पणजी:
'बीमार' लालकृष्ण आडवाणी शनिवार को भी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में नहीं पहुंचे। अपने संपूर्ण राजनीतिक करियर में यह पहला मौका है जब आडवाणी इस तरह के बड़े आयोजन से दूर हैं। उनकी अनुपस्थिति से नरेंद्र मोदी के प्रत्याशी प्रधानमंत्री बनने की अभिलाषा पर काली छाया मंडराने लगी है।
85 वर्षीय नेता की गैरहाजिरी पर सफाई देने में पार्टी को कठिनाइयां पेश आ रही हैं। एक प्रवक्ता ने जोर देकर कहा कि 'सचमुच में स्वास्थ्य खराब है।'
आगामी लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी के प्रधानमंत्री प्रत्याशी के रूप में ताजपोशी की जोरदार मांग से समर्थित और आत्मविश्वास से लबरेज मोदी तीन दिनों तक चलने वाली बैठक में हिस्सा लेने गोवा पहुंचे, लेकिन लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में कई शीर्षस्थ नेताओं की बीमारी के कारण अब उन्हें रविवार तक अपने समर्थन की लहरों में झूलते रहना होगा।
दरअसल, आडवाणी की अनुपस्थिति और मोदी को स्वीकार करने में उनकी कथित आनाकानी ने पार्टी को लोकसभा चुनाव में मोदी को पार्टी का चेहरा बनाने का कदम उठाने से रोक रखा है।
पार्टी के अंदरूनी तत्वों का संकेत है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने मोदी के सामने एक समझौते का फार्मूला पेश किया है जिसके तहत उन्हें आम चुनावों की प्रचार अभियान समिति का संयोजक नियुक्त किया जा सकता है। बताया जा रहा है कि मोदी ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है।
जहां पार्टी के नेताओं ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है, सूत्रों का कहना है कि संसदीय बोर्ड के नेता शनिवार देर शाम या रात तक इस मुद्दे पर अनौपचारिक रूप से फैसला ले सकते हैं।
पार्टी की प्रवक्ता निर्मला सीतारमन ने पार्टी लाइन का अनुसरण करते हुए बताया कि बैठक के हर घटनाक्रम से आडवाणी को अवगत कराया जा रहा है।
सीतारमन ने कहा, "राजनाथजी ने आडवाणीजी से कल और आज बात की है। उन्हें यहां के हर घटनाक्रम की जानकारी दी जा रही है।"
उधर, गोवा के घटनाक्रम को लोकर शनिवार को नई दिल्ली स्थित आडवाणी के आवास के बाहर मोदी के कथित समर्थकों ने प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने मोदी को भाजपा का प्रधानमंत्री प्रत्याशी बनाए जाने की अनुमति देने की मांग की। सीतारमन ने आनन-फानन में प्रदर्शन की निंदा की। उन्होंने कहा, "पार्टी के कार्यकर्ता पार्टी नेताओं के खिलाफ प्रदर्शन नहीं करते। भाजपा का इस प्रदर्शन से कोई लेना-देना नहीं है।"
85 वर्षीय नेता की गैरहाजिरी पर सफाई देने में पार्टी को कठिनाइयां पेश आ रही हैं। एक प्रवक्ता ने जोर देकर कहा कि 'सचमुच में स्वास्थ्य खराब है।'
आगामी लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी के प्रधानमंत्री प्रत्याशी के रूप में ताजपोशी की जोरदार मांग से समर्थित और आत्मविश्वास से लबरेज मोदी तीन दिनों तक चलने वाली बैठक में हिस्सा लेने गोवा पहुंचे, लेकिन लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में कई शीर्षस्थ नेताओं की बीमारी के कारण अब उन्हें रविवार तक अपने समर्थन की लहरों में झूलते रहना होगा।
दरअसल, आडवाणी की अनुपस्थिति और मोदी को स्वीकार करने में उनकी कथित आनाकानी ने पार्टी को लोकसभा चुनाव में मोदी को पार्टी का चेहरा बनाने का कदम उठाने से रोक रखा है।
पार्टी के अंदरूनी तत्वों का संकेत है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने मोदी के सामने एक समझौते का फार्मूला पेश किया है जिसके तहत उन्हें आम चुनावों की प्रचार अभियान समिति का संयोजक नियुक्त किया जा सकता है। बताया जा रहा है कि मोदी ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है।
जहां पार्टी के नेताओं ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है, सूत्रों का कहना है कि संसदीय बोर्ड के नेता शनिवार देर शाम या रात तक इस मुद्दे पर अनौपचारिक रूप से फैसला ले सकते हैं।
पार्टी की प्रवक्ता निर्मला सीतारमन ने पार्टी लाइन का अनुसरण करते हुए बताया कि बैठक के हर घटनाक्रम से आडवाणी को अवगत कराया जा रहा है।
सीतारमन ने कहा, "राजनाथजी ने आडवाणीजी से कल और आज बात की है। उन्हें यहां के हर घटनाक्रम की जानकारी दी जा रही है।"
उधर, गोवा के घटनाक्रम को लोकर शनिवार को नई दिल्ली स्थित आडवाणी के आवास के बाहर मोदी के कथित समर्थकों ने प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने मोदी को भाजपा का प्रधानमंत्री प्रत्याशी बनाए जाने की अनुमति देने की मांग की। सीतारमन ने आनन-फानन में प्रदर्शन की निंदा की। उन्होंने कहा, "पार्टी के कार्यकर्ता पार्टी नेताओं के खिलाफ प्रदर्शन नहीं करते। भाजपा का इस प्रदर्शन से कोई लेना-देना नहीं है।"
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