
- इस वर्ष देश में मानसून आठ दिन पहले सक्रिय हो गया था. बारिश से अब तक 1297 लोगों की मौत हो चुकी है
- बारिश और पानी के कारण 50 हजार से अधिक पालतू पशुओं की मौत हुई है और 92 हजार से अधिक घरों को नुकसान पहुंचा है
- मानसून की बारिश से डेढ़ लाख हेक्टेयर से अधिक खेत पर खड़ी फसल को नुकसान पहुंचा है
मानसून इस समय करीब पूरे देश में सक्रिय है. इस साल देश में दक्षिण-पश्चिम मानसून समय से आठ दिन पहले आ गया था. इस साल मानसूनी बारिश से पानी से जुड़े दुर्घटनाओं में जानमाल को बड़ी संख्या में नुकसान पहुंचा है. केंद्र सरकार ने मंगलवार को लोकसभा में बताया कि राज्यों और केंद्र शासित राज्यों से मिली जानकारी के मुताबिक इस साल 16 जुलाई तक बारिश और पानी से जुड़े हादसों में अबतक 1297 लोगों की मौत हो चुकी है. सरकार के मुताबिक इन घटनाओं में 50 हजार से अधिक जानवरों की मौत हुई है तो 92 हजार से अधिक घर या झोपड़ियां तबाह हुई हैं. इसके इन बारिश और पानी की वजह से डेढ़ लाख हेक्टेयर से अधिक जमीन पर खड़ी फसल को नुकसान पहुंचा है.
किन सांसदों ने पूछा था सवाल
दरअसल लोकसभा में प्रश्नकाल में बीजेपी के सुधीर गुप्ता, मनीष जायसवाल, शिवसेना के धैर्यशील सांभाजीराव माने और कांग्रेस के रविंद्र वसंतराव ने सरकार से मानसून की वजह से जान-माल को हुए नुकसान के बारे में जानना चाहा था. इन सांसदों ने सरकार से यह भी जानना चाहा था कि सरकार नुकसान का जायजा लेने के लिए किसी टीम का गठन किया है या नहीं. इन सासंदों ने यह भी पूछा था कि प्रभावित लोगों को उनके नुकसान का मुआवजा कब तक मिलेगा.

किस राज्य में कितनी हुईं मौतें
इन सवालों के जवाब गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने दी. उन्होंने बताया कि गृह मंत्रालय की आपदा की वजह से हुए नुकसान के आंकड़े नहीं जुटाता है. उन्होंने बताया कि राज्यों और केंद्र शासित राज्यों से मिली जानकारी के मुताबिक देश में इस साल 16 जुलाई तक 1297 लोगों को मौत बारिश और पानी की वजह से हुए हादसों में हुई है. इस दौरान 51 हजार 699 पालतू पशुओं की मौत हुई है और 92 हजार 663 घरों को नुकसान पहुंचा है. इसके अलावा बारिश और पानी की वजह से एक लाख 54 हजार 394 हेक्टेयर खेतों में खड़ी फसल को नुकसान पहुंचा है.
केंद्र सरकार कैसे देती है राज्यों को सहायता
नित्यानंद राय ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से किसी निवेदन का इंतजार किए बिना सरकार बारिश से हिमाचल प्रदेश में हुए बारिश, बाढ़, बादल फटने और भूस्खलन से हुए नुकसान का जायजा लेने के लिए एक इंटर मिनिस्ट्रियल सेंट्रल टीम का गठन किया है. उन्होंने बताया कि स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फंड (एसडीआरएफ) और नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फंड (एनडीआरएफ) के जरिए राज्यों को राहत और बचाव कार्य के लिए धनराशि मुहैया कराई जाती है. इन फंडों से प्राकृतिक आपदाओं में हुए नुकसान का मुआवजा नहीं दिया जाता है.उन्होंने बताया कि नेशनल पॉलिसि ऑन डिजास्टर मैनेजमेंट (एनपीडीएम) प्राकृतिक आपदा के समय जमीनी स्तर पर राहत सामग्री पहुंचाने की जिम्मेदारी राज्यों की है. उन्होंने बताया कि लैंडस्लाइड और बाढ़ जैसी नोटीफाइड प्राकृतिक आपदा के समय एसडीआरएफ और एनडीआरएफ के जरिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाती है.
गृह राज्यमंत्री ने बताया कि इस वित्त वर्ष में 15 जुलाई तक 22 राज्यों को एसडीआरएफ के तहत 9578.40 करोड़ रुपये का अंशदान केंद्र सरकार ने दिया है.
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