Jharkhand Election Results: झारखंड विधानसभा चुनाव में जो रुझान सामने आ रहे हैं उससे यह स्पष्ट हो गया है कि बीजेपी को सबसे ज्यादा इसका नुकसान होने वाला है. 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने ऑल इंडिया झारखंड स्टूडेंट यूनियन (AIJSU) आजसू के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था और राज्य में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने में कामयाब हुई थी. लेकिन 2019 में विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी और आजसू के रास्ते अलग हो गए. आजसू 2014 में 5 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी. इस बार के चुनाव में उसने ज्यादा सीटों पर अपनी दावेदारी पेश कर दी जो बीजेपी को स्वीकार्य नहीं था. इसका असर ये हुआ कि दोनों दलों के रास्ते अलग हो गए.
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बीजेपी नरेंद्र मोदी और रघुबर दास को पोस्टर बनाकर चुनावी मैदान में उतरी. मुद्दे भी राष्ट्रीय उठाए गए. अभी तक जो रुझान सामने आ रहे हैं उससे यह साफ पता चल रहा है कि इन कदमों का पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. पार्टी अपनी पिछली सीटों को भी बचाने में कामयाब होती हुई नहीं दिख रही है. उधर आजसू को एक सीट का फायदा दिख रहा है. पिछले चुनाव में 5 सीटों पर आजसू की जीत हुई थी जबकि इस चुनाव में उसे 6 सीटों पर कामयाबी मिलती हुई दिख रही है.
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झारखंड के सामाजिक समीकरण को अगर देखा जाए तो आदिवासी मतदाताओं के बाद महतो मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है. भाजपा के पास महतो नेता का अभाव है, जबकि आजसू पार्टी में प्रमुख पदों पर महतो नेताओं का दबदबा रहा है. गठबंधन टूटने के बाद महतो मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग बीजेपी से दूर चला गया जिसका नुकसान भी बीजेपी को उठाना पड़ा. यह पहला विधानसभा चुनाव था जब बीजेपी बिना गठबंधन के चुनाव में उतरी थी, बिहार में बीजेपी की सहयोगी JDU के साथ भी उसका गठबंधन नहीं था जिसका कहीं न कहीं पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा, सुदेश महतो और नीतीश कुमार दोनों ही नेताओं का कुर्मी-महतो मतदाताओं पर अच्छी पकड़ मानी जाती है.
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