देश के प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण ने बृहस्पतिवार को कहा कि हाल के समय में अदालत के फैसलों की गलत व्याख्या कर परपीड़ा से आनंद लेने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि हुई है और उच्च पदों पर बैठे लोगों पर लांछन लगाने का चलन बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि सभी लोग न्यायपालिका के तब तक मित्र हैं जब तक वे अपनी सीमा पार नहीं करते. यहां तेलंगाना उच्च न्यायालय में 32 नए न्यायिक जिलों को आरंभ करने संबंधी समारोह में न्यायमूर्ति रमण ने अपने संबोधन में कहा कि न्यायपालिका ऐसी प्रणाली नहीं है जो कुछ वर्गों के स्वार्थी उद्देश्यों के लिए काम करे और 'कुछ दोस्तों' को यह याद रखना चाहिए कि न्यायपालिका संविधान के अनुसार हमेशा लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों को बनाए रखने के लिए काम करती है.
न्यायमूर्ति रमण ने राष्ट्रीय न्यायिक अवसंरचना निकाय का गठन न होने पर असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि कुछ राज्यों ने मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के हाल ही में आयोजित संयुक्त सम्मेलन के दौरान इस संबंध में एक सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित करने का अवसर खो दिया. प्रधान न्यायाधीश बनने के बाद न्यायमूर्ति रमण ने ही राष्ट्रीय न्यायिक अवसंरचना निकाय के गठन का विचार रखा था.
न्यायमूर्ति रमण ने कहा, ‘‘न्यायपालिका के लिए समाज और व्यवस्था के लाभ अत्यंत महत्वपूर्ण हैं. हाल के दिनों में उच्च पदों पर बैठे लोगों को बदनाम करना आसान हो गया है. जो लोग व्यवस्था के माध्यम से अपने स्वार्थी लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर सके, वे न्यायालयों के निर्णयों की गलत व्याख्या कर रहे हैं जिसके माध्यम से परपीड़ा से आनंद लेने उठाने वालों की संख्या भी बढ़ रही है. यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रम है.''
उन्होंने कहा, ‘‘सभी न्यायपालिका के दोस्त हैं, जब तक कि वे अपनी सीमाएं नहीं लांघते. अपनी हदें पार करने वालों को बख्श देना संविधान के खिलाफ है. मैं उन दोस्तों से अनुरोध करता हूं कि वे इसे ध्यान में रखें.''
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