
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में चिंतन शिविर 2.0 का आयोजन हो रहा है. ये आयोजन IIM कैंपस में आज से शुरू हो गया है. आपको बता दें कि ये कोई आम आम सरकारी बैठक नहीं, बल्कि ऐसा मंच है जहां प्रदेश सरकार के सभी मंत्री अपने अनुभव, सीखी गई बातें और कामकाज से जुड़ी कहानियां एक-दूसरे के साथ साझा करेंगे. मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अगुवाई में आयोजित यह दो दिवसीय शिविर पूरी तरह से मंत्रियों के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसमें वे बीते डेढ़ साल के अपने सफर की समीक्षा करेंगे और आने वाले समय के लिए नई दिशा और प्रेरणा प्राप्त करेंगे.
इस चिंतन शिविर का उद्देश्य केवल बीते कार्यों पर विचार करना नहीं, बल्कि विकसित भारत @2047 के सपने को साकार करने में विकसित छत्तीसगढ़ की भूमिका को स्पष्ट रूप से तय करना है. इसके तहत मंत्री अपने-अपने विभाग में किए गए नवाचारों, जनसेवा के अनुभवों और आगे की योजनाओं को साझा करेंगे। इस दौरान सेवा, संकल्प और सीख के मूल मंत्र पर केंद्रित विशेष सत्रों का आयोजन भी होगा.
शिविर में देशभर से आए प्रतिष्ठित विषय विशेषज्ञ मंत्रियों को सुशासन, पारदर्शिता, डिजिटल प्रशासन, लोकसेवा की भावना, सांस्कृतिक चेतना और राष्ट्र निर्माण जैसे विषयों पर व्याख्यान देंगे. यह शिविर एक प्रकार की कार्यशाला बन गया है, जहां हर मंत्री कुछ नया सीख रहा है और खुद को बेहतर बना रहा है.
इस शिविर का एक विशेष आकर्षण है सुशासन से निर्वाचन तक” विषय पर आधारित सत्र, जिसमें नीति निर्माण की पारदर्शिता, जवाबदेही और जनकल्याण के सरोकारों पर चर्चा होगी. साथ ही, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय हाल ही में दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से हुई मुलाकात में मिले मार्गदर्शन से भी मंत्रियों को अवगत कराएंगे, जिससे केंद्र और राज्य की योजनाओं में बेहतर समन्वय स्थापित हो सके.
शिविर के एक सत्र में बस्तर जैसे पिछड़े क्षेत्रों में आ रहे सकारात्मक बदलाव पर भी फोकस रहेगा. बस्तर में बीते कुछ समय में पर्यटन, स्वरोजगार और इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में तेजी से विकास हुआ है. इन प्रयासों से वहां के युवाओं को नए अवसर मिल रहे हैं और क्षेत्र की पहचान भी बदल रही है. शिविर में मंत्रीगण अपने दौरे, निरीक्षण और योजनाओं के ज़मीनी अनुभवों को साझा करेंगे, जिससे यह समझने में मदद मिलेगी कि विकास केवल राजधानी तक सीमित नहीं, बल्कि राज्य के हर कोने तक पहुंचना चाहिए.
यह शिविर एक तरह से आत्ममंथन का अवसर भी है, जहां मंत्री अपने अब तक के फैसलों पर गौर करेंगे और यह सोचेंगे कि भविष्य में लोगों की जिंदगी को और कैसे बेहतर बनाया जा सकता है. मुख्यमंत्री साय की सोच स्पष्ट है कि हर मंत्री केवल विभाग प्रमुख नहीं, बल्कि विकास यात्रा के सहभागी, प्रेरक और जनता के लिए जवाबदेह जनसेवक हों.
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