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This Article is From Jan 11, 2016

हिंसा प्रभावित कालियाचक जाने की BJP सांसदों को नहीं मिली अनुमति, TMC ने की आलोचना

हिंसा प्रभावित कालियाचक जाने की BJP सांसदों को नहीं मिली अनुमति, TMC ने की आलोचना
नई दिल्ली: जिला अधिकारियों ने हिंसा से प्रभावित कालियाचक जाने से आज भाजपा सांसदों की एक ‘तथ्य अन्वेषण टीम’ यानी फैक्ट फाइंडिंग टीम को रोक दिया और उन्हें रेलवे स्टेशन से वापस भेज दिया। इसके बाद विधानसभा चुनाव की तैयारी में लगे पश्चिम बंगाल में भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया।

सांसद भूपेन्द्र यादव, राम विलास वेदांती और राज्य से भाजपा के सांसद एसएस अहलूवालिया सुबह करीब छह बजे मालदा शहर के स्टेशन पर गौर एक्सप्रेस से पहुंचे। वहां पर पुलिस और जिला प्रशासन के अधिकारियों ने कालियाचक में निषेधाज्ञा लागू होने के कारण उन्हें वापस चले जाने को कहा।

यादव ने कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल सरकार की यह कार्रवाई निंदनीय है।’’ सांसदों को हावड़ा जाने वाली शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन से वापस जाने को बाध्य किया गया। भाजपा ने कहा है कि उसके नेता केन्द्रीय गृह मंत्री से मुलाकात कर हिंसा की जांच करने के लिए एक टीम गठित करने की मांग करेंगे और इस मुद्दे पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से भी मुलाकात की जाएगी।

तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा पर हमला करते हुए आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल में चुनाव के लिए 100 दिन से भी कम समय रह गया है। ऐसे में मतदाताओं के ध्रुवीकरण के लिए इसे सांप्रदायिक घटना बनाने का प्रयास किया जा रहा है और दावा किया कि भगवा पार्टी की हालत बिहार चुनाव से भी बुरी होगी।

भाजपा के एक नेता की एक कथित टिप्पणी को लेकर तीन दिसंबर को यहां से करीब 30 किलोमीटर दूर कालियाचक में हिंसा भड़क उठी थी। प्रदर्शनकारियों ने एक थाने में आग लगा दी थी और वाहनों को नुकसान पहुंचाया था। हालांकि, घटना के बाद से इस इलाके में भाजपा नेता नहीं जा पाए हैं। छह जनवरी को पश्चिम बंगाल से एकमात्र भाजपा विधायक शामिक भट्टाचार्य के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल को यहां से करीब 30 किलोमीटर दूर कालियाचक जाने की अनुमति नहीं दी गयी थी। भाजपा सांसद करीब तीन घंटे तक स्टेशन के वीआईपी लाउंज में रुके जहां उन्होंने वरिष्ठ जिला अधिकारियों के साथ मुद्दे को लेकर बातचीत की।

अहलूवालिया ने कहा, ‘‘यात्रा का उद्देश्य लोगों को सांत्वना देना था, उन्हें यह भरोसा दिलाना था कि भविष्य में ऐसा फिर नहीं होगा। राज्य सरकार के दबाव के कारण जिला प्रशासन ने कहा कि CRPC की धारा 144 लागू होने के कारण हम वहां नहीं जा सकते।’’ उन्होंने बताया, ‘‘हम वहां पर किसी को उकसाने या भड़काने के लिए नहीं जा रहे। हम कानून का पालन करने वाले नागरिक और वरिष्ठ सांसद हैं लेकिन अधिकारियों ने कहा कि क्योंकि हम सार्वजनिक हस्ती हैं, हमारी उपस्थिति समस्याएं खड़ी कर सकती है जो सामान्य स्थिति उन्होंने बहाल की है वह गड़बड़ा जाएगी।’’ तीनों नेताओं ने बताया कि वे यहां पर कालियाचक में उन परिस्थितियों को जानने के लिए आए थे जिसके कारण वहां हिंसा हुयी।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि इलाके में कोई सांप्रदायिक तनाव नहीं है और इस घटना को उन्होंने बीएसएफ और स्थानीय लोगों के बीच एक मुद्दे का नतीजा बताया था। इस घटना के बाद कालियाचक थाना से कई पुलिसकर्मियों का तबादला कर दिया गया था। जारी

तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा, ‘‘भाजपा का इस मामले को सांप्रदायिक रंग देने का एक बुरा और असंवदेनशील प्रयास है।’’ उन्होंने कहा कि यह एक ‘आपराधिक’ घटना है सांप्रदायिक घटना नहीं, जिससे ‘कुशलतापूर्वक’ निपटा गया है ताकि किसी का अहित न हो। मामले में 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि अप्रैल में होने वाले चुनावों को देखते हुए भाजपा अपने ‘सांप्रदायिक असंवेदनशील इतिहास’ के अनुसरण के तहत काम कर रही है और ‘सोशल मीडिया की अपनी सेना’ का इस्तेमाल कर मालदा आग को भड़काने का काम रही है।

तृणमूल नेता ने कहा, ‘‘स्थिति को सांप्रदायिक रंग देने के लिए जाने जाने वाला विपक्ष इस परिघटना को बदलने का प्रयास कर रहा है लेकिन जब अप्रैल में चुनाव का परिणाम सामने आएगा यह स्पष्ट हो जाएगा कि लोगों ने ममता बनर्जी सरकार के विकास के एजेंडा में विश्वास व्यक्त किया है।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने अधिकारियों के समक्ष सांप्रदायिक तनाव और पुलिस की भूमिका का मुद्दा उठाया था, अहलूवालिया ने कहा कि उन्हें बताया गया है कि जांच अभी चल रही है।

उन्होंने बताया, ‘‘हम अपनी रिपोर्ट पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को देंगे।’’ जाने से पहले सांसदों ने कहा कि कालियाचक में स्थिति ‘वास्तव में बुरी’ होगी। माकपा ने तृणमूल कांग्रेस और भाजपा दोनों पर आरोप लगाया है कि उन दोनों के संकीर्ण राजनीतिक हितों के कारण राज्य को भुगतना पड़ रहा है। माकपा नेता वृंदा करात ने आरोप लगाया है कि जहां तृणमूल कांग्रेस ने अल्पसंख्यक समुदाय के भीतर कुछ कट्टरपंथी तत्वों को ‘संरक्षण’ प्रदान कर रखा है वहीं भाजपा भावनाएं भड़काने का प्रयास कर रही है।

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