केंद्र सरकार ने आज सुप्रीम कोर्ट को बताया कि देश में अश्लील सामग्री वाली वेबसाइट्स को ब्लॉक करना संभव नहीं है और इससे अधिक नुकसान हो सकता है, क्योंकि ऐसे शब्दों के साहित्यिक विवरण भी जनता के लिए इंटरनेट पर उपलब्ध नहीं होगा।
जस्टिस बीएस चौहान की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल केवी विश्वनाथन ने कहा कि इस तरह की वेबसाइट्स को अवरुद्ध करने से अधिक नुकसान होगा। उन्होंने कहा, 'सभी कुछ अवरुद्ध हो जाएगा और यहां तक की अच्छा साहित्य भी अवरुद्ध हो जाएगा और इससे अधिक नुकसान होगा।'
उन्होंने कहा कि ऐसी वेबसाइट्स को ब्लॉक करने के लिए प्रत्येक कंप्यूटर में एक सॉफ्टवेयर लगाना पड़ेगा और सभी कंप्यूटर निर्माताओं के लिए ऐसा सॉफ्टवेयर लगाने हेतु निर्देश देना पड़ेगा।
न्यायालय इंदौर निवासी वकील कमलेश वासवानी की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था। इस याचिका में कहा गया है कि हालांकि अश्लील वीडियो देखना अपराध नहीं है, लेकिन ऐसी साइट्स पर पाबंदी लगायी जानी चाहिए, क्योंकि महिलाओं के प्रति अपराध की यह एक बड़ी वजह है।
वकील विजय पंजवानी के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि इंटरनेट कानूनों के अभाव में लोग अश्लील वीडियो देखने के लिए प्रेरित होते हैं। याचिका के अनुसार इस समय बाजार में ऐसी 20 करोड़ से भी अधिक वीडियो और क्लीपिंग सहजता से उपलब्ध हैं।
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