तस्वीर : AFP
कोलकाता:
IVRCL ग्रुप - वह कंपनी जिस पर कोलकाता में दुर्घटनाग्रस्त हुए फ्लाईओवर की देखरेख का जिम्मा था। गुरुवार को इस फ्लाईओवर के गिरने से 26 लोगों की मौत हो गई और कंपनी ने इसे 'ईश्वर की मर्जी' बताकर और विवाद खड़ा कर दिया। हालांकि इस दुर्घटना की असल वजह को जानने के लिए जांच रिपोर्ट का इंतजार करना होगा। लेकिन IVRCL के बहीखातों पर नज़र डालें तो पता चलेगा कि यह कंपनी काफी वक्त से ही आर्थिक मुश्किलों से जूझ रही थी, काम ज्यादा फैला देना भी इसकी एक वजह बताई जा रही है।
2009 में जब हैदराबाद की इस कंपनी ने कोलकाता के इस फ्लाईओवर प्रोजेक्ट को हासिल किया था, उसी साल इसे भारत भर से 31 मूलभूत ढांचों के निर्माण का प्रोजेक्ट भी मिला था। इसमें बिहार के कोसी नहर निर्माण से लेकर चेन्नई के हाईवे विभाग के लिए सुनामी प्रभावित पुलों का पुनर्निर्माण भी शामिल है। एक तरफ काम बढ़ रहा था तो दूसरी तरफ कंपनी के बहीखातों में कर्ज का पहाड़ खड़ा होता जा रहा था। 2010 में यह रकम 1661 करोड़ थी जो बढ़कर 2015 में 4055 करोड़ हो गई।
फ्लाईओवर का काम मुश्किल
2015 में यह कंपनी 672 करोड़ के नुकसान पर चल रही थी। पिछले साल दिसंबर में IVRCL को कर्ज देने वाले बैंकों के एक समूह ने कंपनी की बाग डोर अपने हाथ में ले ली थी। अपनी वेबसाइट में कंपनी ने लिखा है कि 'कोलकाता फ्लाईओवर का काम काफी मुश्किल भरा है। इलाका काफी संकरा सा है जिसकी वजह से भारी उपकरणों को लाने ले-जाने में काफी दिक्कत होती है।' इन्हीं सब बातों से ऐसा प्रतीत होता है कि कंपनी जिन हालातों से गुज़र रही थी कहीं उसी की वजह से फ्लाईओवर बनने में इतनी देर तो नहीं हो रही थी।
कंपनी ने माना है कि छह साल में इस दो किलोमीटर लंबे फ्लाईओवर का सिर्फ 45 प्रतिशत हिस्सा ही बनकर तैयार हो पाया। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने फरवरी तक इस प्रोजेक्ट के पूरा हो जाने का आदेश दिया था जिसके बाद बिल्डर इस पुल का काम जल्दी निपटाने की कोशिश में लगे हुए थे। शुक्रवार को कंपनी के आठ अधिकारियों को कोलकाता और हैदराबाद से हिरासत में लिया गया है। साथ ही कोर्ट में कंपनी के खिलाफ दायर एक मुकदमे में इस मामले के सीबीआई जांच की अपील की गई है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कंपनी के रवैये को गैर जिम्मेदाराना बताते हुए कहा है कि 'कई लोगों की जानें गई हैं, कड़ी कार्यवाही की जाएगी।'
शनिवार को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी घटनास्थल पर पहुंचे और उन्होंने कहा कि वह किसी तरह का राजनीतिक बयान यहां नहीं देना चाहते। वहीं विपक्ष ने आरोप लगाया है कि फ्लाईओवर को बिना किसी योजना और नियम के बनाया जा रहा था जिसकी अनदेखी सरकार द्वारा भी की गई है। बीजेपी के नेता मुख़्तार अब्बास नक़वी ने कहा इस हादसे को धोखेबाज़ी का काम बताया है। सीपीएम के पूर्व नेता अशोक भट्टाचार्य का दावा है कि इस कंपनी को पहले ही कुछ केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा ब्लैकलिस्ट कर दिया गया था तो क्यों ममता बनर्जी ने IVRCL से काम जारी रखवाया।
2009 में जब हैदराबाद की इस कंपनी ने कोलकाता के इस फ्लाईओवर प्रोजेक्ट को हासिल किया था, उसी साल इसे भारत भर से 31 मूलभूत ढांचों के निर्माण का प्रोजेक्ट भी मिला था। इसमें बिहार के कोसी नहर निर्माण से लेकर चेन्नई के हाईवे विभाग के लिए सुनामी प्रभावित पुलों का पुनर्निर्माण भी शामिल है। एक तरफ काम बढ़ रहा था तो दूसरी तरफ कंपनी के बहीखातों में कर्ज का पहाड़ खड़ा होता जा रहा था। 2010 में यह रकम 1661 करोड़ थी जो बढ़कर 2015 में 4055 करोड़ हो गई।
फ्लाईओवर का काम मुश्किल
2015 में यह कंपनी 672 करोड़ के नुकसान पर चल रही थी। पिछले साल दिसंबर में IVRCL को कर्ज देने वाले बैंकों के एक समूह ने कंपनी की बाग डोर अपने हाथ में ले ली थी। अपनी वेबसाइट में कंपनी ने लिखा है कि 'कोलकाता फ्लाईओवर का काम काफी मुश्किल भरा है। इलाका काफी संकरा सा है जिसकी वजह से भारी उपकरणों को लाने ले-जाने में काफी दिक्कत होती है।' इन्हीं सब बातों से ऐसा प्रतीत होता है कि कंपनी जिन हालातों से गुज़र रही थी कहीं उसी की वजह से फ्लाईओवर बनने में इतनी देर तो नहीं हो रही थी।
कंपनी ने माना है कि छह साल में इस दो किलोमीटर लंबे फ्लाईओवर का सिर्फ 45 प्रतिशत हिस्सा ही बनकर तैयार हो पाया। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने फरवरी तक इस प्रोजेक्ट के पूरा हो जाने का आदेश दिया था जिसके बाद बिल्डर इस पुल का काम जल्दी निपटाने की कोशिश में लगे हुए थे। शुक्रवार को कंपनी के आठ अधिकारियों को कोलकाता और हैदराबाद से हिरासत में लिया गया है। साथ ही कोर्ट में कंपनी के खिलाफ दायर एक मुकदमे में इस मामले के सीबीआई जांच की अपील की गई है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कंपनी के रवैये को गैर जिम्मेदाराना बताते हुए कहा है कि 'कई लोगों की जानें गई हैं, कड़ी कार्यवाही की जाएगी।'
शनिवार को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी घटनास्थल पर पहुंचे और उन्होंने कहा कि वह किसी तरह का राजनीतिक बयान यहां नहीं देना चाहते। वहीं विपक्ष ने आरोप लगाया है कि फ्लाईओवर को बिना किसी योजना और नियम के बनाया जा रहा था जिसकी अनदेखी सरकार द्वारा भी की गई है। बीजेपी के नेता मुख़्तार अब्बास नक़वी ने कहा इस हादसे को धोखेबाज़ी का काम बताया है। सीपीएम के पूर्व नेता अशोक भट्टाचार्य का दावा है कि इस कंपनी को पहले ही कुछ केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा ब्लैकलिस्ट कर दिया गया था तो क्यों ममता बनर्जी ने IVRCL से काम जारी रखवाया।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं