कैम्ब्रिज एनलिटिका का लंदन में स्थित आफिस.
नई दिल्ली:
कैंब्रिज एनालिटिका का इस्तेमाल भारत में किन दलों ने किन चुनावों में किया, ये सवाल लगातार बड़ा होता जा रहा है. अहम बात ये है कि इस मामले में ब्रिटिश पार्लियामेंट जो जांच कर रही है, वो सरकार के साथ साझा करने को तैयार है. शायद इसके बाद भारत में एनालिटिका के खेल की कुछ अहम परतें खुलें.
कैंब्रिज एनालिटिका केस के विसिल ब्लोअर क्रिस्टोफ़र वाइली ने ट्वीट कर कहा है कि 2012 में एक राष्ट्रीय दल के लिए एनालिटिका ने जातिवार विश्लेषण किया. ब्रिटिश संसद इस पूरे मामले की जांच कर रही है. एनडीटीवी से बात करते हुए इस जांच समिति के सदस्य सांसद साइमन हार्ट ने कहा है कि वे भारत के साथ जांच साझा करने को तैयार हैं.
ब्रिटिश सांसद साइमन हार्ट ने एनडीटीवी से कहा, "जब हमने जांच शुरू की तो हमें उम्मीद नहीं थी कि हम इस पर भी चर्चा करेंगे कि भारत में चुनाव भी इस तरह डेटा निकालने से प्रभावित होंगे...और कैंब्रिज एनालिटिका बिना आपके लोगों के ये जाने बिना कि डेटा का कैसे राजनीतिक इस्तेमाल हो रहा है, काम कर रही थी ...ये चिंता की बात होनी चाहिए."
यह भी पढ़ें : भेजा गया कैम्ब्रिज एनालिटिका और फेसबुक को नोटिस, सरकार कर रही जवाब की प्रतीक्षा : रविशंकर प्रसाद
एनडीटीवी ने जब कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद से ब्रिटिश सांसद के बयान के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, "ब्रिटेन की संसदीय समिति जांच कर रही है. उसके किसी सदस्य की टिप्पणी पर मुझे कुछ नहीं कहना है. वहां की कमेटी की जब रिपोर्ट भेजी जाएगी तो विचार किया जाएगा."
क्रिस्टोफ़र वायली ने अपने ट्वीट में जेडीयू का भी नाम लिया है, यह बताते हुए कि 2010 में कंपनी ने जेडीयू के साथ काम किया था.लेकिन वो राष्ट्रीय दल कौन है जिसके साथ एनालिटिका ने काम किया? इस सवाल पर कांग्रेस-बीजेपी दोनों एक-दूसरे पर तोहमत लगा रहे हैं.
यह भी पढ़ें : व्हिसिल ब्लोअर का खुलासा, यूपी-बिहार के चुनाव में किया काम, राजनीतिक दलों ने मांगी जातिगत जानकारी, 10 बातें
बिसिल ब्लोअर के ताज़ा खुलासे पर कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने एनडीटीवी से कहा, "बीजेपी का कैंब्रिज एनालिटिका के साथ गहरा और पुराना रिश्ता है. जेडी-यू ने भी कैंब्रिज एनालिटिका की मदद ली, ये बात प्रमाण के साथ प्रकाश में आ गई है. 2010 में बीजेपी औरजेडी-यू कितने करीब थे ये सब जानते हैं."
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद विनय सहस्रबुद्धे ने पलटवार करते हुए कहा, "नए तथ्यों का विश्लेषण करना ज़रूरी होगा लेकिन इस मामले में कांग्रेस की जवाबदेही बनती है कि उसने क्यों डेटा का दुरुपयोग किया मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए."
VIDEO : विसिल ब्लोअर के बयान पर घमासान
अब इंतज़ार ब्रिटिश संसद की जांच पूरी होने का करना होगा ताकि तस्वीर साफ़ हो. कैंब्रिज एनालिटिका केस में हर रोज़ नए खुलासे हो रहे हैं...और इसको लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भी बढ़ते जा रहे हैं. लेकिन इस राजनीतिक विवाद के बीच ये सवाल बेहद महत्वपूर्ण हो गया है कि कैंब्रिज एनालिटिका ने किस हद तक भारत में चुनावी प्रक्रिया को गलत तरीके से प्रभावित करने की कोशिश की.
कैंब्रिज एनालिटिका केस के विसिल ब्लोअर क्रिस्टोफ़र वाइली ने ट्वीट कर कहा है कि 2012 में एक राष्ट्रीय दल के लिए एनालिटिका ने जातिवार विश्लेषण किया. ब्रिटिश संसद इस पूरे मामले की जांच कर रही है. एनडीटीवी से बात करते हुए इस जांच समिति के सदस्य सांसद साइमन हार्ट ने कहा है कि वे भारत के साथ जांच साझा करने को तैयार हैं.
ब्रिटिश सांसद साइमन हार्ट ने एनडीटीवी से कहा, "जब हमने जांच शुरू की तो हमें उम्मीद नहीं थी कि हम इस पर भी चर्चा करेंगे कि भारत में चुनाव भी इस तरह डेटा निकालने से प्रभावित होंगे...और कैंब्रिज एनालिटिका बिना आपके लोगों के ये जाने बिना कि डेटा का कैसे राजनीतिक इस्तेमाल हो रहा है, काम कर रही थी ...ये चिंता की बात होनी चाहिए."
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एनडीटीवी ने जब कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद से ब्रिटिश सांसद के बयान के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, "ब्रिटेन की संसदीय समिति जांच कर रही है. उसके किसी सदस्य की टिप्पणी पर मुझे कुछ नहीं कहना है. वहां की कमेटी की जब रिपोर्ट भेजी जाएगी तो विचार किया जाएगा."
क्रिस्टोफ़र वायली ने अपने ट्वीट में जेडीयू का भी नाम लिया है, यह बताते हुए कि 2010 में कंपनी ने जेडीयू के साथ काम किया था.लेकिन वो राष्ट्रीय दल कौन है जिसके साथ एनालिटिका ने काम किया? इस सवाल पर कांग्रेस-बीजेपी दोनों एक-दूसरे पर तोहमत लगा रहे हैं.
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बीजेपी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद विनय सहस्रबुद्धे ने पलटवार करते हुए कहा, "नए तथ्यों का विश्लेषण करना ज़रूरी होगा लेकिन इस मामले में कांग्रेस की जवाबदेही बनती है कि उसने क्यों डेटा का दुरुपयोग किया मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए."
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अब इंतज़ार ब्रिटिश संसद की जांच पूरी होने का करना होगा ताकि तस्वीर साफ़ हो. कैंब्रिज एनालिटिका केस में हर रोज़ नए खुलासे हो रहे हैं...और इसको लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भी बढ़ते जा रहे हैं. लेकिन इस राजनीतिक विवाद के बीच ये सवाल बेहद महत्वपूर्ण हो गया है कि कैंब्रिज एनालिटिका ने किस हद तक भारत में चुनावी प्रक्रिया को गलत तरीके से प्रभावित करने की कोशिश की.
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