पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी नई पार्टी बनाने को तैयारी कर रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि 6 जून को जोगी के करीब डेढ़ हजार समर्थक एकत्रित होंगे। जोगी उनसे चर्चा करने के बाद नई पार्टी का ऐलान कर सकते हैं। जोगी कांग्रेस में उनको महत्व न मिलने पार्टी हाईकमान से खफा हैं।
कांग्रेस के प्रति नाराजगी
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता अजीत जोगी जल्द ही कांग्रेस का साथ छोड़ सकते हैं। संकेत मिल रहे हैं कि जोगी जल्दी ही अपनी पार्टी का ऐलान कर सकते हैं। एक इंटरव्यू में अजीत जोगी ने पार्टी आलाकमान के खिलाफ अपनी नाराज़गी जाहिर करते हुए कहा कि अब 'भैंस के आगे बीन बजाने' का कोई फायदा नहीं है, और न ही दिल्ली जाने की कोई जरूरत है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी अब नेहरू, राजीव वाली पार्टी नहीं रही। इसमें जनाधार वाले लोगों को तरज़ीह नहीं दी जाती। जोगी का कहना है कि छत्तीसगढ़ में मौजूदा कांग्रेस, रमन सिंह की ही 'बी टीम' है।
आईएएस अधिकारी से बने राजनेता
अजीत जोगी छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रहे हैं। कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में एक जोगी पूर्व में प्रशासनिक अधिकारी थे। वे राजीव गांधी के करीबी रहे और 1986 में पहली बार राज्यसभा के लिए चुने गए। वे दो बार राज्यसभा और दो बार लोकसभा के लिए चुने गए। मध्यप्रदेश का बंटवारा होने के बाद छत्तीसगढ़ के वे पहले मुख्यमंत्री बने।
कांग्रेस के प्रति नाराजगी
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता अजीत जोगी जल्द ही कांग्रेस का साथ छोड़ सकते हैं। संकेत मिल रहे हैं कि जोगी जल्दी ही अपनी पार्टी का ऐलान कर सकते हैं। एक इंटरव्यू में अजीत जोगी ने पार्टी आलाकमान के खिलाफ अपनी नाराज़गी जाहिर करते हुए कहा कि अब 'भैंस के आगे बीन बजाने' का कोई फायदा नहीं है, और न ही दिल्ली जाने की कोई जरूरत है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी अब नेहरू, राजीव वाली पार्टी नहीं रही। इसमें जनाधार वाले लोगों को तरज़ीह नहीं दी जाती। जोगी का कहना है कि छत्तीसगढ़ में मौजूदा कांग्रेस, रमन सिंह की ही 'बी टीम' है।
आईएएस अधिकारी से बने राजनेता
अजीत जोगी छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रहे हैं। कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में एक जोगी पूर्व में प्रशासनिक अधिकारी थे। वे राजीव गांधी के करीबी रहे और 1986 में पहली बार राज्यसभा के लिए चुने गए। वे दो बार राज्यसभा और दो बार लोकसभा के लिए चुने गए। मध्यप्रदेश का बंटवारा होने के बाद छत्तीसगढ़ के वे पहले मुख्यमंत्री बने।
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