रूस का लूना-25 स्पेसक्राफ्ट (Luna-25) चांद पर लैंडिंग के पहले ही क्रैश हो चुका है. ऐसे में चंद्रयान-3 मिशन के जरिए भारत के पास सबसे पहले चांद के साउथ पोल पर पहुंचने का मौका है. चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) को 23 अगस्त को शाम 6:04 बजे 25 Km की ऊंचाई से चंद्रमा के साउथ पोल पर लैंड कराने की कोशिश की जाएगी. हालांकि, इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेश (ISRO) के वैज्ञानिक के मुताबिक, अगर 23 अगस्त को लैंडर मॉड्यूल में कोई दिक्कत आती है, तो ऐसे में 23 के बजाय 27 अगस्त को लैंडिंग कराई जाएगी.
अहमदाबाद स्थित स्पेस एप्लीकेशन सेंटर-इसरो (Space Applications Centre-ISRO) के डायरेक्टर नीलेश एम. देसाई ने कहा कि चंद्रयान-3 की लैंडिंग के बारे में फैसला लैंडर मॉड्यूल की कंडीशन और चंद्रमा पर स्थितियों के आधार पर लिया जाएगा. उन्होंने आगे कहा, "23 अगस्त को चंद्रयान-3 के चंद्रमा पर उतरने से दो घंटे पहले हम लैंडर मॉड्यूल की स्थिति और चंद्रमा पर स्थितियों के आधार पर यह तय करेंगे कि उस समय इसे उतारना उचित होगा या नहीं. अगर कोई भी कारक अनुकूल नहीं लगता है, तो हम लैंडिंग स्थगित करेंगे और 27 अगस्त को लैंडिंग कराई जाएगी. हालांकि, मुझे फिलहाल लगता है कि कोई समस्या नहीं होनी चाहिए. हम 23 अगस्त को ही चंद्रयान-3 की चांद के साउथ पोल पर लैंडिंग कराने में कामयाब होंगे."
फाइनल डीबूस्टिंग ऑपरेशन पूरा हुआ
इससे पहले चंद्रयान-3 का दूसरा और फाइनल डीबूस्टिंग ऑपरेशन रविवार रात 1 बजकर 50 मिनट पर पूरा हुआ था. इस ऑपरेशन के बाद लैंडर की चंद्रमा से न्यूनतम दूरी 25 किमी और अधिकतम दूरी 134 किलोमीटर रह गई है. डीबूस्टिंग में स्पेसक्राफ्ट की स्पीड को धीमा किया जाता है.
इसरो के अध्यक्ष ने केंद्रीय मंत्री को दी जानकारी
वहीं, इसरो के अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग के सचिव एस सोमनाथ ने सोमवार को दिल्ली में केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान और प्रौद्योगिकी, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष जितेंद्र सिंह से मुलाकात की. उन्होंने केंद्रीय मंत्री को 'चंद्रयान -3' की स्थिति और लैंडिंग की तैयारियों से वाकिफ कराया.
चंद्रमा के फार साइड की तस्वीरें ली
इसरो ने चंद्रमा की फार साइड यानी ऐसा इलाका जो पृथ्वी से कभी नहीं दिखता, उसकी तस्वीरें शेयर की हैं. इसे चंद्रयान-3 में लगे लैंडर हैजार्ड डिटेक्शन एंड एवॉयडेंस कैमरे (LHDAC) से 19 अगस्त 2023 को खींचा गया
चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर और चंद्रयान-3 के लैंडर के बीच हुई 'दोस्ती'
इससे पहले सोमवार को ही इसरो ने बताया कि चंद्रयान-2 मिशन के ऑर्बिटर और चंद्रयान-3 के लैंडर के बीच कम्युनिकेशन हो गया है. टु-वे कम्युनिकेशन के स्थापित होने के बाद ऑर्बिटर ने लैंडर से कहा- 'स्वागत है दोस्त!'
14 जुलाई को हुई थी लैंडिंग?
इसरो ने 14 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-3 को लॉन्च किया था. 22 दिन के सफर के बाद चंद्रयान 5 अगस्त को शाम करीब 7:15 बजे चंद्रमा की कक्षा में पहुंचा था. तब उसकी स्पीड कम की गई थी, ताकि यान चंद्रमा की ग्रैविटी में कैप्चर हो सके. स्पीड कम करने के लिए इसरो वैज्ञानिकों ने यान के फेस को पलटकर थ्रस्टर 1,835 सेकेंड यानी करीब आधे घंटे के लिए फायर किए थे. इससे पहले 17 अगस्त को चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को लैंडर-रोवर से अलग किया गया था. इस दौरान लैंडर पर लगे कैमरे ने प्रोपल्शन मॉड्यूल की फोटो के साथ चंद्रमा की भी तस्वीरें खींचीं.
23 अगस्त को ही लैंडिंग क्यों?
अभी चंद्रमा पर रात है और 23 तारीख को सूर्योदय होगा. चंद्रयान-3 के लैंडर-रोवर दोनों ही पावर जेनरेट करने के लिए सोलर पैनल यूज करेंगे. इसलिए 23 तारीख को ही लैंडिंग के लिए चुना गया है.
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