अल्ताफ अहमद की फाइल तस्वीर
श्रीनगर:
जम्मू-कश्मीर के बांदीपुरा जिले में लश्कर-ए-तैयबा के संदिग्ध आतंकवादियों ने बुधवार को पुलिस सब-इंस्पेक्टर अल्ताफ अहमद की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी। अल्ताफ को सुरक्षा बलों के अभियान में एक अहम शख्स माना जाता था और उन्हें कई आतंकवादी ठिकानों को नेस्तनाबूद करने और खुफिया सूचनाएं जुटाकर कई आतंकवादियों को मार गिराने का भी श्रेय जाता है।
कश्मीर से करीब 35 किलोमीटर दूर बांदीपुरा में अल्ताफ को गोली मारी गई। बाद में उन्होंने दम तोड़ दिया। शुरुआती जांच में संकेत मिले हैं कि वह लश्कर-ए-तैयबा की ओर से बिछाए गए जाल में फंस कर आतंकवादी संगठन के शिकार बने।
अल्ताफ '24 ऑवर ड्यूटी कॉप' यानी चौबीसों घंटे ड्यूटी करने वाले पुलिसकर्मी के तौर पर मशहूर थे। सुबह के वक्त वह आम दिनों की तरह अपने दफ्तर आए और तुरंत ही उन्हें लश्कर-ए-तैयबा के शीर्ष कमांडर अब्दुल रहमान उर्फ कासिम के बांदीपुरा इलाके में एक मकान में मौजूद होने की गुप्त सूचना मिली।
वह बिना देर किए अपने सरकारी वाहन से उस मकान की ओर रवाना हुए। जांच के दौरान चश्मदीदों ने बताया कि कुछ दूरी से एक पिक अप वैन उनके पीछे-पीछे चलने लगी। जब अल्ताफ अरगाम इलाके में एक सुनसान जगह पर पहुंचे, तो पिक अप वैन उनकी गाड़ी के आगे आ गई और उसमें सवार आतंकवादियों ने उनकी छाती के बाईं ओर दो गोलियां और दाईं ओर एक गोली मारी। सूत्रों ने बताया कि बुरी तरह जख्मी अल्ताफ को हेलीकॉप्टर के जरिये सेना के बादामीबाग छावनी स्थित 92 बेस अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्होंने दम तोड़ दिया।
जैसे ही अल्ताफ की मौत की खबर फैली, पुलिस मुख्यालय में उदासी छा गई। पुलिस के आला अधिकारियों के अलावा मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद, पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, सेना, अर्धसैनिक बलों और वरिष्ठ खुफिया अधिकारियों ने अल्ताफ को श्रद्धांजलि दी। अल्ताफ एक कांस्टेबल के तौर पर जम्मू-कश्मीर पुलिस में शामिल हुए थे। अपनी पेशेवर काबिलियित की वजह से उन्हें 2007 और 2012 के बीच तीन तरक्की मिली थी।
कश्मीर से करीब 35 किलोमीटर दूर बांदीपुरा में अल्ताफ को गोली मारी गई। बाद में उन्होंने दम तोड़ दिया। शुरुआती जांच में संकेत मिले हैं कि वह लश्कर-ए-तैयबा की ओर से बिछाए गए जाल में फंस कर आतंकवादी संगठन के शिकार बने।
अल्ताफ '24 ऑवर ड्यूटी कॉप' यानी चौबीसों घंटे ड्यूटी करने वाले पुलिसकर्मी के तौर पर मशहूर थे। सुबह के वक्त वह आम दिनों की तरह अपने दफ्तर आए और तुरंत ही उन्हें लश्कर-ए-तैयबा के शीर्ष कमांडर अब्दुल रहमान उर्फ कासिम के बांदीपुरा इलाके में एक मकान में मौजूद होने की गुप्त सूचना मिली।
वह बिना देर किए अपने सरकारी वाहन से उस मकान की ओर रवाना हुए। जांच के दौरान चश्मदीदों ने बताया कि कुछ दूरी से एक पिक अप वैन उनके पीछे-पीछे चलने लगी। जब अल्ताफ अरगाम इलाके में एक सुनसान जगह पर पहुंचे, तो पिक अप वैन उनकी गाड़ी के आगे आ गई और उसमें सवार आतंकवादियों ने उनकी छाती के बाईं ओर दो गोलियां और दाईं ओर एक गोली मारी। सूत्रों ने बताया कि बुरी तरह जख्मी अल्ताफ को हेलीकॉप्टर के जरिये सेना के बादामीबाग छावनी स्थित 92 बेस अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्होंने दम तोड़ दिया।
जैसे ही अल्ताफ की मौत की खबर फैली, पुलिस मुख्यालय में उदासी छा गई। पुलिस के आला अधिकारियों के अलावा मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद, पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, सेना, अर्धसैनिक बलों और वरिष्ठ खुफिया अधिकारियों ने अल्ताफ को श्रद्धांजलि दी। अल्ताफ एक कांस्टेबल के तौर पर जम्मू-कश्मीर पुलिस में शामिल हुए थे। अपनी पेशेवर काबिलियित की वजह से उन्हें 2007 और 2012 के बीच तीन तरक्की मिली थी।
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