चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग (Xi Jinping) आज भारत आएंगे और वह दूसरी बार पीएम मोदी (PM Modi) के साथ अनौपचारिक बैठक करेंगे. पहली बार यह मुलाकात चीन के वुहान में बीते साल अप्रैल में हुई थी. उस दौरान पीएम मोदी ने चीनी राष्ट्रपति को भारत आने का न्यौता दिया था. दोनों नेताओं की इस मुलाकात के दौरान कई कार्यक्रम होंगे. दोनों नेता महाबलिपुरम मंदिर जाएंगे. अनौपचारिक- डेलीगेशन स्तर की बात करेंगे और साथ में लंच और डिनर करेंगे. चीनी राष्ट्रपति ने हालही में पाकिस्तान के पीएम इमरान खान से भी मुलाकात की है. इस दौरान इमरान और उनके बीच कश्मीर के मुद्दे पर भी बात हुई और चीन ने यूएन चार्टर का हवाला दिया. बीजिंग ने बीते महीने यूएन जनरल असेंबली में भी कश्मीर के मुद्दे पर भारत की आलोचना की थी.
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच आमने-सामने की अहम बैठक शनिवार सुबह होगी. सरकार के सूत्रों ने कहा कि किसी भी समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर नहीं किए जाएंगे और कोई संयुक्त बयान जारी नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा, उद्देश्य, उच्चतम स्तर पर संपर्क बनाना और प्रमुख मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करना है.
- सूत्रों का कहना है कि आतंकवाद, उसकी ट्रेनिंग, फाइनेंशिंग, आतंकियों को मिलने वाले सहयोग जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी. इसके अलावा व्यापार, डिफेंस और बॉर्डर के मुद्दों पर भी चर्चा होगी. भारत चीन बॉर्डर को लेकर भी बातचीत की संभावना है.
- चीनी राष्ट्रपति शुक्रवार दोपहर 2 बजे चेन्नई पहुंचेंगे. यहीं से वह महाबलिपुरम जाएंगे. संभावना है कि पीएम मोदी उन्हें तीन प्राचीन स्मारकों को दिखाएंगे. ये तीन स्मारक अर्जुन्स पेनेन्स, पंच रथ और शोर टेंपल हैं. दोनों नेता शोर टेंपल में होने वाले सांस्कृतिक प्रोग्राम को भी देखेंगे.
- शनिवार सुबह दोनों नेता ताज फिशरमैन कोव रिजॉर्ट एण्ड स्पा में अनौपचारिक मुलाकात करेंगे. जिसके बाद प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता होगी. इसके बाद शी चिनफिंग के लिए लंच और डिनर का आयोजन किया गया है.
- पीएम मोदी और शी चिनफिंग के बीच पहली औपचारिक मुलाकात चीन के वुहान में हुई थी. बीते साल भारत और चीन के बीच चल रहे डोकलाम विवाद के 73 दिन के बाद यह मुलाकात हुई थी.
- यह मुलाकात इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे दोनों देशों की मिलिट्री को नई दिशा मिल सकती है. इससे पहले दोनों राष्ट्र इस बात पर सहमत थे कि सीमा पर शांति बनाए रखना द्विपक्षीय संबंधों में वृद्धि के लिए आवश्यक है.
- विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि वुहान अनौपचारिक शिखर सम्मेलन का विचार दोनों नेताओं के अस्ताना में मिलने और सहमत होने के बाद आया था और वह इस बात पर सहमत हुए थे कि द्विपक्षीय संबंध अनिश्चित दुनिया में स्थिरता का स्रोत होना चाहिए और उन्हें मतभेदों को विवाद नहीं बनने देना चाहिए.
- गुरुवार को बीजिंग ने कहा कि शी चिनफिंग ने "मूल हितों" से जुड़े मुद्दों पर पाकिस्तान को समर्थन देने का आश्वासन दिया था. राज्य के स्वामित्व वाली शिन्हुआ न्यूज एजेंसी ने भी उन्हें यह कहते हुए उद्धृत किया. हालांकि स्थिति का "सही और गलत" स्पष्ट था, भारत और पाकिस्तान को शांतिपूर्ण बातचीत के माध्यम से स्थिति को हल करना चाहिए.
- बाद में शाम को, राष्ट्रपति शी और इमरान खान की बैठक के बाद एक संयुक्त बयान में कहा गया कि जम्मू और कश्मीर को "संयुक्त राष्ट्र चार्टर के प्रस्तावों और द्विपक्षीय समझौतों के आधार पर उचित और शांत तरीके से हल किया जाना चाहिए."
- भारत ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, "भारत की स्थिति सुसंगत और स्पष्ट रही है कि जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. चीन हमारी स्थिति से अच्छी तरह अवगत है. यह भारत के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी करने के लिए अन्य देशों के लिए नहीं है." सरकार ने यह भी कहा कि जम्मू और कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाना भारत का आंतरिक मामला है.