
- मध्यप्रदेश और राजस्थान में कफ सिरप के सेवन से 12 बच्चों की मौत की खबर बीते दिनों सामने आई है.
- जिसके बाद कफ सिरप को जांच के लिए दिल्ली, पुणे तक भेजा गया. लेकिन इस कफ सिरप सैंपल में कुछ संदिग्ध नहीं मिला.
- राजस्थान के चिकित्सा मंत्री ने कहा कि दवाएं सरकारी प्रिस्क्रिप्शन पर नहीं दी गईं और उनकी गुणवत्ता सही मिली.
Cough Syrup Case: मध्यप्रदेश और राजस्थान में बीते कुछ दिनों से कफ सिरप के कारण 12 बच्चों की मौत की खबर सामने आई है. एक-एक कर दम तोड़ते इन बच्चों की खबर से लोग डरे हुए हैं कि आखिर जान बचाने वाली दवा ही जहर क्यों बन रही? बच्चों की मौत के बाद सरकार ने पूरे बैच पर रोक लगा दी है. साथ ही शक के घेरे में आए कफ सिरप को जांच के लिए भेजा, जिसकी रिपोर्ट अब सामने आ गई है. दिल्ली में सीडीएससीओ, पुणे में वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट और मप्र सरकार ने 9 सैंपल की जांच पूरी की. जांच में किसी सैंपल में कुछ संदिग्ध नहीं मिला. अब राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) भी मामले की जांच कर रही है. दूसरी ओर इस मामले में सरकार की ओर से एक एडवाइजरी भी सामने आई है. जिसमें कहा गया है कि 2 साल से कम उम्र के बच्चों को सिरप नहीं पिलाएं.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने सिरप के उपयोग के लिए जारी की एडवाइजरी
- डायरेक्टर जनरल हेल्थ सर्विस डॉक्टर सुनीता शर्मा ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जारी की एडवाइजरी.
- बच्चों में होने वाली ज्यादातर खांसी की समस्या अपने आप ठीक हो जाती है और इसके लिए दवा की जरूरत नहीं पड़ती.
- 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को खांसी या जुकाम की सिरप बिल्कुल न दें.
- 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में भी इन दवाओं का उपयोग आम तौर पर ना करें.
- 5 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों में सिरप तभी दें जब डॉक्टर सलाह दे.
- सही मात्रा और कम से कम दिनों के लिए दवा दी जाए और एक साथ कई दवाओं का उपयोग न किया जाए.
- आम जनता को भी बताया जाए कि वे डॉक्टर की सलाह के बिना बच्चों को कोई सिरप न दें.
- डॉक्टर सिरप देने की बजाय सबसे पहले बिना दवा के राहत के उपाय के बारे में बच्चों को बताये.
- बच्चों को पर्याप्त पानी और तरल पदार्थ, आराम करने की सलाह और घरेलू और सहयोगी उपायों जैसे भाप लेना, गुनगुना पानी पीने की सलाह दें.
- DGHS ने स्वास्थ्य संस्थानों को निर्देश दिया की.
- सभी सरकारी और निजी स्वास्थ्य संस्थान यह सुनिश्चित करें कि अच्छी गुणवत्ता वाली कंपनियों से ही दवाएं खरीदी जाएं.
- दवाओं में केवल फार्मास्यूटिकल ग्रेड सामग्री का उपयोग हो.
- डॉक्टरों और फार्मासिस्टों को सही परामर्श और दवा देने के नियमों के प्रति जागरूक किया जाए.
- इन निर्देशों को केंद्र से लेकर जिले स्तर के अस्पताल, स्वास्थ्य केंद्र और मेडिकल कॉलेज में पालन किया जाए.
छिंदवाड़ा के परासिया ब्लॉक में 9 बच्चों की मौत
मालूम हो कि एमपी में सारी मौत छिंदवाड़ा के परासिया ब्लॉक में हुई हैं, फिलहाल 1420 बच्चों की लिस्ट है, जो सर्दी, बुखार और जुकाम से प्रभावित रहे हैं. बच्चों की मौत के पीछे जिन दो कफ सिरप, कोल्ड्रिफ (Coldrif) - Chennai और नेक्सा डीएस (Nexa DS) को जिम्मेदार बताया जा रहा था वो Himachal में बनता है. उन्हें प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले सरकारी डॉक्टरों ने भी अपने पर्चे में लिखा है.
24 अगस्त को सामने आया था पहला मामला
पहला संदिग्ध मामला 24 अगस्त को सामने आया था पहली मौत 7 सितंबर को हुई थी. मध्य प्रदेश और राजस्थान में कफ सिरप पीने से बच्चों की मौत के मामला सामने आया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, मामले की जांच जारी है. इस जांच की जिम्मेदारी राज्य औषधि प्राधिकरण को दी गई है. एनसीडीसी की शुरुआती रिपोर्ट में बताया गया है कि जांच किए गए लगभग 500 लोगों की रक्त जांच में कोई संक्रामक रोग नहीं मिला है.
जांच की प्रक्रिया अभी जारी है, और जो भी शुरुआती रिपोर्ट मिल रही हैं, उन्हें राज्य सरकार और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ साझा किया जा रहा है.

राजस्थान के मंत्री बोले- दवाओं की जांच हुई, गुणवत्ता सही मिली
दूसरी ओर राजस्थान में कफ सिरप के सेवन से बच्चों की मौत के मामले पर चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने कहा कि जिन दवाओं के कारण यह घटना हुई, वे किसी सरकारी चिकित्सक की लिखी नहीं गई थीं. यह दवा बच्चों को उनके परिजनों के स्तर पर दी गई थी. मंत्री ने स्पष्ट किया कि इस मामले में सरकारी तौर पर कोई भूमिका नहीं है. उन्होंने दवाओं की गुणवत्ता को सही बताया और कहा कि इसकी जांच करवा ली गई है. खींवसर ने बताया कि वह जयपुर से बाहर हैं लौटकर इस मामले में अधिकारियों से विस्तृत चर्चा करेंगे.
राजस्थान से जांच के पहला सैम्पल 29 सितम्बर को भेजा गया था, जिसकी जांच रिपोर्ट चिकित्सा विभाग के पास आ गई है. सरकार की लैब से जो जांच रिपोर्ट आई है, उसमें सभी सैंपल ओके पाए गए हैं. इसका मतलब यह की डेक्स्ट्रोमेथोर्फेन दवा का कोई भी सैंपल सब स्टैंडर्ड यानी अमानक नहीं था.
बड़ा सवाल- फिर बच्चों की मौत क्या था कारण?
शुरुआती जांच रिपोर्ट में कफ सिरप को क्लीन चिट मिलने के बाद अब सवाल यह है बच्चों की मौत का कारण क्या था? इस पर जिम्मेदारी के साथ फिलहाल किसी के पास कोई जवाब नहीं है. अधिकारियों को कहना है कि जांच अभी जारी है. अब देखना है कि नौनिहालों के दम तोड़ने का सिलसिला यही थमता है या फिर किसी मां की गोद सुनी होगी.
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