लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) में विपक्षी दलों ने पिछले 2 चुनावों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया. सपा, कांग्रेस, टीएमसी, जेएमएम जैसे दलों ने पिछले चुनाव की तुलना में अधिक सीटों पर जीत हासिल की. हालांकि इस चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (Bahujan samaj party) का प्रदर्शन निराशाजनक रहा. मायावती की पार्टी को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली. हालांकि उत्तर प्रदेश की कम से कम 16 और मध्य प्रदेश की 2 सीटों पर बसपा ने विपक्षी गठबंधन का खेल बिगाड़ दिया.
यूपी में बसपा से इंडिया को भारी नुकसान
उत्तर प्रदेश में बसपा के कारण कांग्रेस को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है. अकबरपुर, अलीगढ़, अमरोहा, बांसगांव, भदोही, बिजनौर, देवरिया, फर्रुखाबाद,फतेहपुर सिकरी, हरदोई, मेरठ, मिर्ज़ापुर, मिसरिख, फूलपुर, शाहजहांपुर, उन्नाव जैसी सीटों पर बसपा उम्मीदवारों ने इतना वोट लाया जिससे सपा और कांग्रेस के उम्मीदवार चुनाव हार गए.
मध्यप्रदेश में भी बिगाड़ा कांग्रेस का खेल
मध्यप्रदेश की 29 में 21 सीटों पर बीएसपी का उम्मीदवार तीसरे नंबर पर रहा. बसपा के उम्मीदवारों ने कांग्रेस पार्टी के मतों में कई जगहों पर सेंध लगा दी.सतना में बीजेपी से बीएसपी में शामिल होने वाले मैहर के पूर्व विधायक नारायण त्रिपाठी को 1,85,618 वोट मिले. सतना लोकसभा सीट को बीजेपी के गणेश सिंह ने 5वीं बार जीता है. यहां इस बार कांग्रेस के उम्मीदवार सिद्धार्थ कुशवाहा को 3,74,779 वोट मिले यानी 84,949 मतों का अंतर. कुल मिलाकर मैहर के पूर्व विधायक नारायण त्रिपाठी सहित 19 उम्मीदवार मैदान में थे लेकिन कांग्रेस को सबसे ज्यादा नुकसान बसपा के नारायण त्रिपाठी से ही मिला जिन्होंने 1,85,618 मत हासिल किए. इसी तरह मुरैना सीट पर बीएसपी उम्मीदवार रमेश गर्ग को 1,84,618 वोट मिले यहां बीजेपी उम्मीदवार शिवमंगल सिंह तोमर सिर्फ 52,530 वोट से जीते.
BSP के वोट प्रतिशत में बड़ी गिरावट
बहुजन समाज पार्टी के वोट प्रतिशत में बहुत बड़ी गिरावट इस चुनाव में देखने को मिली. पिछले चुनाव में 38 सीटों पर चुनाव लड़ते हुए बसपा ने 19.42 प्रतिशत वोट लाया था लेकिन 2024 के चुनाव में 79 सीटों पर चुनाव लड़ने के बाद भी बसपा का वोट शेयर 10 प्रतिशत से भी नीचे आ गया. बसपा को इस चुनाव में महज 9.39 प्रतिशत वोट ही मिले हैं. बसपा का आधार वोट तेजी से कम होता दिख रहा है. इस चुनाव में प्रयोग के तौर पर मायावती ने कई मुस्लिम चेहरों को मैदान में उतारा लेकिन उन्हें अच्छी सफलता उन सीटों पर नहीं मिली.
मायावती का नहीं चला मुस्लिम कार्ड
मायावती ने इस चुनाव में 21 सीटों पर उत्तर प्रदेश में मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था हालांकि 2-3 सीटों को छोड़कर किसी भी सीट पर उनके उम्मीदवार का वोट प्रतिशत अच्छा नहीं रहा. मुस्लिम मत नहीं मिलने से नाराज बसपा प्रमुख ने चुनाव बाद जारी अपने बयान में कहा कि उचित प्रतिनिधित्व देने के बावजूद मुस्लिम समाज बसपा को ठीक से नहीं समझ पा रहा है लिहाजा पार्टी भविष्य में होने वाले चुनावों में बहुत सोच समझ कर ही मुसलमानों को मौका देगी.
अपने गढ़ को भी नहीं बचा पायी बसपा
उत्तर प्रदेश में कभी अपने दम पर सरकार बनाने वाली बहुजन समाज पार्टी इस चुनाव में आशंकाओं के अनुसार ही सबसे खराब हालत में पहुंच गयी. कभी जिस सीट सीट नगीना से मायावती ने भी चुनाव लड़ा था उस सीट पर इस चुनाव में बसपा अपना जमानत भी नहीं बचा पायी. नगीना सीट पर बसपा के उम्मीदवार चौथे नंबर पर पहुंच गए. इस सीट से चंद्रशेखर आजाद चुनाव जीतने में सफल रहे.
18वीं लोकसभा का क्या है गणित?
18 वीं लोकसभा चुनाव के लिए हुए चुनाव में किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिल पाया भारतीय जनता पार्टी की नेतृत्व वाली एनडीए को 293 सीटों पर जीत मिली है. बीजेपी स्वयं बहुमत से 32 सीटें दूर है. ऐसे में एक-एक सीट दोनों गठबंधनों के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है. राजनीति के जानकारों का मानना रहा है कि अगर बसपा ने इंडिया गठबंधन का साथ दिया होता तो लोकसभा की समीकरण कुछ और हो सकते थे. अगर उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की 18 सीटों पर बसपा का साथ इंडिया गठबंधन को मिल गया होता तो एनडीए के आंकड़े 273 के करीब आ जाते और ऐसे हालत में विपक्ष के लिए बीजेपी को मुश्किल में लाना आसान हो सकता था.
बसपा ने अगर नहीं पहुंचाया होता नुकसान तो क्या होते हालात?
अगर इंडिया गठबंधन को 18 सीटों का नुकसान नहीं हुआ होता तो एनडीए मुश्किल से 272 सीटों को पार करता दिखता. ऐसे हालत में एक भी सहयोगी के छिटकने से बीजेपी की सरकार बनने में दिक्कत हो सकती थी. अभी के हालात में सिर्फ जदयू या टीडीपी के हटने से भी सरकार की सेहत पर विशेष फर्क पड़ता नहीं दिखता है.
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