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This Article is From Oct 07, 2023

क्या सिक्किम में झील के तट पर भूस्खलन भीषण बाढ़ का कारण बना? सैटेलाइट इमेज में दिख रहे हालात

दक्षिण लोनाक झील उत्तरी सिक्किम में 17,100 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. इसका पानी पहने से तीस्ता नदी में बाढ़ आई जिससे कम से कम 50 लोगों की जान चली गई.

क्या सिक्किम में झील के तट पर भूस्खलन भीषण बाढ़ का कारण बना? सैटेलाइट इमेज में दिख रहे हालात
हाई रिजोल्यूशन तस्वीर में झील में दरार, टूटी हुई बर्फ और भूस्खलन का स्थान दिख रहा है.
नई दिल्ली:

सिक्किम (Sikkim) में काफी ऊंचाई पर स्थित दक्षिण लोनाक झील (South Lhonak Lake) में दरार आने से विनाशकारी बाढ़ (flood) आई, जिससे कम से कम 50 लोगों की जान चली गई. शुक्रवार को NDTV को मिली नई हाई रिजोल्यूशन सैटेलाइट तस्वीरों में झील में दरार की सटीक जगह दिख रही है. 

गौरतलब है कि तस्वीरों मे झील के किनारों के खुले हिस्से दिख रहे हैं. इससे पता चलता है कि दरार से पानी निकलने के बाद झील के जल स्तर में काफी गिरावट जारी है और नीचे की ओर तीस्ता नदी बेसिन में विकराल बाढ़ आई है.

भूस्खलन का भी सबूत है, जो कि झील के तट के फटने के पीछे एक कारण हो सकता है.

जियोस्पेशल वर्ल्ड (पूर्व में जीआईएस डेवलपमेंट) पत्रिका के मैनेजिंग एडिटर और अनुभवी इसरो इमेजरी विशेषज्ञ अरूप आर दासगुप्ता ने कहा, "ग्लेशियर में इन दिनों काफी बर्फ है और इस स्नोपैक ने झील के मुहाने पर जोरदार दबाव डाला होगा, जिससे दरार पैदा हुई." 

दक्षिण लोनाक झील उत्तरी सिक्किम में 17,100 फीट की ऊंचाई पर है, जो कि भारत-चीन सीमा से बहुत दूर नहीं है.

नई तस्वीरों में ठीक वही क्षेत्र दिख रहै है जहां हिमनद झील में दरार आई. इनमें से एक तस्वीर में यह संकेत मिलता है कि झील के किनारे टूटने के तीन दिन बाद शुक्रवार को भी झील से पानी बहता रहा.

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झील का जलस्तर घटने से इसकी तटरेखा का एक बड़ा इलाका दिखाई देने लगा है. यह वह क्षेत्र है जो सिर्फ तीन दिन पहले तक पानी के नीचे था.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के वैज्ञानिकों ने पहले ही कह दिया था कि झील द्वारा कवर किया गया इलाका आधे से भी कम हो गया है. अनुमान के मुताबिक अब इसके केवल 60.3 हेक्टेयर क्षेत्र में पानी है.

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दक्षिणी लोनाक झील में पानी घटते जा रहे उत्तरी लोनाक ग्लेशियर और मुख्य लोनाक ग्लेशियर से हिमनदी अपवाह से आता था. प्रमुख वैज्ञानिक डॉ एसएन रेम्या ने 2013 के पेपर में कहा है कि, इससे झील का सतह क्षेत्र 500 मीटर और औसत गहराई 50 मीटर बढ़ गई.

इसी साल की फरवरी की तस्वीरों में झील पूरी तरह से जमी हुई दिखाई दे रही है, हालांकि बर्फ की सतह पर आई दरारों का पैटर्न साफ दिखाई दे रहा है.

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हालांकि शुक्रवार की तस्वीर में झील की सतह पर बड़ी मात्रा में टूटी हुई बर्फ और तैरती हुई बर्फ की परतें दिख रही हैं. यह स्पष्ट नहीं है कि यह बर्फ दरार की ओर बढ़े पानी के प्रवाह के कारण ऐसी दिख रही हैं या गर्मी के महीनों में यह बर्फ काफी हद तक पिघल गया था.

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दासगुप्ता ने कहा, "पहली तस्वीर में झील पर बर्फ की सतह दरारों का एक तय पैटर्न दिखता है, जो कि इस बात की ओर इशारा करता है शायद ग्लेशियर से कि बर्फ की सतह दबाव में थी. जैसा कि दूसरी छवि में दिख रहा है, यह दबाव संभवतः ग्लेशियर पर ताजा बर्फ के कारण बढ़ गया था. यह दरार आने का कारण हो सकता है.''

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दक्षिण लोनक झील की छह अक्टूबर की तस्वीर इसके एक किनारे पर भूस्खलन के साफ सबूत दिखाती है. यह स्पष्ट नहीं है कि भूस्खलन के कारण पानी का निकला या यह भी एक कारण था जिसके नतीजे में झील के किनारे टूट गए.

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जर्नल जियोमॉर्फोलॉजी में 2021 में प्रकाशित एक स्टडी में इस ध्यान दिलाया गया है कि, "सिक्किम में लेक-टर्मिनेटिंग ग्लेशियरों में तेजी से बढ़ोत्तरी देखी गई है... दक्षिण लोनाक ग्लेशियर भी इससे अलग नहीं है. यह सबसे तेजी से घटने वाले ग्लेशियरों में से एक है और संबंधित प्रोग्लेशियल दक्षिण लोनाक झील राज्य में सबसे बड़ी और सबसे तेजी से बढ़ने वाली झील बन गई है.. इससे खतरे की संभावनाओं के चलते चिंता बढ़ गई है क्योंकि इसकी डाउनस्ट्रीम (निचले क्षेत्र) में बड़ी आबादी बसी है..." 

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