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This Article is From Jul 08, 2022

राष्ट्रीय ध्वज अधिनियम में संशोधन करने के फैसले को वापस ले सरकार : कांग्रेस

कांग्रेस प्रवक्ता ने पीएम मोदी पर आरोप लगाया कि उन्होंने योग दिवस के दिनने तिरंगे को गमछे की तरह इस्तेमाल किया. अजय कुमार ने कहा कि अगर पीएम को लगता है कि उन्होंने गलत किया है तो उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए.  

राष्ट्रीय ध्वज अधिनियम में संशोधन करने के फैसले को वापस ले सरकार : कांग्रेस
कांग्रेस ने तिरंगे के अपमान को लेकर मोदी सरकार को घेरा
नई दिल्ली:

कांग्रेस के प्रवक्ता डॉ अजय कुमार ने तिरंगे के अपमान को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा है कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम के लिए भाजपा के मन में कोई सम्मान नहीं है. याद रखना चाहिए कि 11 अगस्त 1942 को पटना सचिवालय में तिरंगा लगाने के लिए 6 लोगों को गोली मारी गई थी, वहां उनकी मूर्ति लगी है. उन्होंने अपना जीवन बलिदान कर दिया. वहीं दूसरी तरफ कर्नाटक बीजेपी के लीडर ने कहा है कि वो 20 साल में तिरंगे को बदल देंगे. वहीं मोदी जी ने तय कर रहे हैं कि झंडा पॉलिएस्टर से भी बन सकता है.

दरअसल, कांग्रेस का कहना है कि मोदी सरकार राष्ट्रीय ध्वज अधिनियम में संशोधन की तैयारी में है, जिसके तहत तिरंगा पॉलिएस्टर का भी बन सकेगा. इससे घर घर तिरंगा अभियान घर घर चीन अभियान बन जाएगा, क्योंकि चीन पॉलिएस्टर का सबसे बड़ा निर्माता है और वहां से पॉलिएस्टर का बड़ी मात्रा में आयात होगा और वहां के उद्योगपतियों को इससे फायदा होगा. ये खादी को खत्म करने की कोशिश है. सरकार को संशोधन करने के इस फैसले को वापस लेना है.

उन्होंने पीएम मोदी पर आरोप लगाया कि उन्होंने योग दिवस के दिनने तिरंगे को गमछे की तरह इस्तेमाल किया. अजय कुमार ने कहा कि अगर पीएम को लगता है कि उन्होंने गलत किया है तो उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए.  

कांग्रेस की ओर से जारी बयान
हमारी स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार ने पॉलिएस्टर निर्मित राष्ट्रीय ध्वज के निर्माण और आयात की अनुमति देने के लिए भारतीय झंडा संहिता में संशोधन करने का निर्णय लिया है. यह निर्णय इस कड़वी सच्चाई की याद दिलाता है कि हमारी छद्म राष्ट्रवादी सत्ताधारी पार्टी को हमारे स्वतंत्रता संग्राम की कोई समझ नहीं है. 

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस इस संशोधन को वापस लेने संबंधी कर्नाटक खादी ग्रामोद्योग संयुक्त संघ की मांग से सहमत है और 30 जुलाई 2022 को उनके द्वारा ध्वज सत्याग्रह आयोजित करने के फैसले का समर्थन करती है. 

भारतीय तिरंगा राष्ट्र की स्वतंत्रता और संप्रभुता का प्रतीक है. इसकी खादी दर्शाती है कि कैसे भारत के लोगों ने आत्मनिर्भरता, आध्यात्मिक विनम्रता, राष्ट्रीय अखंडता, सामाजिक समानता, सांप्रदायिक सद्भाव और अहिंसा के प्रतीक साधारण चरखे का उपयोग करके शक्तिशाली ब्रिटिश साम्राज्य को हराया था.  

इन मूल्यों का भाजपा और उसके पूर्ववर्तियों से कोई सरोकार नहीं हैं, जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में, राष्ट्रीय ध्वज के डिजाइन में या खादी को लोकप्रिय बनाने में कोई भूमिका नहीं निभाई. 

इसके विपरीत भाजपा हिंदू महासभा से प्रेरित है, जिसने राष्ट्रवादी ताकतों अर्थात कांग्रेस को नष्ट करने के लिए सिंध, बंगाल और उत्तर पश्चिम सीमा प्रांत में मुस्लिम लीग के साथ गठबंधन किया. 

इसके मूल संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने अपने नागपुर मुख्यालय पर तिरंगा फहराने से आधी सदी तक इनकार किया.

राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान की बात तो दूर इसने 26 जनवरी 2001 को आरएसएस के परिसर में तिरंगा फहराने के प्रयास में तीन कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करवाया था (मामला संख्या 176, नागपुर). भाजपा वही पार्टी है जिसके पदाधिकारियों का आतंकवादी समूहों में शामिल होना सर्विविदित है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद को भारत के खादी उद्योग के संरक्षक के रूप में पेश करना पसंद करते हैं और पिछले साल उन्होंने अपने 'मन की बात' संबोधन में भारतीयों से खादी उत्पाद खरीदने का आह्वान किया था. 

मशीन निर्मित और आयातित पॉलिएस्टर निर्मित झंडे के आयात की अनुमति देकर प्रधानमंत्री मोदी ने खादी से जुड़ी अंतर्निहित भावना और महात्मा गांधी की विरासत पर हमला किया है. अपने इस निर्णय से उन्होंने हजारों श्रमिकों का रोजगार ही नहीं छीना है, बल्कि हर घर तिरंगा अभियान का मज़ाक भी उड़ाया है और इसे हर घर में चीन का बना हुआ तिरंगा बनाकर रख दिया है. 

खादी का स्वयंभू पैरोकार खादी की मौत के उत्सव की अध्यक्षता करेगा और स्वयं को एक पॉलिएस्टर एकाधिकारी के रूप में प्रस्तुत करेगा. प्रधानमंत्री अन्य भारतीयों को 'वोकल फॉर लोकल' होने का ज्ञान बांटते हैं, लेकिन उनके अपने निर्णय 'शंघाई की महंगाई' की भावना से प्रेरित होते हैं, चाहे वह ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' के निर्माण के लिए कांस्य को आयात करना हो या चीन से 45% वृद्धि के साथ 2021-22 में रिकॉर्ड 94 अरब डॉलर के आयात का मामला हो.

अब उन्होंने ऐसे समय में चीन से भारतीय झंडों के बड़े पैमाने पर आयात के लिए दरवाजा खोल दिया है, जब चीनी सैनिकों ने लद्दाख में 1,000 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र पर कब्जा कर रखा है. कर्नाटक खादी ग्रामोद्योग संयुक्त संघ एकमात्र ऐसी इकाई है, जिसे खादी के राष्ट्रीय झंडे बनाने के लिए लाइसेंस प्राप्त है और इस निर्णय के परिणामस्वरूप यह बंद होने के कगार पर है. 

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर और राज्य स्तर पर इस संगठन द्वारा प्रस्तावित ध्वज सत्याग्रह से अपने आप को संबद्ध करते हुए सभी राष्ट्रवादी ताकतों से इसमें शामिल होने का आग्रह करती है.

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