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This Article is From Jun 04, 2019

अखिलेश-डिंपल से रिश्तों पर बोलीं मायावती- सारे मतभेद भूलकर मैंने भी उन्हें परिवार माना

बसपा ने उपचुनाव में उत्तर प्रदेश में 11 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेने का फैसला किया है.

कन्नौज में महागठबंधन रैली के दौरान मायावती और डिंपल यादव.

नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश में बना सपा-बसपा गठबंधन पर फिलहाल ब्रेक लग गया है. मंगलवार को बसपा प्रमुख मायावती (Mayawati) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी पार्टी का रुख स्पष्ट किया. उन्होंने कहा कि सपा-बसपा (SP-BSP Alliance) गठबंधन हमेशा के लिए नहीं टूटा बस कुछ समय के लिए ब्रेक लगा है. अगर भविष्य में सपा प्रमुख अपने राजनीतिक कार्यों में सफल होंगे तो फिर साथ होंगे. दरअसल राज्य की 11 सीटों पर उपचुनाव में बीएसपी के अकेले लड़ने का फैसले के बाद से गठबंधन टूटने की कगार पर माना जा रहा था. 

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मायावती ने अखिलेश और डिंपल यादव (Dimple Yadav) के साथ अपने रिश्तों को लेकर कहा, सपा और बसपा गठबंधन होने के बाद से सपा प्रमुख अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव आदर सम्मान से अपना बड़ा और आदर्श मानकर मेरी बहुत इज्जत करते हैं. मैंने भी उन्हें अपने सभी पुराने गिले शिकवों को भुलाकर व्यापक देश और जनहित में और अपने बड़े होने के नाते उसी हिसाब से अपने परिवार के सदस्य तरह पूरा सम्मान दिया है.

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बसपा सुप्रीमो ने कहा कि हमारे ये रिश्ते केवल अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए नहीं बने हैं, बल्कि ये रिश्ते आगे भी हर सुख दुख की घड़ी में  हमेशा ऐसे ही बने रहेंगे. ये रिश्ते कभी भी खत्म नहीं होने वाले हैं. ऐसी मेरी तरफ से पूरी पूरी कोशिश रहेगी. वहीं दूसरी तरफ राजनीतिक मजबूरियों को भी पूरी तरह से नजर अंदाज नहीं किया जा सकता. इसलिए लोकसभा चुनाव में जो नतीजे यूपी में सामने आए हैं, उस पर बड़े दुख के साथ कहना पड़ता है कि सपा का बेस वोट 'यादव समुदाय' अपने यादव बहुल्य सीटों में भी सपा के साथ पूरी मजबूती के साथ टिका हुआ नहीं रह सकता.

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इससे एक दिन पहले दिल्ली में कार्यकर्ताओं के साथ एक बैठक में मायावती ने टिप्पणी की थी कि अखिलेश अपनी पत्नी डिंपल तक को नहीं जिता पाए.  डिंपल यादव ने कन्नौज से चुनाव लड़ा था. दो बार की सांसद डिंपल यादव अपनी कन्नौज सीट बीजेपी से हार गईं. उन्होंने कहा कि कन्नौज में यादव वोट नहीं मिले, हमारे पूरे वोट डिंपल को मिले. मायावती ने कहा कि परिणाम ने साफ संकेत दिया कि यादव समुदाय ने डिंपल यादव को वोट देने की बजाय बीजेपी प्रत्याशी का समर्थन किया.

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