अपराधियों की हर पहचान का रिकॉर्ड रखने वाला क्रिमिनल प्रोसिजर बिल लोकसभा से पारित हो गया है. बिल पारित करने के पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि यह कानून उसी पर लागू होगा जिसे सात साल सजा हुई है. शाह ने कहा, बिल को लेकर 21 से अधिक सांसदों ने विचार रखे . शंका की दृष्टि से कुछ सदस्यों ने बिल के बारे में कहा है. हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि यह बिल दुरुपयोग के लिए नहीं, बल्कि समय के मुताबिक लाया गया है.' उन्होंने कहा, ' जो मानव अधिकार की दुहाई की बात रहे है तो उनको दूसरा पक्ष भी समझना चहिए. जो कानून के हिसाब से जीने वाले लोग हैं, उनकी चिंता करेंगे. मानव अधिकार को एक ही चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए.
उन्होंने कहा, 'यह 102 साल पुराना कानून है, इसमें वैज्ञानिक आयामों को जोड़ा गया है. यह बिल देश मे दोष सिद्धि के माध्यम के लिए लाया गया है जिसने अपराध किया है उसको सजा दिलाने के लिये लाया गया है. वर्ष 2014 में मोदीजी स्मार्ट पुलिस का कांसेप्ट लेकर आए थे.अब क्राइम और क्रिमिनल बदल गए हैं तो हम पुलिस को आधुनिक क्यों नहीं करें. यह बिल लाने में बहुत देर हो गई.' गृह मंत्री शाह ने साफ किया, 'इस बिल में माइनॉरिटी शब्द ही नही है. इसे कोई गलत चश्मे से ना देखे. मोदीजी पर कभी कोई क्रिमिनल केस दर्ज नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि पोटा देशहित में कानून था लेकिन इसे तुष्टीकरण के लिए रद्द किया गया. उन्होंने विपक्षी सदस्यों पर निशाना साधते हुए कहा कि आप विपक्ष में बैठे हैं, केवल इसलिए विरोध करे, यह कोई लॉजिक नहीं है. जांच अब थर्ड डिग्री के आधार पर नहीं बल्कि तकनीक के आधार पर की जानी चाहिए .
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