मुंबई:
अन्ना हज़ारे का मानना है कि उनके कांग्रेस विरोधी रुख और सभी दलों से अच्छे लोगों को निर्वाचित करने की जनता से उनकी अपील में वैचारिक असमंजस होने जैसी कोई स्थिति नहीं है। गांधवादी कार्यकर्ता को इस बात का भी कोई खेद नहीं है कि उनकी कांग्रेस विरोधी टिप्पणियों के चलते भाजपा को लाभ मिलने की संभावना है। हज़ारे ने कल घोषणा की थी कि यदि संसद के शीतकालीन सत्र में जनलोकपाल विधेयक पारित नहीं हुआ तो वह पांच राज्यों में कांग्रेस के खिलाफ अभियान चलायेंगे। उन्होंने बुधवार को एक मराठी समाचार चैनल की परिचर्चा में कहा, इसमें :मेरे रुख में: कोई वैचारिक असमंजस नहीं है। अगर यह असमंजस है तो फिर पी चिदंबरम और प्रणव मुखर्जी के बीच जो हुआ था, वह क्या था। वह किस तरह असमंजस था? उनसे पूछा गया था कि क्या एकतरफ उनके कांग्रेस विरोधी रुख और दूसरी तरफ सभी दलों से अच्छे लोगों को निर्वाचित करने की उनकी अपील के पीछे कोई विरोधाभास नहीं है। हज़ारे ने सवाल किया, दोनों मंत्रियों के बीच जो दिख रहा था वह क्या शीत युद्ध था? क्या वह सब विचाराधारा को लेकर था? देश को इससे क्या प्रेरणा लेनी चाहिये? क्या यही उनका वैचारिक स्तर है?