साधना पटेल इस बार मुख्यमंत्री आनंदीबेन के विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रही हैं
नई दिल्ली:
गुजरात की मुख्यमंत्री और पटेल समाज से संबंध रखने वाली आनंदीबेन पटेल के लिए यह बड़ी चुनौती है। इस सप्ताह के आखिर में होने वाले स्थानीय निकाय चुनाव उनके लिए कड़ी परीक्षा इसलिए बन गए हैं क्योंकि पटेल समुदाय से जुड़ी दो महिलाएं इस बार कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में उतर रही हैं।
साधना पटेल और रेखा पटेल, राज्य में आरक्षण के मसले पर बड़ा आंदोलन छेड़ने वाले दो पटेल नेताओं की पत्नी है। इनके पति 22 वर्षीय हार्दिक पटेल के बेहद करीबी हैं और राजद्रोह के मामले में करीब एक माह से जेल में हैं। पटेल आंदोलन का चेहरा कहे जाने वाले हार्दिक के साथ ही इन्हें गिरफ्तार किया गया था। कुछ अन्य नेता भी स्थानीय निकाय चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर किस्मत आजमा रही हैं।
राज्य में करीब 16 फीसदी वोट हैं पटेलों के
पटेल समुदाय को गुजरात के धनवान और राजनीतिक रूप से प्रभावी समुदाय में आंका जाता है और राज्य में इनके वोट का प्रतिशत करीब 16 है। अब तक इस समुदाय का मजबूत समर्थक माना जाता था, लेकिन पटेल आंदोलन के बाद स्थिति कुछ बदली सी लग रही है। दरअसल यही बात राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी के लिए चिंता का कारण बन गई है और उसके लिए इन चुनाव का जीतना प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है।
कभी भाजपा की कार्यकर्ता रही हैं साधना
अमरीश पटेल की पत्नी साधना, आनंदी बेन के विधानसभा क्षेत्र घाटलोदिया से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में उतरी हैं। बहुत पुरानी बात नहीं है जब अमरीश और साधना, दोनों ही भाजपा के कर्मठ कार्यकर्ता थे, लेकिन साधना अब इन चुनाव को सत्तासीन दल से बदला लेने के जरिया मान रही हैं। वे कहती हैं, 'सरकार ने हमारी पाटीदार समुदाय पर अत्याचार किया। अब समुदाय की महिलाएं राजनीतिक तौर पर इसका बदला लेने के लिए आगे आई हैं।'
सौराष्ट्र से किस्मत आजमा रहीं रेखा
कांग्रेस पार्टी ने हार्दिक के सहयोगी नीलेश पटेल की पत्नी रेखा को भी सौराष्ट्र से मैदान में उतारा है। सात नगरीय निकायों, अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत, राजकोट, भावनगर और जामनगर में रविवार को चुनाव होंगे और इसमें आया कोई भी 'विपरीत परिणाम' मुख्यमंत्री आनंदीबेन के लिए झटका साबित हो सकता है।
साधना पटेल और रेखा पटेल, राज्य में आरक्षण के मसले पर बड़ा आंदोलन छेड़ने वाले दो पटेल नेताओं की पत्नी है। इनके पति 22 वर्षीय हार्दिक पटेल के बेहद करीबी हैं और राजद्रोह के मामले में करीब एक माह से जेल में हैं। पटेल आंदोलन का चेहरा कहे जाने वाले हार्दिक के साथ ही इन्हें गिरफ्तार किया गया था। कुछ अन्य नेता भी स्थानीय निकाय चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर किस्मत आजमा रही हैं।
राज्य में करीब 16 फीसदी वोट हैं पटेलों के
पटेल समुदाय को गुजरात के धनवान और राजनीतिक रूप से प्रभावी समुदाय में आंका जाता है और राज्य में इनके वोट का प्रतिशत करीब 16 है। अब तक इस समुदाय का मजबूत समर्थक माना जाता था, लेकिन पटेल आंदोलन के बाद स्थिति कुछ बदली सी लग रही है। दरअसल यही बात राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी के लिए चिंता का कारण बन गई है और उसके लिए इन चुनाव का जीतना प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है।
कभी भाजपा की कार्यकर्ता रही हैं साधना
अमरीश पटेल की पत्नी साधना, आनंदी बेन के विधानसभा क्षेत्र घाटलोदिया से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में उतरी हैं। बहुत पुरानी बात नहीं है जब अमरीश और साधना, दोनों ही भाजपा के कर्मठ कार्यकर्ता थे, लेकिन साधना अब इन चुनाव को सत्तासीन दल से बदला लेने के जरिया मान रही हैं। वे कहती हैं, 'सरकार ने हमारी पाटीदार समुदाय पर अत्याचार किया। अब समुदाय की महिलाएं राजनीतिक तौर पर इसका बदला लेने के लिए आगे आई हैं।'
सौराष्ट्र से किस्मत आजमा रहीं रेखा
कांग्रेस पार्टी ने हार्दिक के सहयोगी नीलेश पटेल की पत्नी रेखा को भी सौराष्ट्र से मैदान में उतारा है। सात नगरीय निकायों, अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत, राजकोट, भावनगर और जामनगर में रविवार को चुनाव होंगे और इसमें आया कोई भी 'विपरीत परिणाम' मुख्यमंत्री आनंदीबेन के लिए झटका साबित हो सकता है।
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