बिहार सरकार , उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से ख़फ़ा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के उस बयान के बाद कि राजस्थान के कोटा से तीन सौ बसों से उत्तर प्रदेश के छात्रों को लाने का मसला लॉकडाउन के अवधारणा के साथ अन्याय है, इसके बाद शनिवार को कमान नीतीश के मंत्रियों ने संभाली और अपने बयानों में राजस्थान और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को निशाने पर रखा. बिहार के भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी से ये पूछे जाने पर कि आख़िर जब उत्तर प्रदेश सरकार अपने राज्यों बच्चों को वापस ला रही हैं तो उनके पेट में दर्द क्यों हो रहा है, उस पर उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि पेट में दर्द हो रहा है वो भी हमारे बच्चे हैं और वो भी हिन्दुस्तानी हैं. लेकिन प्रधानमंत्री जी ने जब लॉकडाउन पूरे देश में लगाया था उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था जो जहां जो भी है वहीं रहेगा क्योंकि ये कोरोना वायरस किसी जाति धर्म, बुजुर्ग, बच्चों के बीच भेदभाव नहीं करता. लेकिन तब एक जगह से बच्चों को निकालना ग़लत है.
अशोक चौधरी ने कहा कि इसको देखकर नहीं लग रहा है कि लॉकडाउन को लेकर लोग गम्भीर हैं. सबसे बड़ी बात है हम किसी को लेकर आते हैं तो बेंगलुरु में भी बच्चे हैं विशाखापत्तनम में भी हैं, भुवनेश्वर में भी हैं,तो उनको हम क्यों छोड़ेंगे, बच्चे तो पूरे देश में हैं. उन्होंने कहा कि अगर आप एक शहर विशेष से लोगों को लायेंगे तो दूसरी जगह के लोग कहेंगे हमने क्या ग़लत किया कि हमें छोड़ दिया गया. ये तो फिर आप सभी जगहों से बच्चों को लेकर आते. साथ ही अब हमारे जो प्रवासी मज़दूर हैं उनका भी इंतजाम करें. फिर उनको कैसे छोड़ सकते थे.
चौधरी ने साफ़-साफ़ कहा कि योगी आदित्यनाथ और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का ये कदम प्रधानमंत्री के लॉगडॉन के उद्देश्य को पूरी तरह से ध्वस्त कर रहे हैं. यह पूरी तरीक़े से उसका माखौल उड़ाया जा रहा है. चौधरी ने कहा कि अब आप तो जानबूझकर भेदभाव करा रहे हैं. हम अपने प्रदेश के लोगों को सुरक्षित रख रहे हैं. पहले आपका नारा था पधारो ह्मारे देश और आज जब कोरोना की समस्या हुआ तो सबको लेके जाइए.
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