नई दिल्ली:
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने शनिवार को अपनी भ्रष्टाचार निरोधी शाखा को उससे अलग करने और उसे लोकपाल के दायरे में लाने का विरोध किया। जांच एजेंसी ने कहा कि इसके बदले वह पूरी तरह से प्रस्तावित लोकपाल के दायरे में आना एवं उसे और अधिक स्वायत्तता दिया जाना पसंद करेगी। सीबीआई सूत्रों के मुताबिक लोकपाल विधेयक के प्रारूपों का अध्ययन कर रही संसदीय स्थायी समिति के समक्ष जांच एजेंसी के निदेशक एपी सिंह ने अपने विचार रखे। जांच एजेंसी के एक अधिकारी ने बताया, "सरकार जिस तरीके अथवा रूप में चाहती है, सीबीआई अपनी सम्पूर्णता में लोकपाल के दायरे में आ सकती है। हम लोकपाल द्वारा भेजे गए मामले की जांच करने और इस संस्था को अपनी रिपोर्ट देने के लिए तैयार हैं।" सूत्रों ने बताया कि सीबीआई ने भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की तरह 'कार्यात्मक एवं वित्तीय स्वायत्तता' देने का प्रस्ताव किया है ताकि उसके कामकाज में राजनीतिक और अन्य संस्थाओं से दखल न पड़े। समिति के समक्ष सिंह के अलावा मुख्य सतर्कता आयुक्त प्रदीप कुमार ने भी अपने विचार रखे। उल्लेखनीय है कि अपनी परामर्श प्रक्रिया के तहत समिति प्रस्तावित लोकपाल पद के विभिन्न पहलुओं पर विभिन्न एजेंसियों के विचार सुन रही है। उम्मीद है कि समिति शीतकालीन सत्र से पहले अपनी अनुशंसाएं संसद को सौंप देगी।