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This Article is From Apr 15, 2016

गोवा की 'फेनी' की तर्ज पर 'नीरा' की बिक्री को प्रोत्साहित करेगी बिहार सरकार

गोवा की 'फेनी' की तर्ज पर 'नीरा' की बिक्री को प्रोत्साहित करेगी बिहार सरकार
गोवा की 'फेनी' की तर्ज पर बिहार में 'नीरा' के लिए योजना बनाई जा रही है। (प्रतीकात्मक फोटो)
पटना: बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बाद ताड़ी (ताड़ व खजूर के पेड़ का रस) की बिक्री पर भी रोक लगा दिए जाने के बाद सरकार विकल्प के तौर पर 'नीरा' की बिक्री को प्रोत्साहित देगी। नीरा को गोवा की 'फेनी' की तर्ज पर विकसित करने की योजना बनाई जा रही है। 'नीरा' ताड़ का रस ही है, लेकिन नशाविहीन !

जून में घोषित होने वाली उद्योग नीति में इस बारे में योजना संभव
बिहार के उद्योग मंत्री जयकुमार सिंह ने बताया, 'ताड़ी के कारोबार से जुड़े लोगों की आजीविका बंद न हो, इसलिए सरकार नीरा की प्रोसेसिंग, पैकेजिंग व मार्केटिंग की कार्य-योजना को लेकर गंभीर है। चालू वित्तीय वर्ष के अंत तक नीरा के कई रूप बाजार में आ सकते हैं। जून में घोषित होने वाली उद्योग नीति में सरकार यह योजना ला सकती है।' उन्होंने कहा कि बिहार सरकार 'फेनी' की तर्ज पर 'नीरा' की प्रोसेसिंग कर इसके विभिन्न नशाविहीन उत्पादों के निर्माण को प्रोत्साहन देगी। बिहार सरकार इसी तर्ज पर नीरा को संरक्षण देगी, लेकिन ताड़ के रस से नशीले उत्पादों का निर्माण नहीं होने देगी।

ताड़ के पेड़ से चार माह तक मिल सकता है 'नीरा'
गौरतलब है कि 'फेनी' गोवा का देसी पेय है, जो आम तौर पर काजू, सेब या नारियल के द्वारा बनाया जाता है। 'फेनी' को वहां की सरकार संरक्षण दे रही है। ताड़ के पेड़ से 'नीरा' चार महीने तक ही प्राप्त किया जा सकता है, लेकिन सरकार की योजना है कि प्रोसेसिंग कर इसे बाद में भी पेय पदार्थ के रूप में उपलब्ध कराए जाएं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी एक कह चुके हैं कि 'नीरा' को लेकर एक योजना बनाई गई है। इसके लिए एक कमेटी भी बना दी गई है। उन्होंने एक समारोह में बताया है कि तमिलनाडु में सबसे अधिक ताड़ का पेड़ है और इंडियन काउंसिल ऑफ रिसर्च की मदद से वहां के कृषि विश्वविद्यालय द्वारा पिछले 25 वर्षो से ताड़ के उत्पादों पर गहन अनुसंधान चल रहा है। वहां के वैज्ञानिकों से संपर्क किया गया है और पूरी जानकारी ली गई है।

ताड़ का एक अन्य उत्पाद 'खेदा' भी गुणकारी
ताड़ी से जुड़े एक कारोबारी बताते हैं कि सूर्य की किरण निकलने से पहले ताड़ के पेड़ का जो रस उतारा जाता है, उसे 'नीरा कहा जाता है। इसके अलावा, ताड़ का एक अन्य उत्पाद 'खेदा' भी गुणकारी पदार्थ है। उन्होंने कहा कि ताड़ के उत्पाद 'नीरा' की चार महीने के दौरान उपलब्धता के बाद बाकी अन्य आठ महीनों के दौरान ताड़ के अन्य उत्पादों का कई तरह से उपयोग किया जा सकता है।

सहायता समूह या सहकारिता समिति का गठन होगा
उद्योग मंत्री सिंह ने बताया कि ताड़ के रस के कारोबार से जुड़े लोगों का स्वयं सहायता समूह या सहकारिता समिति बनाई जाएगी तथा इन्हीं के माध्यम से नीरा का कलेक्शन और प्रोसेसिंग कराई जाएगी। नीरा के कारोबार को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार इसमें मदद करेगी। राज्य के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने कहा कि सरकार लोगों की बेहतरी के लिए काम कर रही है। ताड़ी के विकल्प 'नीरा' के लिए भी योजना बनाई जा रही है। सरकार का अनुमान है कि 'नीरा' के कारोबार को बढ़ावा देकर एक ताड़ के पेड़ से एक साल में 6000 रुपये से अधिक की आमदनी प्राप्त की जा सकती है, लेकिन ताड़ी से इतनी आमदनी संभव नहीं थी।

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)

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