प्रतीकात्मक चित्र
नई दिल्ली:
एक बुजुर्ग महिला से धोखाधड़ी के आरोपी कर्नल को कोर्ट मार्शल के बाद बर्खास्त कर दिया गया है. साथ ही तीन वर्ष के सश्रम कारावास की सजा भी सुनाई गई है. हालांकि कर्नल की सजा पर अभी पश्चिमी कमान के कमांडर और उसके बाद सेना प्रमुख की मुहर लगनी बाकी है. फिलहाल आरोपी कर्नल सेना से रिटायर हो चुका है, लेकिन कोर्ट मार्शल से सजा सुनाये जाने के बाद से ही वह जेल में बंद हैं.
मामला वर्ष 2008 का है. मैरी जोजफ नाम की एक बुजुर्ग महिला अपनी प्रॉपर्टी आर्मी वेलफेयर फंड में दान करना चाह रही थीं. ताकि उसका उपयोग शहीदों और उनके परिवार की बेहतरी के लिये किया जा सके. मैरी जोजफ ने इसके लिए सेना के वेलफेयर विंग में संपर्क किया. यहां तैनात एक कर्नल ने मैरी जोजफ को अपने भरोसे में लिया और उसे अपने साथ एक पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट बनाने की सलाह दी.
अमेरिका में 15 वर्ष नर्स की नौकरी करने के बाद वतन लौटी मैरी जोजफ को कर्नल की सलाह अच्छी लगी. ट्रस्ट बनने के बाद खुद कर्नल उसका सदस्य बन गया. हालांकि यह आर्मी एक्ट के खिलाफ है. क्योंकि कर्नल ने ट्रस्ट का सदस्य बनने के लिए सेना की अनुमति नहीं ली थी.
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कुछ दिनों बाद जब मैरी जोजफ को इस बात का पता चला कि कर्नल ने उनके साथ धोखाधड़ी की है और बेवकूफ बनाया है तब उन्होंने सेना मुख्यालय से संपर्क किया. धोखाधड़ी और पैसों की हेराफेरी की जानकारी दी. मैरी जोजफ की शिकायत के बाद सेना ने मामले की जांच शुरू की.
कर्नल के खिलाफ मेजर जनरल रैंक के अधिकारी की अगुवाई में कोर्ट मार्शल शुरू किया गया. जांच के दौरान कोर्ट ने कर्नल को दोषी माना और पद से बर्खास्त करने की सिफारिश की. दूसरी तरफ कर्नल ने अपने बचाव में कहा कि ट्रस्ट बनाने के लिए उसने खुद भी पैसे दान दिये थे. साथ ही ट्रस्ट से कई जवानों और उनके परिवार वालों की मदद की गई. उन्हें स्कूटर आदि दिया गया और कई सामाजिक गतिविधियां कराई गईं.
मामला वर्ष 2008 का है. मैरी जोजफ नाम की एक बुजुर्ग महिला अपनी प्रॉपर्टी आर्मी वेलफेयर फंड में दान करना चाह रही थीं. ताकि उसका उपयोग शहीदों और उनके परिवार की बेहतरी के लिये किया जा सके. मैरी जोजफ ने इसके लिए सेना के वेलफेयर विंग में संपर्क किया. यहां तैनात एक कर्नल ने मैरी जोजफ को अपने भरोसे में लिया और उसे अपने साथ एक पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट बनाने की सलाह दी.
अमेरिका में 15 वर्ष नर्स की नौकरी करने के बाद वतन लौटी मैरी जोजफ को कर्नल की सलाह अच्छी लगी. ट्रस्ट बनने के बाद खुद कर्नल उसका सदस्य बन गया. हालांकि यह आर्मी एक्ट के खिलाफ है. क्योंकि कर्नल ने ट्रस्ट का सदस्य बनने के लिए सेना की अनुमति नहीं ली थी.
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कुछ दिनों बाद जब मैरी जोजफ को इस बात का पता चला कि कर्नल ने उनके साथ धोखाधड़ी की है और बेवकूफ बनाया है तब उन्होंने सेना मुख्यालय से संपर्क किया. धोखाधड़ी और पैसों की हेराफेरी की जानकारी दी. मैरी जोजफ की शिकायत के बाद सेना ने मामले की जांच शुरू की.
कर्नल के खिलाफ मेजर जनरल रैंक के अधिकारी की अगुवाई में कोर्ट मार्शल शुरू किया गया. जांच के दौरान कोर्ट ने कर्नल को दोषी माना और पद से बर्खास्त करने की सिफारिश की. दूसरी तरफ कर्नल ने अपने बचाव में कहा कि ट्रस्ट बनाने के लिए उसने खुद भी पैसे दान दिये थे. साथ ही ट्रस्ट से कई जवानों और उनके परिवार वालों की मदद की गई. उन्हें स्कूटर आदि दिया गया और कई सामाजिक गतिविधियां कराई गईं.