नई दिल्ली:
चुनाव प्रचार के दौरान कानून मंत्री सलमान खुर्शीद के आचार संहिता के उल्लंघन का मामला राजनैतिक हलकों में तूल पकड़ता जा रहा है। चुनाव आयोग की राष्ट्रपति को लिखी शिकायती चिट्ठी के मुद्दे पर पूछे जाने पर सलमान खुर्शीद ने कुछ भी कहने से इनकार किया है। खुर्शीद ने कहा कि यह मामला फिलहाल देश की दो बड़ी संवैधानिक संस्थाओं राष्ट्रपति और चुनाव आयोग के पास है और उन्हें ही इस मामले में फैसला करना है।
गौरतलब है कि चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करने के मामले में सलमान खुर्शीद से नाराज होकर चुनाव आयोग ने जो चिट्ठी राष्ट्रपति को लिखी है, वह पीएमओ को उचित कार्रवाई के लिए भेज दी गई है। शनिवार को मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने राष्ट्रपति को एक चिट्ठी लिखी थी, जिसमें कहा गया है कि खुर्शीद लगातार चेतावनी देने के बाद भी इस तरह का बर्ताव कर रहे हैं, जिससे चुनाव आयोग हैरान है।
आयोग ने यह भी लिखा है कि हम इसलिए अधिक हैरान हैं कि ये बयान कानून मंत्री की तरफ से आ रहे हैं, जिनकी जिम्मेदारी आयोग को मजबूत करना है। वहीं इस मामले में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा है कि अगर नेता बोलने को स्वतंत्र नहीं हैं, तो पार्टियों के घोषणा पत्र पर भी रोक लगा देनी चाहिए, जबकि बीजेपी इस मसले पर खुर्शीद के इस्तीफे की मांग कर रही है।
बीजेपी प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश का कानून मंत्री ही चुनाव नियमों का माखौल उड़ा रहा है। उन्होंने कहा कि चेतावनी मिलने के बाद भी सलमान खुर्शीद जनता के बीच जाकर मुस्लिम आरक्षण की बात कर रहे हैं और आयोग को चुनौती भी दे रहे हैं। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि आखिर इस मुद्दे पर सोनिया गांधी क्यों नहीं कुछ बोल रही हैं।
चुनाव आयोग की चिट्ठी में क्या है…
कमीशन आपको काफी निराश होकर लिख रहा है…कमीशन चाहता है कि आप इस मसले में कृपया कर दखल दें। यूपी में चुनाव प्रचार के दौरान कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने कुछ बयान और घोषणाएं की हैं, जिसमें से एक है कि कांग्रेस अल्पसख्यंकों को 27 फीसदी कोटे में 9 फीसदी आरक्षण देगी। राजनीतिक दलों की शिकायत के बाद चुनाव आयोग ने यह पाया कि खुर्शीद ने आचार संहिता का उल्लघंन किया है। सलमान खुर्शीद ने अपनी बात पर कायम रहते हुए कहा है कि वह अपनी बात पर कायम रहेंगे, भले चुनाव आयोग उन्हें फांसी दे दे। चुनाव आयोग मानता है कि निर्देश को लेकर उनकी भाषा और सुर आपत्तिजनक हैं।
गौरतलब है कि चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करने के मामले में सलमान खुर्शीद से नाराज होकर चुनाव आयोग ने जो चिट्ठी राष्ट्रपति को लिखी है, वह पीएमओ को उचित कार्रवाई के लिए भेज दी गई है। शनिवार को मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने राष्ट्रपति को एक चिट्ठी लिखी थी, जिसमें कहा गया है कि खुर्शीद लगातार चेतावनी देने के बाद भी इस तरह का बर्ताव कर रहे हैं, जिससे चुनाव आयोग हैरान है।
आयोग ने यह भी लिखा है कि हम इसलिए अधिक हैरान हैं कि ये बयान कानून मंत्री की तरफ से आ रहे हैं, जिनकी जिम्मेदारी आयोग को मजबूत करना है। वहीं इस मामले में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा है कि अगर नेता बोलने को स्वतंत्र नहीं हैं, तो पार्टियों के घोषणा पत्र पर भी रोक लगा देनी चाहिए, जबकि बीजेपी इस मसले पर खुर्शीद के इस्तीफे की मांग कर रही है।
बीजेपी प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश का कानून मंत्री ही चुनाव नियमों का माखौल उड़ा रहा है। उन्होंने कहा कि चेतावनी मिलने के बाद भी सलमान खुर्शीद जनता के बीच जाकर मुस्लिम आरक्षण की बात कर रहे हैं और आयोग को चुनौती भी दे रहे हैं। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि आखिर इस मुद्दे पर सोनिया गांधी क्यों नहीं कुछ बोल रही हैं।
चुनाव आयोग की चिट्ठी में क्या है…
कमीशन आपको काफी निराश होकर लिख रहा है…कमीशन चाहता है कि आप इस मसले में कृपया कर दखल दें। यूपी में चुनाव प्रचार के दौरान कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने कुछ बयान और घोषणाएं की हैं, जिसमें से एक है कि कांग्रेस अल्पसख्यंकों को 27 फीसदी कोटे में 9 फीसदी आरक्षण देगी। राजनीतिक दलों की शिकायत के बाद चुनाव आयोग ने यह पाया कि खुर्शीद ने आचार संहिता का उल्लघंन किया है। सलमान खुर्शीद ने अपनी बात पर कायम रहते हुए कहा है कि वह अपनी बात पर कायम रहेंगे, भले चुनाव आयोग उन्हें फांसी दे दे। चुनाव आयोग मानता है कि निर्देश को लेकर उनकी भाषा और सुर आपत्तिजनक हैं।
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