विज्ञापन
This Article is From Nov 27, 2020

आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला : SC ने कहा- अर्नब गोस्वामी को जमानत नहीं देकर HC ने की गलती

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि यह देखने की जरूरत है कि क्या आरोपी सबूतों से छेड़छाड़ कर सकता है, या क्या आरोपी भाग सकता है, या क्या अपराध की सामग्री राज्य के हितों के साथ बनाई गई है.

आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला : SC ने कहा- अर्नब गोस्वामी को जमानत नहीं देकर HC ने की गलती
फाइल फोटो
नई दिल्ली:

रिपब्लिक टीवी के एंकर अर्नब गोस्वामी (Arnab Goswami) के खिलाफ महाराष्ट्र पुलिस द्वारा दर्ज आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है. शीर्ष न्यायालय (SC) ने कहा कि अर्नब गोस्वामी के खिलाफ एफआईआर का मूल्यांकन करने से उनके खिलाफ आत्महत्या के लिए कोई अभियोग स्थापित नहीं होता. एफआईआर पर प्रथम दृष्टया विचार, आरोपों की प्रकृति और गोस्वामी के खिलाफ आरोप के स्तर पर हाईकोर्ट ने ध्यान नहीं दिया. जमानत नहीं देकर हाईकोर्ट ने गलती की. अर्नब गोस्वामी को दी गई अंतरिम जमानत के कारणों को बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह बात कही. 

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि यह देखने की जरूरत है कि क्या आरोपी सबूतों से छेड़छाड़ कर सकता है, या क्या आरोपी भाग सकता है, या क्या अपराध की सामग्री राज्य के हितों के साथ बनाई गई है. ये सिद्धांत समय के साथ उभरे हैं. यहां मामला एक नागरिक की स्वतंत्रता का है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बॉम्बे HC एक नागरिक की स्वतंत्रता की रक्षा करने में अपना कर्तव्य निभाने में नाकाम रहा, जो शिकायत कर रहा था कि उसे उसके टीवी चैनल में व्यक्त किए गए विचारों के लिए महाराष्ट्र सरकार द्वारा लक्षित किया जा रहा है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालतों को यह सुनिश्चित करना होगा कि राज्य आपराधिक कानून का इस्तेमाल नागरिकों को परेशान करने या उनकी स्वतंत्रता को खतरे में डालने के लिए एक उपकरण के रूप में न करें. 

कोर्ट ने कहा कि 11 नवंबर को गोस्वामी और अन्य को दी गई अंतरिम जमानत तब तक लागू रहेगी जब तक कि बॉम्बे HC एफआईआर को रद्द करने के लिए दाखिल याचिकाओं पर फैसला नहीं सुनाता. HC के फैसले के बाद उनकी जमानत 4 हफ्ते तक लागू रहेगी, ताकि अगर HC उनकी दलीलों को खारिज कर दे, तो SC में याचिका दाखिल कर सकें.

जस्टिस चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ इस मामले में फैसला सुनाएगी.  इससे पहले, 11 नवंबर को शीर्ष न्यायालय ने अर्नब गोस्वामी को अंतरिम जमानत दी थी. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदिरा बनर्जी की बेंच ने दीवाली की छुट्टियों में 11 नवंबर को विशेष सुनवाई करते हुए रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी की ओर से दायर जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद अंतरिम जमानत दे दी थी. खुदकुशी के लिए उकसाए जाने वाले आरोप के मामले में अर्नब सहित दो आरोपियों को भी जमानत मिली थी. 

शीर्ष अदालत ने जेल प्रशासन और कमिश्नर को आदेश का पालन होने को सुनिश्चित करने के निर्देश दिए और कहा कि वो नहीं चाहते कि रिहाई में दो दिनों की देरी हो. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर वो निचली अदालत को जमानत की शर्तें लगाने को कहते तो तो और दो दिन लग जाते, इसलिए हमने 50,000 का निजी मुचलका जेल प्रशासन के पास भरने को बोल दिया है. 

बता दें कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने अर्नब को जमानत देने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद वो सुप्रीम कोर्ट गए थे. सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर कोर्ट इस केस में दखल नहीं देता है, तो वो बर्बादी के रास्ते पर आगे बढ़ेगाय कोर्ट ने कहा कि 'आप विचारधारा में भिन्न हो सकते हैं लेकिन संवैधानिक अदालतों को इस तरह की स्वतंत्रता की रक्षा करनी होगी वरना तब हम विनाश के रास्ते पर चल रहे हैं.' 

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Previous Article
टमाटर से भरा ट्रक पलटा और लूटने पहुंच गई भीड़, पुलिस ने रातभर दिया 'सोने-चांदी' जैसा पहरा
आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला : SC ने कहा- अर्नब गोस्वामी को जमानत नहीं देकर HC ने की गलती
दाखिले से नहीं रोका जा सकता...: मेडिकल में दिव्यांग छात्रों के एडमिशन पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
Next Article
दाखिले से नहीं रोका जा सकता...: मेडिकल में दिव्यांग छात्रों के एडमिशन पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com