वैश्विक स्तर पर ऊर्जा की कीमतों में उछाल के साथ प्राकृतिक गैस की कीमतों में शुक्रवार को 40 प्रतिशत की रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई. इससे देश में बिजली उत्पादन, उर्वरक बनाने और वाहन चलाने में इस्तेमाल होने वाली गैस महंगी हो जाने की आशंका जताई गई है. दूसरी तरफ शनिवार को दिल्ली में कामर्शियल रसोई गैस सिलेंडर (Commercial LPG cylinder) के रिफिल की कीमत 25.5 रुपये कम कर दी गई है.
इंडियन ऑयल ने 19 किलोग्राम के कामर्शियल एलपीजी सिलेंडर की कीमत में कमी कर दी है. दिल्ली में कीमत 25.50 रुपये प्रति सिलेंडर घटी है. यह कीमत 1885 रुपये से घटकर 1859.50 रुपये प्रति रिफिल हो गई है. कोलकाता में कीमत 26 रुपये प्रति सिलेंडर घटी है. कोलकाता में अब कीमत 1959 रुपये और मुंबई में 1811 रुपये ह गई है.
कामर्शियल गैस की कीमत में एक जुलाई को दिल्ली में 2021 रुपये और कोलकाता में 2140 रुपये थी, छह जुलाई को इन शहरों में कीमत क्रमश: 2012.50 और 2132 थी. एक अगस्त को कीमत क्रमश: 1976.50 और 2095.50 थी. एक माह पहले एक सितंबर को दिल्ली में कीमत 1885 और कोलकाता में 1995.50 थी.
दुनिया में ऊर्जा की कीमतों में उछाल के साथ प्राकृतिक गैस की कीमतें शुक्रवार को 40 प्रतिशत बढ़ा दी गईं. तेल मंत्रालय के पेट्रोलियम योजना एवं विश्लेषण प्रकोष्ठ (PPAC) की तरफ से जारी आदेश के अनुसार, पुराने गैस क्षेत्रों से उत्पादित गैस के लिए भुगतान की जाने वाली दर को मौजूदा 6.1 डॉलर प्रति मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट (MBTU) से बढ़ाकर 8.57 डॉलर प्रति एमबीटीयू कर दिया गया है. इसी दर पर देश में उत्पादित गैस के लगभग दो तिहाई हिस्से की बिक्री होगी.
आदेश के मुताबिक, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और उसके भागीदार बीपी पीएलसी द्वारा केजी बेसिन में संचालित डी-6 ब्लॉक जैसे मुश्किल एवं नए क्षेत्रों से निकाली जाने वाली गैस की कीमत 9.92 डॉलर से बढ़ाकर 12.6 डॉलर प्रति इकाई कर दी गई है.
अप्रैल 2019 के बाद से गैस की दरों में यह तीसरी वृद्धि होगी. बेंचमार्क अंतरराष्ट्रीय कीमतों में मजबूती के कारण इनमें तेजी आई है. प्राकृतिक गैस उर्वरक बनाने के साथ बिजली पैदा करने के लिए एक प्रमुख कच्चा माल है. इसे सीएनजी में भी परिवर्तित किया जाता है और पाइप्ड नेचुरल गैस (PNG) यानी रसोई गैस के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है.
दरों में भारी वृद्धि से सीएनजी और पीएनजी की कीमतों में बढ़ोत्तरी होने की आशंका है, जो पहले से ही पिछले एक साल में 70 प्रतिशत से अधिक बढ़ चुकी हैं.
सरकार हर छह महीने यानी एक अप्रैल और एक अक्टूबर को गैस की कीमतें तय करती है. यह कीमतें अमेरिका, कनाडा और रूस जैसे गैस-अधिशेष देशों में एक साल में एक चौथाई के अंतराल के साथ प्रचलित दरों के आधार पर तय की जाती हैं. एक अक्टूबर से 31 मार्च की कीमत जुलाई 2021 से जून 2022 तक की औसत कीमत पर आधारित है. इस अवधि में वैश्विक स्तर पर दरें तेजी से बढ़ी हैं.
गैस की उच्च कीमतें मुद्रास्फीति को और भी बढ़ा सकती हैं जो पिछले आठ महीनों से आरबीआई के संतोषजनक स्तर से ऊपर चल रही है. सरकार ने मूल्य निर्धारण फार्मूले की समीक्षा के लिए एक समिति का भी गठन किया है. सूत्रों ने कहा कि प्राकृतिक गैस की कीमतों में वृद्धि से दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में सीएनजी और रसोई गैस की दरों में वृद्धि होने की संभावना है.
फिलहाल घरों में उपयोग होने वाली रसोई गैस की कीमतों में तो कोई परिवर्तन नहीं किया गया है लेकिन कामर्शियल उपयोग के लिए होटलों, रेस्टोरेंटों आदि में उपयोग की जाने वाली रसोई गैस के दाम घट गए हैं.
(इनपुट भाषा से भी)
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