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चेन्नई के स्टार्ट-अप ने 5वीं कोशिश में रॉकेट लॉन्चिंग कर इतिहास रचा, पीएम मोदी ने की तारीफ

इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने एनडीटीवी से बातचीत में निजी अंतरिक्ष स्टार्ट-अप अग्निकुल कॉसमॉस का रॉकेट लॉन्च "सफल" होने की पुष्टि की

चेन्नई के स्टार्ट-अप ने 5वीं कोशिश में रॉकेट लॉन्चिंग कर इतिहास रचा, पीएम मोदी ने की तारीफ
चेन्नई के स्टार्ट-अप के युवा इंजीनियरों की टीम ने उल्लेखनीय धैर्य दिखाया.

भारत के निजी अंतरिक्ष स्टार्ट-अप अग्निकुल कॉसमॉस (Agnikul Cosmos) ने आज अग्निबाण एसओआरटीईडी (सबऑर्बिटल टेक डेमोस्ट्रेटर), यानी SOrTeD (Suborbital Tech Demonstrator) नाम के अपने रॉकेट का परीक्षण किया. यह एक ऐसे इंजन द्वारा संचालित है जिस पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) फिलहाल महारत हासिल करने की कोशिश कर रहा है. 

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने घोषणा की है कि चेन्नई में स्थित स्टार्ट-अप ने सुबह 7.15 बजे रॉकेट को सफलतापूर्वक लॉन्च किया. इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने एनडीटीवी से बातचीत में प्रक्षेपण "सफल" होने की पुष्टि की. 

इसरो ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा- "Agnibaan SoRTed-01 मिशन के लॉन्च पैड से सफल प्रक्षेपण के लिए AgnikulCosmos को बधाई. यह एक बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग के जरिए पहली बार सेमी-क्रायोजेनिक लिक्विड इंजन की नियंत्रित उड़ान संभव हुई." आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर और अग्निकुल के मेंटर सत्य आर चक्रवर्ती ने भी कहा कि श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपण सफल रहा.

अग्निकुल ने सफल लॉन्चिंग के बाद एक बयान में कहा, "श्रीहरिकोटा में एसडीएससी-एसएचएआर (SDSC-SHAR) के भीतर हमारे अपने और भारत के पहले और एकमात्र निजी लॉन्चपैड से अग्निबाण एसओआरटीईडी (SOrTeD) के हमारे पहले उड़ान मिशन 01 के सफल समापन की घोषणा करते हुए बहुत खुशी हो रही है. इस कंट्रोल्ड वर्टिकल चढ़ाई वाली उड़ान के सभी मिशन उद्देश्य पूरे हो गए और इसका प्रदर्शन सामान्य रहा. व्हीकल को पूरी तरह से इन-हाउस डिजाइन किया गया था और यह दुनिया के पहले सिंगल पीस 3डी प्रिंटेड इंजन द्वारा संचालित था. यह सेमी क्रायो इंजन के साथ भारत की पहली उड़ान भी थी."

बयान में कहा गया, "हम @INSPACeIND, इसरो, आईआईटी मद्रास और हमारी अविश्वसनीय रूप से प्रतिबद्ध टीम को धन्यवाद देते हैं, जिसने हमें यह साबित करने में मदद की कि एक प्राइवेट प्लेयर भारत में मूल अंतरिक्ष तकनीक हार्डवेयर डिजाइन कर सकता है और उड़ा सकता है. मेड इन इंडिया, दुनिया के लिए."

उपलब्धि पूरे देश को गौरवान्वित करेगी : पीएम मोदी
अग्निकुल की इस उपलब्धि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी तारीफ की. उन्होंने एक्स पर पोस्ट में लिखा, "एक उल्लेखनीय उपलब्धि जो पूरे देश को गौरवान्वित करेगी! दुनिया के पहले सिंगल-पीस 3डी प्रिंटेड सेमी-क्रायोजेनिक इंजन द्वारा संचालित अग्निबाण रॉकेट का सफल प्रक्षेपण भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है और हमारी युवा शक्ति की उल्लेखनीय सरलता का प्रमाण है। AgnikulCosmos टीम को उनके भविष्य के प्रयासों के लिए मेरी शुभकामनाएं."

तकनीकी गड़बड़ियों के कारण लॉन्चिंग की चार योजनाओं के रद्द होने के बाद पांचवें प्रयास में रॉकेट की सफल लॉन्चिंग हो सकी. रॉकेटरी कमजोर दिल वालों के लिए नहीं है. चेन्नई के स्टार्ट-अप के युवा इंजीनियरों की टीम ने उल्लेखनीय धैर्य दिखाया. जब भी कोई गड़बड़ी हुई और उनकी योजना विफल हुई, उन्होंने वापस फिर से प्रयास शुरू किए.

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575 किलोग्राम वजन का 6.2 मीटर लंबा रॉकेट
आईआईटी-मद्रास में इनक्यूबेट किए गए इस स्टार्ट-अप की यह पहली परीक्षण उड़ान थी. इसकी स्थापना 2017 में दो युवा एयरोस्पेस इंजीनियरों ने "एक ऐसी जगह बनाने के सपने के साथ की थी जहां लोग फायर का इस्तेमाल करना सीखें."

इस 575 किलोग्राम वजन के और 6.2 मीटर लंबे रॉकेट ने श्रीहरिकोटा से उड़ान भरी और फिर बंगाल की खाड़ी में गिरा.

अग्निकुल कॉसमॉस प्राइवेट लिमिटेड के को-फाउंडर मोइन एसपीएम ने कहा कि अग्निबाण एसओआरटीईडी एक अर्ध-क्रायोजेनिक इंजन द्वारा संचालित है. इसमें मुख्य रूप से व्यावसायिक रूप से उपलब्ध विमानन टरबाइन फ्यूल, केरोसिन और मेडिकल ग्रेड तरल ऑक्सीजन का उपयोग किया जाता है.

खास इंजन के उपयोग में चेन्नई का स्टार्ट अप नंबर वन 
इसरो ने उड़ान में कभी सेमी-क्रायोजेनिक इंजन का उपयोग नहीं किया है. इसरो 2000 kN थ्रस्ट सेमी-क्रायोजेनिक इंजन डेवलप कर रहा है और इसका पहला इग्नीशन ट्रायल दो मई को सफलतापूर्वक किया गया था. चेन्नई के इस स्टार्ट-अप ने वह हासिल किया है जो किसी अन्य भारतीय निजी फर्म को हासिल नहीं हो सका.

केंद्र के अंतरिक्ष विभाग के तहत इंडियन नेशनल स्रपेस प्रमोशन एंड अथराइजेशन सेंटर (IN-SPACe) के चेयरपर्सन और मैकेनिकल इंजीनियर डॉ पवन गोयनका कहते हैं कि अग्निकुल ने भारतीय निजी क्षेत्र द्वारा निर्मित पहला अर्ध-क्रायोजेनिक और 3डी प्रिंटेड इंजन पेश किया है. उन्होंने कहा कि, "जब भारत के स्टार्ट-अप द्वारा कामर्शियल लॉन्च शुरू किए जाएंगे, तो यह साहसिक इनवेशन एक महत्वपूर्ण अंतर पैदा कर सकता है."

दुनिया का पहला सिंगल पीस 3डी प्रिंटेड इंजन
स्पेस स्टार्ट-अप के को-फाउंडर श्रीनाथ रविचंद्रन ने कहा, "यह लॉन्चिंग महत्वपूर्ण है क्योंकि यह निजी लॉन्चपैड से भारत का पहला प्रक्षेपण है और रॉकेट में दुनिया का पहला सिंगल पीस 3डी प्रिंटेड इंजन है, जिसे स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित किया गया है." इसरो ने 9 मई को अपने पहले 3डी प्रिंटेड इंजन का जमीनी परीक्षण किया था.

अग्निबाण का विशेष 3डी प्रिंटेड इंजन किस तरह गेम-चेंजर साबित हो सकता है, इस बारे में मोइन ने एनडीटीवी से कहा कि, यह सिंगल-पीस इक्विपमेंट है और 3डी प्रिंटिंग तकनीक का उपयोग करके ऐसे इंजनों के लिए क्वालिटी टेस्टिंग का समय बहुत कम हो जाता है.

इंजन का फ्यूल आसानी से उपलब्ध
यह इंजन व्यावसायिक रूप से उपलब्ध एविएशन टरबाइन फ्यूल और लिक्विड ऑक्सीजन से संचालित होता है. उन्होंने कहा कि यह एक सस्ता और आसानी से उपलब्ध नॉन-कोरोसिव फ्यूल है जिसे आसानी से हासिल किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि इससे न्यूनतम सुविधाओं के साथ कई स्थानों से रॉकेट लॉन्च करना भी आसान होगा.

पहली बार यह भी हुआ कि अग्निकुल को श्रीहरिकोटा द्वीप पर समुद्र के पास एक विशेष लॉन्चपैड बनाने की इजाजत मिल गई है. इसमें उसका अपना कंट्रोल रूम होगा. यह इसरो की ओर से भारतीय अंतरिक्ष कंपनियों के लिए व्यापार करना आसान करने के लिए उपलब्ध कराई जा रही सुविधाओं का एक हिस्सा है.

भारतीय अंतरिक्ष कंपनी स्काईरूट एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किए गए पहले प्रक्षेपण के बाद अग्निकुल इस रास्ते पर आगे बढ़ा है. स्काईरूट ने 2022 में श्रीहरिकोटा से एक ठोस ईंधन वाला साउंडिंग रॉकेट उड़ाया था. अग्निबाण रॉकेट की सफलता के बाद अग्निकुल को उम्मीद है कि वह मांग के मुताबिक लॉन्चिंग कर सकेगा और 30 से 300 किलोग्राम वजनी सैटेलाइटों को अंतरिक्ष में लॉन्च कर सकेगा.

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