
- क्रिप्टोकरेंसी में निवेश का झांसा देकर सैकड़ों लोगों को ठगने वाले साइबर फ्रॉड का ईडी ने पर्दाफाश किया है.
- ShareHash मोबाइल ऐप के जरिए निवेशकों को क्रिप्टो माइनिंग में मुनाफे का झांसा देकर ठगा जाता था.
- ईडी की जांच में 5 कंपनियों के नाम सामने आए हैं, जिन्हें कोविड काल में फर्जी KYC के जरिए बनाया गया था.
क्रिप्टोकरेंसी में निवेश का झांसा देकर सैकड़ों लोगों से करोड़ों रुपये ठगने वाले एक बड़े साइबर फ्रॉड का पर्दाफाश हुआ है. इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 7.02 करोड़ रुपये की संपत्ति अस्थायी रूप से अटैच की है. यह रकम 29 अलग-अलग बैंक खातों में जमा थी, जो अलग-अलग कंपनियों से जुड़ी हुई है.
ShareHash ऐप के जरिए ठगी
ईडी की जांच के मुताबिक, यह धोखाधड़ी ShareHash नाम के मोबाइल ऐप के जरिए की गई. इस ऐप में लोगों को क्रिप्टो माइनिंग के जरिए मोटे मुनाफे का लालच दिया गया. शुरुआत में कुछ निवेशकों को छोटे अमाउंट वापस कर विश्वास दिलाया गया. यह एक क्लासिक पोंजी स्कीम की तरह था. लेकिन बाद में न पैसा मिला, न जवाब और ऐप को अचानक ऐप स्टोर से हटा लिया गया.
यह मामला बेंगलुरु की साइबर क्राइम पुलिस द्वारा दर्ज एक FIR के आधार पर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के तहत लिया है. FIR में आईटी एक्ट 2000, गैर-मान्यता प्राप्त जमा योजना प्रतिबंध अधिनियम 2019 और IPC की धाराएं लगाई गई थीं.
ईडी की जांच में 5 कंपनियों के नाम
ईडी की जांच में जिन कंपनियों के नाम सामने आए हैं, उनमें कोटाटा (Cotata) टेक्नोलोजी प्राइवेट लिमिटेड, सिरालीन (Siraleen) टेक सॉल्यूशंस प्रा. लि., क्रैम्पिंगटन (Crampington) टेक्नोलोजी प्रा.लि., निलीन (Nileen) इन्फोटेक प्रा.लि. और मोल्टर्स एग्जिम (Moltres Exim)प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं.
कोविड काल में फर्जी KYC से बनाईं कंपनियां
ईडी का कहना है कि इन कंपनियों को कोविड महामारी के दौरान बेरोजगार युवाओं और नौकरी की तलाश करने वालों के फर्जी KYC इस्तेमाल करके बनाया गया था. इनका रजिस्टर्ड पता जांच में या तो गलत निकला या फिर उसका कोई अस्तित्व ही नहीं था.
ठगी के पैसों से खरीदते थे सोना
ईडी की जांच में यह भी सामने आया कि ये फर्जी कंपनियां पेमेंट गेटवे के ज़रिए पैसा जमा करती थीं और फिर उसी पैसे को सेकेंडरी शेल कंपनियों में भेजकर नकद निकासी, सोने की खरीद जैसी गतिविधियों में इस्तेमाल करती थीं.
पैसे छिपाने को 40 से ज्यादा खातों का प्रयोग
इस पूरे नेटवर्क में 40 से ज्यादा बैंक अकाउंट का इस्तेमाल किया गया था ताकि पैसों को छुपाया जा सके. कई डायरेक्टर्स और मालिकों ने ईडी के समन का जवाब तक नहीं दिया या फिर जांच में शामिल होने से इनकार कर दिया. फिलहाल जांच जारी है. ईडी की यह कार्रवाई ऑनलाइन निवेश फ्रॉड के खिलाफ एक अहम कदम मानी जा रही है.
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