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This Article is From Sep 22, 2020

चीन ने 3 साल में भारतीय सरहद के पास एयरबेस, एयर डिफेंस और हेलीपोर्ट की संख्या की दोगुनी : रिपोर्ट

रिपोर्ट में कहा गया है कि चीनी बुनियादी ढांचे से भारत पर क्या असर होगा, यह स्पष्ट रूप से दिखता है. एक बार इन बुनियादी ढांचों के पूरा हो जाने पर चीन को इन क्षेत्रों में अपनी गतिविधि बढ़ाने में मदद मिलेगी. 

चीन ने 3 साल में भारतीय सरहद के पास एयरबेस, एयर डिफेंस और हेलीपोर्ट की संख्या की दोगुनी : रिपोर्ट
भारतीय सीमा के पास चीन एयरबेस, एयर डिफेंस पोजिशन और हेलीपोर्ट्स की संख्या बढ़ा रहा है
नई दिल्ली:

भारत से लगती सीमा के पास चीन (China) के लगातार सैन्य जमावड़ा बढ़ाने की खबरें आती रहती हैं. इस बीच, एक रिपोर्ट से पता चला है कि पिछले तीन सालों में चीन भारतीय सीमा के पास एयरबेस, एयर डिफेंस पोजिशन और हेलीपोर्ट्स की संख्या में दोगुने से ज्यादा की बढ़ोतरी कर रहा है. इसे देखकर ऐसा लगता है कि 2017 में भारत और चीन के बीच डोकलाम में हुए गतिरोध के बाद चीन ने अपने रणनीति में बदलाव किया है. इससे, चीन को आगे चलकर अपने ऑपरेशंस को बढ़ाने में मदद मिल सकती है. 

चीन की सैन्य बुनियादी ढांचे के विस्तार से जुड़ी यह जानकारी एनडीटीवी को Stratfor की रिपोर्ट से मिली है. विश्व के दिग्गज भूराजनीतिक इंटेलीजेंस प्लेटफार्म Stratfor द्वारा यह रिपोर्ट है. इस रिपोर्ट में चीन के सैन्य बुनियादी ढांचे के निर्माण को सैन्य सुविधाओं की सैटेलाइट इमेज के विस्तृत विश्लेषण के जरिए रेखांकित किया गया है. इन सैन्य ढांचों का भारत की सुरक्षा पर सीधा असर पड़ सकता है. 

Stratfor के वरिष्ठ ग्लोबल एनालिस्ट और रिपोर्ट के लेखक सिम टैक ने कहा, "सीमा पर चीनी सैन्य सुविधाओं के निर्माण की टाइमिंग यह बताती है कि भारत और चीन के बीच लद्दाख में चला रहा गतिरोध चीन द्वारा बॉर्डर पर तनाव बढ़ाने के लिए किए जा रहे प्रयासों का एक हिस्सा है ताकि वह सीमावर्ती क्षेत्रों पर नियंत्रण स्थापित कर सके."    

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रिपोर्ट में कहा गया है, "गौर करने वाली बात है कि चीन की ओर से अपने सैन्य बुनियादी ढांचे में किया जा रहे उन्नयन (Upgrade) को पूरा होने में अभी काफी समय है. ज्यादातर मामलों में सैन्य बुनियादी ढांचों के विस्तार और निर्माण का काम अभी चल रहा है. भारत की सीमा पर हम आज जो चीनी सैन्य गतिविधि देख रहे हैं वो सिर्फ एक दीर्घकालिक उद्देश्य की शुरुआत है."

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रिपोर्ट में कहा गया है कि चीनी बुनियादी ढांचे से भारत पर क्या असर होगा, यह स्पष्ट रूप से दिखता है. एक बार इन बुनियादी ढांचों के पूरा हो जाने पर चीन को इन क्षेत्रों में अपनी गतिविधि बढ़ाने में मदद मिलेगी. 

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रिपोर्ट के मुताबिक, चीन भारतीय सीमा के नजदीक कम से कम 13 नई सैन्य पोजिशन (Positions) का निर्माण कर रहा है. जिसमें 3 एयर बेस, 5 स्थायी एयर डिफेंस पोजिशन और 5 हेलीपोर्ट्स (हेलीकॉप्टर के उड़ान या उतरने के लिए तैयार किए जाना वाला स्थान) शामिल हैं. इसमें कहा गया है कि इन नए हेलीपोर्ट्स में चार का निर्माण मई में लद्दाख गतिरोध के बाद शुरू किया गया है." 

रिपोर्ट कहती है, भारत के साथ लगती सीमा के साथ चीन का सैन्य निर्माण दक्षिण चीन सागर में हासिल अपने लक्ष्यों की ही तरह एक बड़ी रणनीति का हिस्सा है जहां बीजिंग ने पूर्ण विकसित एयरबेसों और नौसेना सुविधाएं विकसित की है. एशिया पैसिफिक के कई देशों ने बीजिंग के इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया है कि यह एरिया उसके अधिकार क्षेत्र में आता है. इस साल मई में भारत, जो कि अमेरिका के साथ अंतराष्‍ट्रीय जलमार्ग में नौपरिवहन (Navigation) की स्‍वतंत्रता का समर्थन करता है, ने कहा, 'दक्षिण चीन सागर ग्‍लोबल कामन्‍स का हिस्‍सा है  और भारत की इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिहाज से रुचि है. यह टिप्‍पणी बीजिंग के लिए परेशान करने वाली है क्‍योंकि वह भारत की अमेरिका के साथ करीबी रणनीतिक साझेदारी से   चिंतित है.' भारत के साथ लगती अपनी सीमा पर इसी तरह की रणनीति अख्तियार करने के पीछे चीन का उद्देश्‍य भविष्‍य में होने वाले सीमा विवादों के दौरान भारतीय प्रतिरोध या सैन्‍य कार्रवाई को हतोत्‍साहित करना और सैन्‍य संघर्ष के दौरान अपनी क्षमता को प्रदर्शित करना है. 

इस क्षेत्र में अपने सैन्‍य वर्चस्‍व के विस्‍तार के प्रयास में जुटे चीन का जोर अपनी वायुसेना की ताकत को मजबूती देना है. चीनी सेना इस समय मौजूदा एयरबेसों और अन्‍य सुविधाओं की भीतर चार ऐसी ही एयर डिफेंस पोजीशन का निर्माण कर रही है, इसमें अतिरिक्‍त रनवे और एयरक्राफ्ट शेल्‍टर शामिल है जो एयरबेस पर लड़ाकू विमानों की वास्‍तविक मौजदगी का अंदाज लगाने में परेशानी पेश करेंगे. इसी वर्ष मई में एनडीटीवी ने यह बताया था कि तिब्‍बत में नगारी-गुंसा एयरपोर्ट पर सैटेलाइट इमेज के जरिये भारी निर्माण गतिविधियों को देखा जा सकता है. यह स्‍थान पैगोंग लेक से केवल 200 किमी दूर स्थित है जिसके दोनों किनारों पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच गतिरोध की स्थिति है. इस बेस पर चीन के निर्माण चाइनीज पीपुल्‍स लिबरेशन आर्मी के जे-11 और जे-16 सहित एयरफोर्स फाइटर जेट तैनात कररना है जो सुखोई-30 लड़ाकू विमान का घरेलू रूप से विकसित वेरिएंट हैं. माना जाता है कि NDTV की इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने के बाद चीन का निर्माण और बढ़ा है.

वीडियो: चीन ने 3 साल में मिलिट्री इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाया, बॉर्डर पर डबल किए एयरबेस

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