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This Article is From May 13, 2011

'दीदी' का खिला 'फूल', करुणा का डूबा 'सूरज'

New Delhi: पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष व रेल मंत्री ममता बनर्जी यानी 'दीदी' का 'फूल' खिल गया है और 34 साल पुराना वाम किला ढह गया है तो तमिलनाडु में 'उगता सूरज' डूब गया है और वहां पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता की 'दो पत्तियां' लहलहा गई हैं। असम में तरुण गोगोई ने कांग्रेस के 'हाथ' को मजबूती दी है और केरल में ओमन चांडी ने। पुड्डचेरी में कांग्रेस जरूर सिमट गई। पश्चिम बंगाल में ममता के पक्ष में ऐसी आंधी उड़ी कि उसमें 34 साल पुराना वामपंथी 'किला' पूरी तरह नेस्नाबूद हो गया। राइटर्स बिल्डिंग पर लाल झंडे की जगह तृणमूल कांग्रेस का झंडा फहर गया है। कभी दूध बेचकर अपने परिवार का पालन पोषण करने वाली ममता स्वतंत्रता के बाद देश की 14वीं व पश्चिम बंगाल की पहली महिला मुख्यमंत्री बनेंगी। ममता की इस जीत की धमक पश्चिम बंगाल से लेकर विदेशों तक में सुनाई दी। तभी तो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने काबुल से और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने परिणाम पूरी तरह आने से पहले ही फोन कर बधाइयां दीं। उन्हें बधई देने वालों का सिलसिला अभी थमने वाला भी नहीं है। आखिकार अकेले दम सिर्फ अपने संघर्ष के दम पर ममता ने 34 सालों के वामपंथी शासन का खात्मा करते हुए ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। निर्वाचन आयोग से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक राज्य की 294 सीटों वाली विधानसभा में तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस गठबंधन ने दो तिहाई बहुमत हासिल किया है। तृणमूल कांग्रेस ने अकेले 184 सीटों पर कब्जा जमाया है। जबकि उसकी सहयोगी कांग्रेस ने 42 सीटों पर जीत दर्ज की है। मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) 40 सीटों पर सिमट कर रह गई जबकि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के खाते में सिर्फ 2 सीट पर जीत नसीब हुई। फारवर्ड ब्लॉक के उम्मीदवार 11 सीटों पर चुनाव जीतने में सफल रहे। रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) ने सात सीटें जीतीं। ममता की इस आंधी में मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य भी अपनी सीट नहीं बचा पाए। 24 दक्षिण परगना जिले की  जादवपुर विधानसभा सीट पर उन्हें तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार मनीष गुप्ता ने 16,684 मतों से हराया। जीत के प्रति आश्वस्त होने के बाद ममता ने दक्षिणी कोलकाता में कालीघाट स्थित अपने आवास पर लोगों की भीड़ को सम्बोधित करते हुए कहा, "यह जीत मां, माटी और मानुष की है। यह जीत पहाड़ों और जंगलों की है। यह असहाय और जनजातीय लोगों की जीत है। यह लोकतंत्र की जीत है। यह ऐतिहासिक है और 34 सालों बाद पश्चिम बंगाल को मिली नई आजादी है।" हार के बाद बुद्धदेव ने वाम मोर्चा के अध्यक्ष बिमान बोस के साथ संयुक्त रूप से जारी एक बयान में कहा, "यह हमारे 34 सालों के शानदार शासन का अंत है। नतीजे उम्मीद के विपरीत हैं लेकिन अब हम रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभाएंगे।" तमिलनाडु में 'अम्मा' यानी जे. जयललिता का पांच साल बाद एक बार फिर डंका बजा है। उनकी पार्टी आल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) के नेतृत्व वाले गठबंधन ने द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमक) और कांग्रेस गठबंधन का सूपड़ा साफ करते हुए 234 में से 187 सीटें जीत ली हैं जबकि डीएमके गठबंधन के खाते में सिर्फ 27 सीटें ही गईं। तमिलनाडु विधानसभा चुनाव के लिए शुक्रवार सुबह मतगणना शुरू होने के साथ ही डीएमके का 'उगता सूरज' अस्ताचल होने लगा और शाम तक नतीजे स्पष्ट होते-होते ही वह पूरी तरह डूब चुका था जबकि दूसरी ओर प्रदेश भर में 'दो पत्ते' लहलहा रहे थे। पूरे नतीजे आने का इंतजार ने करते हुए मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपना इस्तीफा राज्यपाल सुरजीत सिंह बरनाला को सौंपा। बरनाला ने वैकल्पिक बंदोबस्त होने तक उन्हें पद पर बने रहने को कहा है। करुणानिधि के लिए राहत की बात ये रही कि वह तिरुवरूर निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीत गए। उन्होंने एआईएडीएमके के उम्मीदवार राजेंद्रन को पराजित किया। करुणानिधि को जहां 109,014 मत मिले वहीं राजेंद्रन को 58,765 मत मिले। यह पहला अवसर है जब करुणानिधि अपने गृह कस्बे से चुनाव लड़ रहे थे। तमिलनाडु की 234 सीटों में से एआईएडीएमके के खाते में 146 सीटें गई हैं और वह चार सीटों पर आगे है। जबकि उसके सहयोगी दलों भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) को नौ और मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) को 10 सीटों पर विजय हासिल हुई है। जयललिता की इस आंधी में डीएमके नेतृत्व वाला गठबंधन को 27 सीटों पर जीत मिली है और वह तीन सीटों पर आगे है। डीएमके को 19 सीटों पर जीत मिली है और वह चार सीटों पर आगे है। जबकि कांग्रेस को पांच सीटों पर जीत मिली। पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) को दो सीटों पर विजय हासिल हुई है और वह एक सीट पर आगे है। एआईएडीएमके की महासिचव जे. जयललिता ने विधानसभा चुनाव में मिली भारी बहुमत से जीत को 'धन बल की हार' और 'लोकतंत्र की जीत' करार दिया। अपनी प्राथमिकताओं को गिनाते हुए जयललिता ने कहा, "मेरी पहली प्राथमिकता राज्य में कानून-व्यवस्थ का राज कायम करना होगी। हमने गरीब जनता के लिए घोषणा पत्र में जो वादे किए थे उन्हें डेढ़ वर्ष के भीतर पूरा करने की हम कोशिश करेंगे।" केरल विधानसभा चुनाव में हुए कांटे के मुकाबले में शुक्रवार को आखिरकार जीत कांग्रेस नेतृत्व वाले संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा को मिली जबकि मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेतृत्व वाला वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) बहुत ही कम अंतर से सत्ता में वापसी करने का इतिहास बनाने से चूक गया। विधानसभा चुनाव के शुक्रवार को घोषित परिणामों के मुताबिक राज्य में अब तक विपक्ष की भूमिका निभा रहा कांग्रेस के नेतृत्व वाला गठबंधन वाम दलों के मोर्चे को झटका देते हुए नई सरकार बनाने का दावेदार बन गया है। यूडीएफ को 72 जबकि एलडीएफ को 68 सीटें मिली हैं। वाम दलों को काफी कम अंतर से पीछे छोड़ते हुए यूडीएफ राज्य में सरकार बनाने की तैयारी में है। सरकार बनाने के लिए यूडीएफ को 71 सीटों की जरूरत थी, उसके पास अब एक सीट अधिक है।  प्रदेश की कुल 140 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस ने 38 सीटों पर जीत दर्ज की है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) को दो, कांग्रेस (एम) को नौ और मुस्लिम लीग केरल स्टेट कमेटी को 20 सीटें हासिल हुई हैं।   मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानंदन ने यहां संवाददाताओं से कहा, "विधानसभा में हालांकि हम सबसे बड़ा दल हैं, फिर भी सरकार नहीं बनाएंगे, क्योंकि हमें बहुमत नहीं मिला है। कल (शनिवार) सुबह मैं अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दूंगा।" उन्होंने कहा कि उनका मोर्चा अब लोगों की भलाई के लिए 'मजबूत विपक्ष' के रूप में कार्य करेगा। माकपा ने 45 सीटें जीती जबकि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) को 13 सीटें मिली हैं और रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी ने भी दो सीटों पर जीत दर्ज की है। इसी गठबंधन में शामिल जनता दल (सेक्युलर) को चार सीटें मिली हैं। अन्य सात उम्मीदवार विजयी घोषित किए गए हैं। असम में कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई है। विधानसभा की 126 सीटों में से 78 सीटें जीतकर पार्टी ने बहुमत हासिल कर ली है। राज्य के 76 वर्षीय मुख्यमंत्री तरुण गोगोई तीसरी बार सत्ता संभालने की तैयारी में हैं। गोगोई ने कहा, "मैं कहना चाहूंगा कि यह भारी जीत पिछले 10 वर्ष के सुशासन और विकास के लिए मिली है।" उन्होंने कहा, "असम में शांति की वापसी भी हमारे प्रति मतदाताओं का विश्वास बढ़ने का मुख्य कारण है।" गोगोई और उनकी नई मंत्रिपरिषद के 19 मई को शपथ लेने की संभावना है। कांग्रेस की घटक बोडोलैंड पीपुल्स पार्टी (बीपीपी) को 12 सीटें मिली हैं। दो मुख्य विपक्षी पार्टियों को करारा झटका लगा है। असम गण परिषद (अगप) को मात्र 10 सीटें हासिल हुई हैं और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को पांच सीटें मिली हैं। असम युनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एयूडीएफ) को 18 सीटें मिली हैं। एयूडीएफ अब मुख्य विपक्षी दल के रूप में उभरा है। तृणमूल कांग्रेस को एक और दो सीटें निर्दलीय उम्मीदवार को मिली हैं। पुड्डुचेरी में पूर्व मुख्यमंत्री एन. रंगासामी के नेतृत्ववाले ऑल इंडिया एनआर कांग्रेस (आआईएनआरसी) एवं ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) गठबंधन ने दो तिहाई बहुमत हासिल किया है। गठबंधन ने विधानसभा की 30 सीटों में से 20 सीटों पर कब्जा जमाया है। इससे रंगासामी को मुख्यमंत्री बनना तय माना जा रहा है। कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन को नुकसान उठाना पड़ा है। कांग्रेस एवं द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) गठबंधन को नौ सीटों पर कामयाबी मिली है। वहीं एक सीट निर्दलीय के खाते में गई है। ज्ञात हो कि पूर्व मुख्यमंत्री एन. रंगासामी ने दो महीने पहले कांग्रेस से अलग होकर फरवरी में ऑल इंडिया एनआर कांग्रेस नाम से पार्टी बनाकर विधानसभा चुनाव में जबर्दस्त जीत हासिल की है। उनकी इस कामयाबी ने कांग्रेस के तीसरी बार सत्ता में काबिज होने के मंसूबों पर पानी फेर दिया है।

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