चेन्नई में तेल रिसाव 20 किमी तक फैला, पर्यावरणविद बोले- "बहुत देरी कर दी..."

तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को जांच के दौरान सीपीसीएल में पर्याप्त तूफानी जल प्रबंधन की व्‍यवस्‍था में खामियां देखने को मिली. इसी के कारण पिछले सप्ताह चक्रवात मिगजॉम के दौरान आई बाढ़ के बीच तेल का रिसाव हुआ.

चेन्नई में तेल रिसाव 20 किमी तक फैला, पर्यावरणविद बोले-

चेन्नई पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (सीपीसीएल) की रिफाइनरी से हो रहा तेल रिसाव अभी तक रुक नहीं पाया है. रिफाइनरी से तेल रिसाव होते हुए लगभग एक सप्‍ताह गुजर गया है. तट रक्षक अधिकारियों  ने बताया कि चेन्नई में तेल रिसाव अब समुद्र में 20 वर्ग किलोमीटर से ज्‍यादा तक फैल चुका है. 

चेन्नई के पर्यावरण के प्रति संवेदनशील एन्नोर क्रीक का कहना है कि नुकसान और भी बदतर होता जा रहा है. कोसास्थलैयार नदी पर तेल तैर रहा है. समुद्र तट के किनारे कई स्थानों पर टार के गोले और तेल की मोटी परतें देखी जा सकती हैं. तटों और मछली पकड़ने वाली नौकाओं पर तेल के निशान भी देखे जा सकते हैं.

तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को जांच के दौरान सीपीसीएल में पर्याप्त तूफानी जल प्रबंधन की व्‍यवस्‍था में खामियां देखने को मिली. इसी के कारण पिछले सप्ताह चक्रवात मिगजॉम के दौरान आई बाढ़ के बीच तेल का रिसाव हुआ.

एक मछुआरे सुरेश ने बताया, "इस क्षेत्र में अब मछलियां नहीं हैं, वे सभी मर चुकी हैं. हमारी आजीविका ख़त्म हो गई है."

तेल बूमर्स, स्किमर्स और गली सकर जैसी स्पिल रोकथाम विधियों को अंततः रिसाव रोकने के लिए शुरू किया गया है. हालांकि, पर्यावरणविद् नित्यानंद जयारमन ने कहा कि अब बहुत बहुत देर हो चुकी है... उन्होंने कहा, "उन्हें पहले तेल बूमर लगाना चाहिए था और रिसाव को रोकना चाहिए था, लेकिन उन्होंने जांच करने में बहुत देरी कर दी. पर्यावरण के प्रति संवेदनशील खाड़ी को अब सबसे अधिक नुकसान होगा."

तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सीपीसीएल को तेल रिसाव वाले हॉटस्पॉट की मैपिंग करने और उपचारात्मक उपाय लागू करने का निर्देश दिया है. शून्य रिसाव सुनिश्चित करने के लिए कड़े निर्देश जारी किए गए हैं, उल्लंघन करने पर परिचालन निलंबन का खतरा मंडरा रहा है.

अधिकारियों का कहना है कि वे उन लोगों को मुआवजा देने के लिए काम कर रहे हैं, जिन्हें रिसाव के कारण संपत्ति का नुकसान या स्वास्थ्य संबंधी कोई खतरा हुआ है् चक्रवात मिगजॉम के कारण आई बाढ़ के दौरान तेल से दूषित बाढ़ का पानी सैकड़ों घरों में घुस गया. इसके बाद कई क्षेत्रों के निवासियों ने श्वसन संबंधी समस्याओं और त्वचा पर चकत्ते और संक्रमण की सूचना दी.

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