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केदारनाथ उपचुनाव भाजपा ने 5622 वोटों से जीता, आशा नौटियाल तीसरी बार बनीं केदारनाथ की विधायक

इस चुनाव में कांग्रेस ने केदारनाथ यात्रा, दिल्ली में केदारनाथ धाम मंदिर का निर्माण, इसके अलावा केदारनाथ मंदिर में सोने चोरी होने जैसे मुद्दे को चुनाव में उठाया.

केदारनाथ उपचुनाव भाजपा ने 5622 वोटों से जीता, आशा नौटियाल तीसरी बार बनीं केदारनाथ की विधायक
नई दिल्ली:

केदारनाथ उपचुनाव को भाजपा ने 5622 वोटों से जीता लिया है भाजपा की प्रत्याशी आशा नौटियाल ने कांग्रेस प्रत्याशी मनोज रावत को 5622 मतों से चुनाव हराया है. भाजपा प्रत्याशी आशा नौटियाल को 23814 वोट मिले तो वहीं कांग्रेस प्रत्याशी मनोज रावत को 18192 वोट मिले. इसके अलावा निर्दलीय उम्मीदवार त्रिभुवन चौहान को 9311 वोट मिले.

भाजपा के लिए अहम सीट थी केदारनाथ

केदारनाथ उप चुनाव बीजेपी के लिए बेहद महत्वपूर्ण था, क्योंकि सोशल मीडिया और तमाम चर्चाओं में यही बात सामने आ रही थी कि पहले अयोध्या फिर बद्रीनाथ उप चुनाव में बीजेपी को करारी हार मिली है. इस नाते केदारनाथ उपचुनाव बीजेपी के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण हो गया है. यही वजह थी कि उत्तराखंड की भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की साख इस पूरे चुनाव में लगी हुई थी. ऐसे में बीजेपी ने इस उप चुनाव में सभी कैबिनेट मंत्रियों समेत पार्टी संगठन के पदाधिकारी युवा मोर्चा के नेता और तमाम नेताओं की चुनाव में ड्यूटी लगा रखी थी. भाजपा किसी भी हालत में यह चुनाव नहीं हारना चाहती थी क्योंकि इसका एक बड़ा मैसेज पूरे देश भर में जाता.

इस चुनाव में कांग्रेस ने केदारनाथ यात्रा, दिल्ली में केदारनाथ धाम मंदिर का निर्माण, इसके अलावा केदारनाथ मंदिर में सोने चोरी होने जैसे मुद्दे को चुनाव में उठाया. इसके अलावा रोजगार और सड़क के मुद्दों को भी चुनाव में उठाया लेकिन वही इन सभी मुद्दों से इधर भाजपा ने अपना विकास का मुद्दा उठाया और जनता ने बीजेपी को 5622 वोटो से जिताया.

कैसे जीती भाजपा?

इसके अलावा केदारनाथ उपचुनाव में जहां एक और भाजपा संगठन एकजुट होकर चुनाव लड़ा वहीं कांग्रेस ने भलाई यह दिखाया कि उसके सभी नेता एकजुट होकर चुनाव लड़ रहे हैं. लेकिन रह रहकर नेताओं की गुटबाजी ने जरूर इस चुनाव में बीजेपी को बढ़त दी. इसके अलावा कांग्रेस नाराज वोटर को भी अपनी और नहीं खींच पाई यह सारा वोट निर्दलीय उम्मीदवार त्रिभुवन चौहान की तरफ गया. यही वजह है कि पहली बार चुनाव लड़ रहे त्रिभुवन चौहान ने 9311 मत हासिल किया, जो कहीं ना कहीं कांग्रेस की हार का सबसे बड़ा एक फैक्टर के रूप में सामने आया है.

कांग्रेस को जीत की थी उम्मीद

कांग्रेस को उम्मीद थी कि नाराज वोटर उनकी तरफ आकर्षित होकर वोट देंगे लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. वहीं 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में केदारनाथ विधानसभा के नतीजे की बात करें तो बीजेपी 30 हजार के करीब वोट लाई थी.  कांग्रेस भी 20 हजार मत लेकर आई थी. कांग्रेस को 10 हजार वोटो से हार मिली थी लेकिन 2024 के केदारनाथ उपचुनाव में कांग्रेस को 18192 वोटो से ही संतोष करना पड़ा. कांग्रेस लगभग 2000 वोट कम लाई तो बीजेपी 23814 वोट लेकर आई जो कि लोकसभा चुनावों  से लगभग 7000 वोट कम थे. कांग्रेस और भाजपा के वोट त्रिभुवन चौहान को पड़े अगर बीजेपी और कांग्रेस के वोट जोड़े जाए तो लगभग 9000 वोट दोनों पार्टियों को कम पड़े और यह सभी वोट त्रिभुवन चौहान अपने खाते में लाने में कामयाब हुए.

केदारनाथ  उपचुनाव की जीत पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यह विकास की जीत है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन की यह जीत है. वही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कांग्रेस पर निशाना चाहते हुए कहा कि कांग्रेस की जातिवाद क्षेत्रवाद की नीति को जनता ने नकारा है. आप जनता डबल इंजन की सरकार ही चाहती हैं.

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