होटल में पुलिस के छापे का सीसीटीवी फुटेज
मुंबई:
मुंबई के पश्चिमी उपनगर मड और अक्सा बीच से गुरुवार की शाम को अश्लीलता फैलाने के आरोप में 64 लोगों को हिरासत में लेने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। मुंबई पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया ने मामले में जांच के आदेश दे दिए हैं, लेकिन सरकार के एक आला मंत्री को लगता है कि पुलिस की कार्रवाई में कुछ गलत नहीं है।
इस मामले में पहली बार कैमरे के सामने एक शख्स ने कहा कि 'एक महिला के साथ पुलिस वालों ने मार-पीट की। कई लोगों के साथ गाली-गलौच की गई, हमें पुलिस स्टेशन में ऐसे बिठाकर रखा था जैसे हम बड़े क्रिमिनल हों। जुर्माना वसूला गया, जिनके पास पैसे नहीं थे उनके घरवालों को फोन करके बुलाया गया।'
पुलिस की कार्रवाई के मुद्दे पर बड़ी बहस छिड़ गई है। अक्सा बीच और मड के होटलों में पुलिसिया कार्रवाई के बारे में वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने कहा "मोरल पुलिसिंग का इस्तेमाल फैशन बन गया है, देश में कोई मोरल पुलिसिंग नहीं है। हम अपनी बेटियों और परिजनों के लिए अलग तरह से सोचते हैं। यह हमारी ड्यूटी है कि समाज में अच्छी बातें फैलें। हमारे देश ने संस्कृति के कई मानक बनाए हैं। इन शब्दों के इस्तेमाल से पुलिस का मनोबल गिरता है।''
पुलिस का दावा है कि उसकी कार्रवाई का मकसद जिस्मफरोशी को रोकना था। उसने यह भी बताया कि हिरासत में लिए गए लोगों में से तीन महिलाओं ने इस धंधे में शामिल होने की बात कबूली, लेकिन इस छापेमारी से कई नौजवान जोड़ों को खासी शर्मिंदगी उठानी पड़ी। हालांकि पुराने अधिकारियों को लगता है कि पुलिस की कार्रवाई सही नहीं थी। पूर्व आईपीएस सुधाकर सुराडकर ने कहा " बंद कमरे में दो वयस्कों के बीच आपसी सहमति से अगर शारीरिक संबंध बनते हैं तो उन पर बॉम्बे पुलिस एक्ट के तहत कार्रवाई नहीं की जा सकती।''
मुंबई पुलिस पहले भी नैतिकता का झंडा थामने की कोशिश कर चुकी है। जनवरी 2013 में उसने बाकायदा सर्कुलर निकालकर सुनसान जगहों पर पाए गए प्रेमी जोड़ों पर कार्रवाई के निर्देश दिए थे। उस वक्त काफी हंगामा मचने के बाद सर्कुलर तो वापस ले लिया गया लेकिन शायद जमीनी हकीकत अब भी बदली नहीं है।
इस मामले में पहली बार कैमरे के सामने एक शख्स ने कहा कि 'एक महिला के साथ पुलिस वालों ने मार-पीट की। कई लोगों के साथ गाली-गलौच की गई, हमें पुलिस स्टेशन में ऐसे बिठाकर रखा था जैसे हम बड़े क्रिमिनल हों। जुर्माना वसूला गया, जिनके पास पैसे नहीं थे उनके घरवालों को फोन करके बुलाया गया।'
पुलिस की कार्रवाई के मुद्दे पर बड़ी बहस छिड़ गई है। अक्सा बीच और मड के होटलों में पुलिसिया कार्रवाई के बारे में वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने कहा "मोरल पुलिसिंग का इस्तेमाल फैशन बन गया है, देश में कोई मोरल पुलिसिंग नहीं है। हम अपनी बेटियों और परिजनों के लिए अलग तरह से सोचते हैं। यह हमारी ड्यूटी है कि समाज में अच्छी बातें फैलें। हमारे देश ने संस्कृति के कई मानक बनाए हैं। इन शब्दों के इस्तेमाल से पुलिस का मनोबल गिरता है।''
पुलिस का दावा है कि उसकी कार्रवाई का मकसद जिस्मफरोशी को रोकना था। उसने यह भी बताया कि हिरासत में लिए गए लोगों में से तीन महिलाओं ने इस धंधे में शामिल होने की बात कबूली, लेकिन इस छापेमारी से कई नौजवान जोड़ों को खासी शर्मिंदगी उठानी पड़ी। हालांकि पुराने अधिकारियों को लगता है कि पुलिस की कार्रवाई सही नहीं थी। पूर्व आईपीएस सुधाकर सुराडकर ने कहा " बंद कमरे में दो वयस्कों के बीच आपसी सहमति से अगर शारीरिक संबंध बनते हैं तो उन पर बॉम्बे पुलिस एक्ट के तहत कार्रवाई नहीं की जा सकती।''
मुंबई पुलिस पहले भी नैतिकता का झंडा थामने की कोशिश कर चुकी है। जनवरी 2013 में उसने बाकायदा सर्कुलर निकालकर सुनसान जगहों पर पाए गए प्रेमी जोड़ों पर कार्रवाई के निर्देश दिए थे। उस वक्त काफी हंगामा मचने के बाद सर्कुलर तो वापस ले लिया गया लेकिन शायद जमीनी हकीकत अब भी बदली नहीं है।
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