भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा कि पृथ्वी की कक्षा में चंद्रयान-2 का पहला ‘कक्षीय उत्थापन' यानी कि ऑर्बिटल एलिवेशन बुधवार को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया. ‘कक्षीय उत्थापन' किसी यान को कक्षा में ऊपर उठाने के काम को कहा जाता है. इसरो ने बताया कि यान को धरती की 170x45,475 किलोमीटर वाली अंडाकार कक्षा में स्थापित किए जाने के दो दिन बाद आज अपराह्न दो बजकर 52 मिनट पर 27 सेकंड की ‘फायरिंग' अवधि के दौरान ‘ऑन बोर्ड' प्रणोदन प्रणाली के जरिए पहले ‘कक्षीय उत्थापन' अभियान को अंजाम दिया गया.
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अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि नई कक्षा अब 230 X 45163 किलोमीटर की होगी। इसरो ने कहा कि दूसरे ‘कक्षीय उत्थापन' अभियान को शुक्रवार रात लगभग एक बजे अंजाम दिया जाएगा. भारत ने सोमवार को देश के दूसरे चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-2' का श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सफल प्रक्षेपण किया था. प्रक्षेपण के 16 मिनट बाद ‘बाहुबली' कहे जाने वाले रॉकेट जीएसएलवी मार्क ।।। एम 1 ने यान को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित कर दिया था. यान को चांद के नजदीक ले जाने के लिए अगले सप्ताहों में कई सिलसिलेवार ‘कक्षीय उत्थापन' अभियानों को अंजाम दिया जाएगा और सात सितंबर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में रोवर की ‘सॉफ्ट लैंडिंग' कराई जाएगी जहां अब तक कोई देश नहीं पहुंचा है.
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यदि सबकुछ सही रहता है तो रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत चंद्रमा पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग' करने वाला चौथा देश बन जाएगा. इसरो ने कहा कि पृथ्वी की कक्षा से संबंधित उत्थापन अभियान चरणों को बुधवार से अंजाम दिया जाएगा और यह 14 अगस्त 2019 को यान को चंद्रमा की ओर जाने वाले प्रक्षेपण पथ पर डाले जाने के साथ संपन्न होगा. इसके बाद चंद्रयान-2 आगे बढ़ते हुए चांद पर पहुंचेगा. चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर चांद की कक्षा में चक्कर लगाएगा, जबकि ‘विक्रम' लैंडर चांद की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग' करेगा. इसके बाद लैंडर के अंदर से रोवर ‘प्रज्ञान' बाहर निकलेगा और अपना सतही अन्वेषण कार्य शुरू करेगा.
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