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अब सरकारी कैंटीन में दिखेगा "तेल-चीनी का हिसाब", मोटापे के खिलाफ बड़ा कदम

केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव ने इस पहल को पीएम मोदी की मुहिम से भी जोड़ा है. उन्होंने लिखा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीवनशैली में बदलाव लाकर मोटापे से निपटने का आह्वान किया है.

अब सरकारी कैंटीन में दिखेगा "तेल-चीनी का हिसाब", मोटापे के खिलाफ बड़ा कदम
  • केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सरकारी कार्यालयों और मंत्रालयों की कैंटीन में तेल और चीनी की मात्रा की जानकारी देने के निर्देश जारी किए हैं.
  • भारत में मोटापे की समस्या तेजी से बढ़ रही है, जिससे डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और अन्य गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ता जा रहा है.
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिट इंडिया मूवमेंट के तहत जीवनशैली में बदलाव और तेल की खपत में कमी की अपील की है.
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सरकारी दफ्तरों और मंत्रालयों की कैंटीन में अब जल्द ही समोसा, डोसा या जलेबी के साथ ये भी लिखा होगा कि उसमें कितना तेल और चीनी का इस्तेमाल किया गया है. इसको लेकर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी मंत्रालयों और सरकारी संस्थानों को नई एडवाइजरी जारी की है.

क्यों उठाया गया ये कदम?

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलील श्रीवास्तव ने पत्र में लिखा है कि भारत में व्यस्कों और बच्चों में मोटापा तेजी से बढ़ रहा है. एनएफएचएस-5 (2019-21) के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में पांच में से एक से अधिक वयस्क अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त हैं. बचपन में मोटापे की व्यापकता खराब खान-पान की आदतों और कम शारीरिक गतिविधियों से प्रभावित होती है. इसके चलते डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, दिल की बीमारियों और कुछ कैंसर जैसी गैर-संचारी बीमारियों का खतरा भी बढ़ गया है. यह मानसिक स्वास्थ्य, गतिशीलता और जीवन की गुणवत्ता को भी प्रभावित करता है, और स्वास्थ्य देखभाल की बढ़ती लागत और उत्पादकता में कमी के जरिए भारी आर्थिक बोझ डालता है. इन प्रवृत्तियों को उलटने के लिए शुरुआती रोकथाम और स्वास्थ्य संवर्धन महत्वपूर्ण हैं.

2050 तक 45 करोड़ लोगों के मोटापे से ग्रस्त होने की संभावना 

2025 में प्रकाशित द लैंसेट जीबीडी 2021 मोटापा पूर्वानुमान की रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 में भारत में 18 करोड़ से ज्यादा लोग मोटापे से ग्रस्त थे और 2050 तक ये संख्या लगभग 45 करोड़ तक पहुंच सकती है. जिससे भारत दुनिया में दूसरा सबसे ज्यादा मोटापे का बोझ वाला देश बन जाएगा. 

प्रधानमंत्री की अपील का असर

केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव ने इस पहल को पीएम मोदी की मुहिम से भी जोड़ा है. उन्होंने लिखा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीवनशैली में बदलाव लाकर मोटापे से निपटने का आह्वान किया है. 28 जनवरी 2025 को देहरादून में 38वें राष्ट्रीय खेलों के उद्घाटन समारोह में प्रधानमंत्री ने फिट इंडिया मूवमेंट के तहत लोगों से जीवनशैली में बदलाव लाने और तेल की खपत में 10% तक कटौती करने की बात कही थी.


तेल और चीनी का कम इस्तेमाल क्यूं जरूरी?

पुण्य सलील श्रीवास्तव ने लिखा है कि इस राष्ट्रीय अपील के जवाब में, और राष्ट्रीय गैर-संचारी रोगों की रोकथाम और नियंत्रण कार्यक्रम (एनपी-एनसीडी) के तहत मंत्रालय की प्रमुख पहलों के हिस्से के रूप में, हमारे कार्यस्थलों में स्थायी व्यवहार परिवर्तनों को बढ़ावा देना अनिवार्य है. इनमें तेल और चीनी के अत्यधिक सेवन को कम करना शामिल है, जो मोटापे, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और अन्य जीवनशैली संबंधी विकारों की बढ़ती दरों में प्रमुख योगदानकर्ता हैं.

हेल्थ सेक्रेटरी ने जारी किए निर्देश 

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने अपने पत्र में लिखा 

1- तेल-चीनी जानकारी वाले बोर्ड लगाए जाएं: दफ्तरों, कैंटीन, स्कूलों और पब्लिक प्लेसेज़ में बोर्ड लगाए जाएं, जिनमें यह जानकारी होगी कि रोजमर्रा के खाने में कितना तेल और चीनी है.

2- सभी सरकारी स्टेशनरी पर हेल्थ मैसेज: जैसे लेटरहेड, लिफाफे, नोटपैड आदि पर मोटापे से जुड़ा स्वास्थ्य संदेश छापा जाए.

3- स्वस्थ भोजन को बढ़ावा: 
कैंटीन में हेल्दी फूड विकल्प जैसे फल, सब्जियां, कम वसा वाले व्यंजन उपलब्ध कराए जाएंगे और तला-भुना या मीठा खाने की चीजें सीमित की जाएं.

4- दफ्तरों में शारीरिक गतिविधि को बढ़ावा: जैसे सीढ़ियां इस्तेमाल करने की सलाह, छोटे व्यायाम ब्रेक और वॉकिंग रूट की व्यवस्था की जाए.


राष्ट्रीय आंदोलन बनाने की अपील 

केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव ने अपने पत्र में लिखा कि यह सिर्फ एक निर्देश न बनकर एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य आंदोलन बने. मंत्रालयों से कहा गया है कि वे इस पहल में आगुआई करें और एक स्वस्थ कार्य संस्कृति को बढ़ावा दें. इस कदम से उम्मीद है कि दफ्तरों में काम करने वाले लाखों लोगों की आदतें धीरे-धीरे बदलेंगी और देश मोटापे जैसी बीमारियों के खतरे से बच सकेगा.

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