
दिल्ली के इतिहास में पहली बार लाल किले की प्राचीर से गुरु तेग बहादुर जी की अद्वितीय शहादत को नमन किया जाएगा. दिल्ली कैबिनेट ने गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी पर्व के उपलक्ष्य में दो दिवसीय भव्य कार्यक्रम को मंजूरी दे दी है. यह वही पवित्र भूमि है जहां धर्म और मानवीय मूल्यों की रक्षा के लिए गुरु साहिब ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था. यह कार्यक्रम दिल्ली सरकार के कला, संस्कृति और भाषा विभाग द्वारा आयोजित किया जाएगा.
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री और वरिष्ठ सिख नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने इस पहल के लिए मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और पूरी कैबिनेट का आभार व्यक्त किया.उन्होंने कहा, आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के प्रेरणादायक मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के प्रभावशाली नेतृत्व में, यह आयोजन दिल्ली और सिख विरासत के रिश्ते को सम्मान और स्थायित्व देगा. गुरु तेग़ बहादुर जी का बलिदान सिर्फ सिख इतिहास नहीं, बल्कि पूरे मानव समाज के लिए आज़ादी, सहिष्णुता और न्याय का संदेश है.
सिरसा ने यह भी घोषणा की कि दिल्ली के जैनपुर क्षेत्र में विकसित किया जा रहा मियावाकी जंगल गुरु तेग़ बहादुर जी को समर्पित किया जाएगा. यह प्रकृति और सेवा के प्रति सिख समुदाय की भावना का एक जीवंत प्रतीक होगा.
इस ऐतिहासिक आयोजन के साथ-साथ, दिल्ली विश्वविद्यालय ने "भारतीय इतिहास में सिख शहादत" नाम से एक नया कोर्स भी शुरू किया है. यह सिख समुदाय के न्याय, स्वतंत्रता और मानव गरिमा की रक्षा में दिए गए योगदान को एक औपचारिक शैक्षणिक मान्यता प्रदान करता है.
इसके अतिरिक्त, दिल्ली सरकार पूरे वर्ष स्कूलों, कॉलेजों और सार्वजनिक स्थलों पर चित्रकला प्रतियोगिताएं, ऐतिहासिक दस्तावेज़ों की प्रदर्शनियां और शैक्षणिक कार्यक्रम आयोजित करेगी. इस कदम से युवा पीढ़ी को गुरु तेग़ बहादुर जी की विरासत से जोड़ा जाएगा और उन्हें दिल्ली की समृद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक जड़ों से परिचित कराया जाएगा.
सिरसा ने कहा, यह आयोजन दिल्ली के समावेशी शासन और गुरु तेग़ बहादुर जी के अमर बलिदान के प्रति अटूट सम्मान का प्रतीक है.
इस दौरान कई विशेष आयोजन होंगे जैसे लाइट एंड साउंड शो, कीर्तन दरबार, पैनल चर्चाएं, पेंटिंग, गुरु जी की शिक्षाओं का अनुवाद कराया जाएगा.
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