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This Article is From May 20, 2020

सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के लिए 10,000 करोड़ रुपये की योजना को मंत्रिमंडल की मंजूरी

प्रधानमंत्री नरेंद्र की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस योजना को मंजूरी दी गई. कोविड-19 की वजह से प्रभावित अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपये के ‘आत्म-निर्भर’ पैकेज की घोषणा की थी.

सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के लिए 10,000 करोड़ रुपये की योजना को मंत्रिमंडल की मंजूरी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)
  • 10,000 करोड़ रुपये की एक नई केंद्रीय योजना को मंजूरी दे दी
  • दो लाख सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को ऋण से जुड़ी सब्सिडी उपलब्ध
  • इसका क्रियान्वयन पांच साल की अवधि यानी 2021-25 तक किया जाएगा
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नई दिल्ली:

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देशभर में दो लाख सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को ऋण से जुड़ी सब्सिडी उपलब्ध कराने के लिए 10,000 करोड़ रुपये की एक नई केंद्रीय योजना को मंजूरी दे दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस योजना को मंजूरी दी गई. कोविड-19 की वजह से प्रभावित अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपये के ‘आत्म-निर्भर' पैकेज की घोषणा की थी. इसी पैकेज के तहत सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उपक्रमों को औपचारिकताएं पूरी कर संगठित हो कर काम करने में मदद की योजना की घोषणा की गई थी.

एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि असंगठित क्षेत्र के लिए इस योजना के तहत खर्च का बोझ केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा 60:40 के अनुपात में वहन किया जाएगा. इस योजना का क्रियान्वयन पांच साल की अवधि यानी 2021-25 तक किया जाएगा. 20,000 इकाइयों को ऋण से जुड़ी सब्सिडी मिलेगी. बयान में कहा गया है कि इस योजना में क्लस्टर आधारित रुख अपनाया जाएगा और जल्द सामान होने वाले उत्पादों पर ध्यान दिया जाएगा.

बयान में कहा गया है, ‘करीब 25 लाख गैर-पंजीकृत खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां हैं, जो असंगठित क्षेत्र की हैं. यह क्षेत्र की कुल इकाइयों का 98 प्रतिशत हैं. इनमें से 66 प्रतिशत इकाइयां ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित हैं और करीब 80 प्रतिशत इकाइयां परिवारों द्वारा संचालित हैं. इस क्षेत्र को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.'

बयान में कहा गया है कि इस क्षेत्र के समक्ष ऋण तक पहुंच नहीं होने, संस्थागत ऋण की ऊंची लागत, आधुनिक प्रौद्योगिकी की कमी, खाद्य आपूर्ति श्रृंखला से एकीकरण की अक्षमता और स्वास्थ्य एवं सुरक्षा मानकों के अनुपालन की चुनौतियां हैं. सरकार का कहना है कि इस क्षेत्र को मजबूत करने से उत्पादों की बर्बादी को रोका जा सकेगा. कृषक परिवारों के लिए खेती के अलग रोजगार के अवसर पैदा किए जा सकेंगे. साथ ही किसानों की आमदनी को दोगुना करने के लक्ष्य में मदद मिलेगी.

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