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This Article is From Jun 16, 2020

'लाचार था, किसी ने नहीं समझा'.... अपनी मानसिक बीमारी पर बोले कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा

पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा ने बताया है कि वह भी एक जीवन में दो बार मानसिक बीमारी से गुजर चुके हैं. एनडीटीवी से बातचीत में उन्होंने कहा कि वह इस समस्या को डिप्रेशन (अवसाद) कहने की बजाए इसकी मानसिक बीमारी मानते हैं.

'लाचार था, किसी ने नहीं समझा'.... अपनी मानसिक बीमारी पर बोले कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा
कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा ने बताया कि वह मानसिक बीमारी से कैसे जूझे
नई दिल्ली:

पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा ने बताया है कि वह भी जीवन में दो बार मानसिक बीमारी से गुजर चुके हैं. एनडीटीवी से बातचीत में उन्होंने कहा कि वह इस समस्या को डिप्रेशन (अवसाद) कहने की बजाए इसकी मानसिक बीमारी मानते हैं. उन्होंने कहा, 16-17 साल की उम्र में मैं भी आत्महत्या जैसे विचारों का सामना कर चुका हूं. यह बहुत ही भयावह समय था क्योंकि कोई यह नहीं समझ पा रहा था कि मेरे साथ क्या गलत है. इसके बाद में दूसरी बार साल 2006-07 में जब मैं सांसद था तो दोबारा भी इस समस्या से जूझा'. उन्होंने कहा कि यह कहना गलत है कि जिन लोग सफल होते हैं उनको यह समस्या नहीं होती है. इस बीमारी से किसी को भी जूझना पड़ सकता है. कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा का कहना था कि मानसिक बीमारी उम्र, जेंडर, आर्थिक स्थिति और तमाम चीजों से परे होती है और यह किसी को भी हो सकती है. 

उन्होंने कहा कि इस बीमारी से जूझ रहे लोगों को हमेशा अपनों से, परिवार से, दोस्तों से और सहयोगियों के इस सवाल का सामना करना पड़ता है, आप क्यों डिप्रेश हैं'. उन्होंने बताया कि  जब मैं मेरा राजनीतिक करियर एक दम सफलता के चरम पर था तो भी इस समय बीमारी से जूझ रहा था. उन्होंने बताया कि इस मानसिक बीमारी के लिए सफलता या असफलता मायने नहीं रखती है.

मिलिंद देवड़ा ने कहा कि दिमाग की शरीर के बाकी अंगों की तरह होता है जैसे किडनी और लीवर. कुछ लोगों शराब नहीं पीते हैं फिर भी उनका लीवर खराब हो जाता है. कुछ लोग बहुत ही हेल्दी खाना खाते हैं फिर भी उनके पेट में अल्सर हो जाता है. वैसा ही कुछ दिमाग के साथ भी होता है. उन्होंने कहना था कि कई बार देखभाल के बाद भी दिमाग में समस्या हो जाती हैं जो मानसिक बीमारी का कारण बनती हैं. लेकिन इस बीमारी से उबरने के लिए दवाई हैं लेकिन आप को ऐसे लोगों से बात करनी होती है जो आपको समझ सकें.   उन्होंने बताया कि वो अब इस बीमारी से उबर चुके हैं क्योंकि वह इस जूझना सीख गए थे.

(आत्‍महत्‍या किसी समस्‍या का समाधान नहीं है. अगर आपको सहारे की जरूरत है या आप किसी ऐसे शख्‍स को जानते हैं जिसे मदद की दरकार है तो कृपया अपने नजदीकी मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य विशेषज्ञ के पास जाएं.)

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