लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच लगातार तनाव बना हुआ है. यहां 15 जून की रात को भारतीय-चीनी सेना के बीच हिंसक झड़प हुई है, जिसमें 20 भारतीय जवानों ने अपनी जान गंवा दी थी. पिछले कुछ वक्त से ही उत्तर-पूर्व में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर भारत-चीन के बीच तनाव चल रहा है, जो गलवान घाटी में हुई इस हिंसक झड़प में बदल गया है. ऐसे में गलवान घाटी सुर्खियों में आ गई है.
गलवान घाटी का एक छोटा सा दिलचस्प इतिहास रहा है. इसका नाम अंग्रेजों के जमाने में रहे एक गाइड के नाम पर रखा गया है. लद्दाख के गुलाम रसूल गलवान ने कभी अंग्रेजों को यहां रास्ता दिखाया था. उन्होंने गलवान घाटी को खोजा था, जिसके बाद इस घाटी का नाम उनके नाम पर ही रख दिया गया. गुलाम रसूल गलवान का परिवार अब भी लद्दाख में ही रहता है. यहां उनके पोते गलवान अमीन रहते हैं.
गलवान घाटी का नाम रखे जाने की कहानी गलवान के पोते गलवान अमीन ने बताई. उन्होंने बताया कि एक बार मशहूर अंग्रेज खोजी सर फ्रांसिस यंगहसबैंड इधर अपनी यात्रा पर रास्ता भटक गए थे. उस वक्त उनके दादा रसूल गलवान ने अग्रेजों की मदद की थी और उन्हें सही रास्ता दिखाया था. इससे अंग्रेज काफी खुश हुए थे. इसके बाद ही इस घाटी का नाम गलवान घाटी रख दिया गया.
बता दें कि गलवान घाटी में सोमवार रात चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में भारतीय सेना के एक कर्नल सहित 20 सैन्यकर्मियों ने अपनी जान दे दी थी. ANI ने अपने सूत्रों के हवाले से झड़प में चीनी पक्ष के करीब 45 सैनिकों के हताहत होने की खबर भी दी है, लेकिन आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि नही है. जानकारी के अनुसार, लद्दाख में हिंसक झड़प उस समय शुरू हुइ जब भारतीय सैनिक सीमा के भारत की तरफ चीनी सैनिकों द्वारा लगाए गए टेंट को हटाने गए थे. चीन ने 6 जून को दोनों पक्षों के लेफ्टिनेंट जनरल-रैंक के अधिकारियों के बीच बातचीत के बाद इस टेंट को हटाने पर सहमति जताई थी. सूत्रों ने कहा कि चीनी सैनिकों द्वारा भारतीय कर्नल बीएल संतोष बाबू को निशाना बनाने के बाद एक शारीरिक संघर्ष छिड़ गया और दोनों पक्षों के बीच डंडों, पत्थरों और रॉड का जमकर इस्तेमाल हुआ था.
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