अदालत ने FCRA पंजीकरण रद्द करने के खिलाफ एक NGO की याचिका पर केंद्र से मांगा जवाब

केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है, क्योंकि याचिकाकर्ता के पास अपील का एक और विकल्प उपलब्ध है. अदालत ने मामले को 10 मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करते हुए कहा कि उस दिन अंतरिम राहत के सवाल पर विचार किया जाएगा.

अदालत ने FCRA पंजीकरण रद्द करने के खिलाफ एक NGO की याचिका पर केंद्र से मांगा जवाब

दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा.

नई दिल्ली:

दिल्ली उच्च न्यायालय ने विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) के तहत पंजीकरण रद्द करने के आदेश को चुनौती देने वाले गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘एनवायरोनिक्स' ट्रस्ट की याचिका पर शुक्रवार को केंद्र से जवाब तलब किया. न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा.

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता ने एफसीआरए के तहत पंजीकरण रद्द करने के चार मार्च, 2024 के आदेश को चुनौती देते हुए इस अदालत का रुख किया है. नोटिस जारी किया जाता है. चार सप्ताह में जवाब दाखिल किया जाए.'' याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि केंद्र ने एनजीओ का पक्ष सुने बिना ही पंजीकरण का आदेश जारी किया.

वकील ने कहा, ‘‘पंजीकरण रद्द करने से पहले उन्हें हमें अपना पक्ष रखने का मौका देना चाहिए था. हमारा पक्ष नहीं सुना गया.'' उन्होंने अदालत से एनजीओ के कर्मचारियों को वेतन भुगतान के लिए उसके खातों में पड़ी राशि का इस्तेमाल करने की अनुमति देने का भी आग्रह किया.

केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है, क्योंकि याचिकाकर्ता के पास अपील का एक और विकल्प उपलब्ध है. अदालत ने मामले को 10 मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करते हुए कहा कि उस दिन अंतरिम राहत के सवाल पर विचार किया जाएगा.

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने 2018 में बैंक में किए गए कई अंतरण में एफसीआरए के प्रावधानों के कथित उल्लंघन के लिए जनवरी में ‘एनवायरोनिक्स ट्रस्ट' के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की.

सीबीआई के अनुसार, ‘एनवायरोनिक्स ट्रस्ट' ने ओडिशा में ‘अम्फान' चक्रवात प्रभावित लोगों के बीच वितरण के लिए 15 नवंबर, 2020 को 711 लोगों के बैंक खातों में 1,250 रुपये के हिसाब से धन अंतरित किये थे, लेकिन वास्तव में यह भुगतान ओडिशा के ढिनकिया में जेएसडब्ल्यू आंदोलन के लिए प्रदर्शनकारियों को किया गया था.

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एजेंसी ने आदिवासी कार्यकर्ता डेम ओराम के साथ ट्रस्ट के कथित संबंध का भी हवाला दिया, जिन्हें राउरकेला पुलिस ने दंगा और गैरकानूनी सभा के लिए गिरफ्तार किया था.