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This Article is From Oct 21, 2022

दिल्ली में बढ़ता प्रदूषण : दीवाली से पहले GRAP के तहत कई पाबंदियां लागू; जानें- किस पर लगी रोक

दिल्ली में शुक्रवार सुबह धूप खिली रही और वायु गुणवत्ता ‘खराब’ श्रेणी में रही.

गुरुवार को दिल्ली का औसत एक्यूआई 228 रहा था, जो ‘खराब’ श्रेणी में आता है. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर दीवाली से पहले ही तेजी से बढ़ रहा है. कई इलाकों में धुंध की चादर दिखाई दे रही है. पड़ोसी राज्य पंजाब-हरियाणा में पराली जलाने से उठता धुआं और गिरते तापमान के कारण प्रदूषण की काली चादर दिल्ली-NCR के आसमान पर धुंध बनकर छा गई है. दीवाली और उसके बाद प्रदूषण के हालात और बिगड़ने की आशंका है.

शनिवार तक दिल्ली-NCR का एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी AQI 300 से 400 पार होने की आशंका है. यही वजह है कि दिल्ली-NCR में ग्रेडेड रिस्पॉन्स ऐक्शन प्लान यानी GRAP के दूसरे चरण में कई पाबंदियां लागू की जा रही हैं.

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क्या लिया गया एक्शन?

- कोयला और लकड़ी से चलने वाले तंदूर वाले होटलों पर पाबंदी रहेगी
- डीज़ल से चलने वाले जनरेटर बंद होंगे
- अस्पताल, रेल जैसी ज़रूरी सेवाओं को छोड़कर पार्किंग फ़ीस बढ़ेगी ताकि निजी वाहन लोग कम चलाएं
- CNG और इलेक्ट्रिक बस और मेट्रो सर्विस बढ़ेगी

दिल्ली में शुक्रवार सुबह धूप खिली रही और वायु गुणवत्ता ‘खराब' श्रेणी में रही. वायु गुणवत्ता एवं मौसम पूर्वानुमान अनुसंधान प्रणाली (सफर) के आंकड़ों के मुताबिक वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) सुबह 9.20 बजे 224 रहा. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 24 घंटे के औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बुलेटिन के मुताबिक गुरुवार को दिल्ली का औसत एक्यूआई 228 रहा था, जो ‘खराब' श्रेणी में आता है.

क्या होता है AQI?
शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा', 51 से 100 के बीच ‘संतोषजनक', 101 से 200 के बीच ‘मध्यम', 201 से 300 के बीच ‘खराब', 301 से 400 के बीच ‘बहुत खराब' तथा 401 से 500 के बीच एक्यूआई को ‘गंभीर' माना जाता है.

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न्यूज एजेंसी पीटीआई ने विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र (सीएसई) के हवाले से गुरुवार को कहा कि इस साल दिवाली ऐसे वक्त में मनायी जा रही है जब पहले की अपेक्षा ज्यादा ठंड नहीं है लेकिन दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने से वायु प्रदूषण की समस्या बढ़ सकती है. NCR में वायु गुणवत्ता प्रतिकूल मौसम विज्ञान संबंधी कारकों जैसे कम तापमान और हवा की गति के कारण अक्टूबर में बिगड़नी शुरू हुई थी जिससे प्रदूषकों का छितराव नहीं हुआ. पटाखों से होने वाला उत्सर्जन तथा पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने से वायु गुणवत्ता और बदतर होगी.

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