प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
डेंगू का डंक प्लेटलेट के लिहाज से पिछले साल के मुकाबले 6 गुना ज्यादा प्रभावी है। इंडियन रेडक्रॉस सोसाइटी के मुताबिक जहां उसने पिछले साल अगस्त में 210 यूनिट प्लेटलेट तैयार किए, वहीं इस साल अगस्त के महीने में 1052 यूनिट प्लेटलेट बनाए गए। इतना ही नहीं ऐसा ही इजाफा सितंबर में भी देखने को मिला। पिछले साल सितंबर में जहां 465 यूनिट प्लेटलेट बने वहीं इस सितंबर में अब तक 2544 यूनिट तैयार हो चुके हैं।
इंडियन रेडक्रॉस सोसाइटी के ब्लड बैंक की डायरेक्टर वनश्री बताती हैं कि पूरे सितंबर महीने तक यह यूनिट साढ़े तीन हजार के आसपास पहुंच जाएगी। इसके मद्देनजर रोजाना 2 ब्लड बैंक डोनेशन कैंप लगाए जा रहे हैं, ताकि बढ़ी डिमांड को उचित सप्लाई के जरिए पूरा किया जा सके।
ब्लड बैंकों की मनमानी जारी
जब डेंगू के मामले लगातार बढ़े तो प्लेटलेट की मांग बढ़ी और साथ में कुछ ब्लड बैंकों की मनमानी भी। उत्तमनगर के अली बताते हैं कि 21 सितंबर को जब उनके भाई की तबियत बिगड़ी तो बी पॉजिटिव ग्रुप के प्लेटलेट के लिए रोहिणी के एक ब्लड बैंक ने पहले तो 2 यूनिट ब्लड देने को कहा और साथ में 14 हजार रुपये की डिमांड की।
निजी अस्पताल में बीमार, सरकारी में स्वस्थ
लंबे समय से खाट पकड़ चुके सद्दाम के परिवार वालों के पास इतने पैसे नहीं थे। लिहाजा बी पॉजिटिव ग्रुप की प्लेटलेट के लिए पहले तो जगह-जगह फोन घुमाए, पर जुगाड़ नहीं हो सका तो थक हारकर उत्तमनगर के प्राइवेट हार्दिक हॉस्पिटल से मरीज को निकालकर सरकारी दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल ले आए। आते ही इस बात पर हैरान हुए कि प्राइवेट अस्पताल जहां 22 हजार प्लेटलेट काउंट का हवाला देकर प्लेटलेट चढ़ाने की बात कर रहा था पांच घंटे बाद हुए सरकारी अस्पताल के प्लेटलेट काउंट टेस्ट में वो 60 हजार प्लेटलेट निकला। डॉक्टर ने सुकून से घर लौटने की बात कही।
इंडियन रेडक्रॉस सोसाइटी के ब्लड बैंक की डायरेक्टर वनश्री बताती हैं कि पूरे सितंबर महीने तक यह यूनिट साढ़े तीन हजार के आसपास पहुंच जाएगी। इसके मद्देनजर रोजाना 2 ब्लड बैंक डोनेशन कैंप लगाए जा रहे हैं, ताकि बढ़ी डिमांड को उचित सप्लाई के जरिए पूरा किया जा सके।
ब्लड बैंकों की मनमानी जारी
जब डेंगू के मामले लगातार बढ़े तो प्लेटलेट की मांग बढ़ी और साथ में कुछ ब्लड बैंकों की मनमानी भी। उत्तमनगर के अली बताते हैं कि 21 सितंबर को जब उनके भाई की तबियत बिगड़ी तो बी पॉजिटिव ग्रुप के प्लेटलेट के लिए रोहिणी के एक ब्लड बैंक ने पहले तो 2 यूनिट ब्लड देने को कहा और साथ में 14 हजार रुपये की डिमांड की।
निजी अस्पताल में बीमार, सरकारी में स्वस्थ
लंबे समय से खाट पकड़ चुके सद्दाम के परिवार वालों के पास इतने पैसे नहीं थे। लिहाजा बी पॉजिटिव ग्रुप की प्लेटलेट के लिए पहले तो जगह-जगह फोन घुमाए, पर जुगाड़ नहीं हो सका तो थक हारकर उत्तमनगर के प्राइवेट हार्दिक हॉस्पिटल से मरीज को निकालकर सरकारी दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल ले आए। आते ही इस बात पर हैरान हुए कि प्राइवेट अस्पताल जहां 22 हजार प्लेटलेट काउंट का हवाला देकर प्लेटलेट चढ़ाने की बात कर रहा था पांच घंटे बाद हुए सरकारी अस्पताल के प्लेटलेट काउंट टेस्ट में वो 60 हजार प्लेटलेट निकला। डॉक्टर ने सुकून से घर लौटने की बात कही।
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