मुंबई:
गुजरात के वडोदरा में वर्ष 2002 में हुए बेस्ट बेकरी जनसंहार मामले में बम्बई उच्च न्यायालय ने सोमवार को चार लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई, जबकि अन्य पांच लोगों को बरी कर दिया। इस जनसंहार में 14 लोगों की हत्या कर दी गई थी।
न्यायमूर्ति पीडी कोडे और वीएम कनाडे की खंडपीठ ने संजय ठक्कर, बहादुरसिंह चौहान, शानाभाई बारिया और दिनेश राजभर को दोषी करार दिया।
वर्ष 2004 में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर इस मामले की महाराष्ट्र में फिर से सुनवाई शुरू की गई थी। बम्बई उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने राजूभाई बारिया, पंकज गोसाईं, जगदीश राजपूत, शैलेश तडवी और सुरेश वसावा को इस मामले से बरी कर दिया।
गौरतलब है कि साम्प्रदायिक दंगे के इस मामले में वर्ष 2003 में वडोदरा की एक अदालत ने सभी 21 आरोपियों को बरी कर दिया था।
इस वर्ष तीन जुलाई को उच्च न्यायालय ने अभियोजन और बचाव पक्ष की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और कहा था कि फैसला खुली अदालत में सुनाया जाएगा।
ज्ञात हो कि गुजरात में फरवरी 2002 में हुए दंगे के दौरान 14 लोग वडोदरा की बेस्ट बेकरी में शरण लिए हुए थे। उसी वर्ष
एक मार्च लगभग 20 लोगों ने मिलकर शरण लिए हुए 14 लोगों की हत्या कर दी थी।
24 फरवरी 2005 को मुम्बई एक विशेष अदालत ने 20 आरोपियों में से नौ को दोषी ठहराया था और उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी। बाद में आरोपियों ने इस फैसले को बम्बई उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।
इस मामले में निचली अदालत ने इससे पहले आठ अन्य आरोपियों को बरी कर दिया था और जाहिरा शेख और अन्य गवाहों पर झूठी गवाही देने का आरोप लगाते हुए उन्हें नोटिस जारी किया था।
इसी अदालत ने वर्ष 2006 में जाहिरा, उनकी मां सेहरुन्निसा और बहन सहेराबानो को झूठी गवाही देने का दोषी करार दिया था।
न्यायमूर्ति पीडी कोडे और वीएम कनाडे की खंडपीठ ने संजय ठक्कर, बहादुरसिंह चौहान, शानाभाई बारिया और दिनेश राजभर को दोषी करार दिया।
वर्ष 2004 में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर इस मामले की महाराष्ट्र में फिर से सुनवाई शुरू की गई थी। बम्बई उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने राजूभाई बारिया, पंकज गोसाईं, जगदीश राजपूत, शैलेश तडवी और सुरेश वसावा को इस मामले से बरी कर दिया।
गौरतलब है कि साम्प्रदायिक दंगे के इस मामले में वर्ष 2003 में वडोदरा की एक अदालत ने सभी 21 आरोपियों को बरी कर दिया था।
इस वर्ष तीन जुलाई को उच्च न्यायालय ने अभियोजन और बचाव पक्ष की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और कहा था कि फैसला खुली अदालत में सुनाया जाएगा।
ज्ञात हो कि गुजरात में फरवरी 2002 में हुए दंगे के दौरान 14 लोग वडोदरा की बेस्ट बेकरी में शरण लिए हुए थे। उसी वर्ष
एक मार्च लगभग 20 लोगों ने मिलकर शरण लिए हुए 14 लोगों की हत्या कर दी थी।
24 फरवरी 2005 को मुम्बई एक विशेष अदालत ने 20 आरोपियों में से नौ को दोषी ठहराया था और उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी। बाद में आरोपियों ने इस फैसले को बम्बई उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।
इस मामले में निचली अदालत ने इससे पहले आठ अन्य आरोपियों को बरी कर दिया था और जाहिरा शेख और अन्य गवाहों पर झूठी गवाही देने का आरोप लगाते हुए उन्हें नोटिस जारी किया था।
इसी अदालत ने वर्ष 2006 में जाहिरा, उनकी मां सेहरुन्निसा और बहन सहेराबानो को झूठी गवाही देने का दोषी करार दिया था।
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