पर हस्ताक्षर नहीं करूंगा।’’


जेटली ने कहा ‘‘इंडियन एक्सप्रेस और स्टेट्समैन को छोड़कर सभी समाचारपत्र साष्टांग हो गए थे और तानाशाही का प्रशस्तिपाठ करने लगे थे।

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