
देश में कोरोना वायरस महामारी के चलते लॉकडाउन के दौरान निजी स्कूलों में फीस वसूली का मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है. आठ राज्यों के पेरेंट्स एसोसिएशन ने इस मामले में अर्जी लगाई है. याचिका में सुप्रीम कोर्ट से इस मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए नियमन और व्यवस्था बनाए जाने की गुहार लगाई गई है.
याचिका में कहा गया है कि ऑनलाइन क्लास के नाम पर स्कूल पूरी फीस वसूल रहे हैं, यह कतई अनुचित है. इतना ही नहीं कई स्कूल तो ऑनलाइन क्लास के लिए अतिरिक्त शुल्क भी वसूल रहे हैं. इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट में इसी हफ़्ते में सुनवाई होने के आसार हैं.
सीबीएसई के डायरेक्टर ने हाल ही में कहा था कि बच्चों की सही शिक्षा के लिए माता-पिता और स्कूल मैनेजमेंट के बीच सहयोग की आवश्यकता है. सीबीएसई के ट्रेनिंग और स्किल डायरेक्टर बिस्वजीत साहा ने शिक्षा पर एक ई-सत्र के आयोजन के दौरान कहा था कि "माता-पिता और स्कूल प्रबंधन को बच्चों की शिक्षा के लिए एक-दूसरे का सहयोग करना चाहिए." दरअसल अभिभावकों की तरफ से इस बात की शिकायत की गई है कि कुछ प्राइवेट स्कूल ट्यूशन फीस के अलावा भी कई दूसरी चीजों की फीस ले रहे हैं, जबकि स्कूल लंबे समय से बंद हैं. लॉकडाउन के दौरान बच्चों की सिर्फ सीमित ऑनलाइन क्लासेस ही ली गई हैं. ऐसे में ट्यूशन फीस के अलावा अन्य चीजों के लिए फीस की मांग करना गलत है.
सांसद और भाजपा के शिक्षक सेल के सदस्य लॉकेट चटर्जी की तरफ से भी मांग की गई है कि निजी स्कूलों को मार्च के मध्य में शुरू होने वाले संपूर्ण लॉकडाउन अवधि के लिए स्कूलों को किसी तरह की फीस नहीं लेनी चाहिए. बता दें कि कई राज्यों ने निजी स्कूलों को फीस कम करने या फीस में छूट देने का निर्देश भी दिया है.
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