प्रतीकात्मक फोटो
सोलन:
हिमाचल प्रदेश का मशहूर सेब जल्द ही बाजार में नजर आने लगेगा। इस बार नई फसल का सेब मौसम की मार से बच गया। इसलिए बंपर पैदावार हुई है, लेकिन किसान मोदी सरकार को पुराना वादा याद दिल रहे हैं।
पिछले साल फरवरी में लोक सभा चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी ने हिमाचल के किसानों को सेब पर आयात शुल्क दोगुना करके बेहतर दाम दिलवाने का वादा किया था।
16 फरवरी को सुजानपुर की रैली में नरेंद्र मोदी ने सेब किसानों के हालात के लिए कांग्रेस को जिम्मेवार ठहराया था. उन्होंने अपने भाषण में कहा था, ' विदेशों से तो एप्पल आता है, लेकिन मेरे हिमाचल के किसान को पूरे दाम नहीं मिलते, ये आपकी नीतियों का परिणाम है कि पहाड़ों में जिंदगी गुजारने वाला मेरा किसान परेशान है।'
मोदी सरकार अपना वादा पूरा करेगी। इस इंतजार में एक साल गुजर गया। अब हिमाचल की मंडियों में नई फसल का सेब पहुंचने लगा है और इस साल बंपर फसल हुई है, लेकिन सेब के बागवानों के चेहरों पर चीन से चिंता की लकीरें हैं।
फल-सब्जी किसान संघ के अध्यक्ष हरीश चौहान कहते हैं कि चीन ये दवा करता है कि बॉम्बे में अपना सेब 28 रुपये किलो पंहुचा देगा, इसका मतलब है कि उनकी कॉस्टिंग 600 रुपये बॉक्स पड़ेगी। हिमाचल, जम्मू कश्मीर और उत्तराखंड में 500 रुपये तो बगवान का खर्च आता है।
हिमाचल प्रदेश में इस साल पिछले 5 साल की सबसे बेहतर सेब की फसल हुई है। उम्मीद है कि करीब 4 करोड़ डिब्बे मंडी पहुंचेंगे। बाजार में ज्यादा सेब का मतलब किसानों को कम मुनाफा।
प्रदेश में ना तो नए कोल्ड स्टोर बने हैं और ना ही उन्नत वेयरहाउस और पैकेजिंग पर काम हुआ है। राज्य की कांग्रेस सरकार भी केंद्र के भरोसे है।
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह कहते हैं कि मांग भी है, इस बारे में पात्र भी लिख दिए हैं. हम इस इंतजार में है कि जो घोषणा उन्होंने की थी वो कब पूरा करेंगे. देश में सेब का सबसे ज्यादा हिमाचल में होता है।
प्रदेश के डेढ़ लाख परिवारों की रोजी रोटी इससे जुड़ी है. इससे पहले वाजपेयी सरकार ने सेब पर आयात शुल्क 30 से बढ़ाकर 50 फीसद किया था।
पिछले साल फरवरी में लोक सभा चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी ने हिमाचल के किसानों को सेब पर आयात शुल्क दोगुना करके बेहतर दाम दिलवाने का वादा किया था।
16 फरवरी को सुजानपुर की रैली में नरेंद्र मोदी ने सेब किसानों के हालात के लिए कांग्रेस को जिम्मेवार ठहराया था. उन्होंने अपने भाषण में कहा था, ' विदेशों से तो एप्पल आता है, लेकिन मेरे हिमाचल के किसान को पूरे दाम नहीं मिलते, ये आपकी नीतियों का परिणाम है कि पहाड़ों में जिंदगी गुजारने वाला मेरा किसान परेशान है।'
मोदी सरकार अपना वादा पूरा करेगी। इस इंतजार में एक साल गुजर गया। अब हिमाचल की मंडियों में नई फसल का सेब पहुंचने लगा है और इस साल बंपर फसल हुई है, लेकिन सेब के बागवानों के चेहरों पर चीन से चिंता की लकीरें हैं।
फल-सब्जी किसान संघ के अध्यक्ष हरीश चौहान कहते हैं कि चीन ये दवा करता है कि बॉम्बे में अपना सेब 28 रुपये किलो पंहुचा देगा, इसका मतलब है कि उनकी कॉस्टिंग 600 रुपये बॉक्स पड़ेगी। हिमाचल, जम्मू कश्मीर और उत्तराखंड में 500 रुपये तो बगवान का खर्च आता है।
हिमाचल प्रदेश में इस साल पिछले 5 साल की सबसे बेहतर सेब की फसल हुई है। उम्मीद है कि करीब 4 करोड़ डिब्बे मंडी पहुंचेंगे। बाजार में ज्यादा सेब का मतलब किसानों को कम मुनाफा।
प्रदेश में ना तो नए कोल्ड स्टोर बने हैं और ना ही उन्नत वेयरहाउस और पैकेजिंग पर काम हुआ है। राज्य की कांग्रेस सरकार भी केंद्र के भरोसे है।
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह कहते हैं कि मांग भी है, इस बारे में पात्र भी लिख दिए हैं. हम इस इंतजार में है कि जो घोषणा उन्होंने की थी वो कब पूरा करेंगे. देश में सेब का सबसे ज्यादा हिमाचल में होता है।
प्रदेश के डेढ़ लाख परिवारों की रोजी रोटी इससे जुड़ी है. इससे पहले वाजपेयी सरकार ने सेब पर आयात शुल्क 30 से बढ़ाकर 50 फीसद किया था।
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