फाइल फोटो
नई दिल्ली:
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में मंगलवार को हड़ताल की वजह से बैंकिंग सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं. सरकार के एकीकरण के कदम और कुछ अन्य मांगों के समर्थन में यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) के तत्वावधान में सभी बैंक यूनियनों ने 22 अगस्त को हड़ताल का आह्वान किया है. हालांकि, निजी क्षेत्र के आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक, एक्सिस और कोटक महिंद्रा बैंक में कामकाज सामान्य रहने की संभावना है. इन बैंकों में चेक समाशोधन में देरी हो सकती है.
यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) नौ यूनियनों का प्रमुख निकाय है. इसके तहत आल इंडिया बैंक आफिसर्स कनफेडरेशन (एआईबीओसी), आल इंडिया बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन (एआईबीईए) और नेशनल आर्गेनाइजेशन आफ बैंक वर्कर्स (एनओबीडब्ल्यू) आती हैं.
पढ़ें: रिज़र्व बैंक ला रहा है 50 रुपये का नया नोट, पहले जारी सभी 50 के नोट भी चलते रहेंगे
एआईबीओसी के महासचिव डी टी फ्रैंको ने कहा, ''मुख्य श्रम आयुक्त के साथ सुलह सफाई बैठक विफल रही है. अब यूनियनों के पास हड़ताल पर जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. सरकार और बैंकों के प्रबंधन की ओर से कोई आश्वासन नहीं मिला है.'' उन्होंने कहा कि यूनियनों की मांगों पर समाधान के सभी प्रयास विफल हो गए हैं. ऐसे में अब यूएफबीयू ने 22 अगस्त को हड़ताल पर जाने का फैसला किया है.
पढ़ें: जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वालों पर सार्वजनिक बैंकों का 92000 करोड़ रुपये बकाया
एआईबीईए के महासचिव सी एच वेंकटचलम ने कहा, ''हमारी मांगों में गैर निष्पादित आस्तियों को बट्टा खाते में नहीं डालना, जानबूझकर कर न चुकाने को आपराधिक अपराध घोषित करना और एनपीए की वसूली के लिए संसदीय समिति की सिफारिशों को लागू करना शामिल है.'' उन्होंने यह भी कहा कि बैंकों को कारपोरेट एनपीए का बोझ शुल्क बढ़ाकर ग्राहकों पर नहीं डालना चाहिए. वेंकटचलम ने कहा कि सरकार को बैंक बोर्ड ब्यूरो को समाप्त करना चाहिए.
VIDEO: बैंकों ने सस्ता किया लोन
यूएफबीयू का दावा है कि उसके सदस्यों की संख्या 10 लाख है. बैंकिंग क्षेत्र के कुल कारोबार का 75 प्रतिशत 21 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के हिस्से आता है.
इनपुट: भाषा
यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) नौ यूनियनों का प्रमुख निकाय है. इसके तहत आल इंडिया बैंक आफिसर्स कनफेडरेशन (एआईबीओसी), आल इंडिया बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन (एआईबीईए) और नेशनल आर्गेनाइजेशन आफ बैंक वर्कर्स (एनओबीडब्ल्यू) आती हैं.
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एआईबीओसी के महासचिव डी टी फ्रैंको ने कहा, ''मुख्य श्रम आयुक्त के साथ सुलह सफाई बैठक विफल रही है. अब यूनियनों के पास हड़ताल पर जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. सरकार और बैंकों के प्रबंधन की ओर से कोई आश्वासन नहीं मिला है.'' उन्होंने कहा कि यूनियनों की मांगों पर समाधान के सभी प्रयास विफल हो गए हैं. ऐसे में अब यूएफबीयू ने 22 अगस्त को हड़ताल पर जाने का फैसला किया है.
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एआईबीईए के महासचिव सी एच वेंकटचलम ने कहा, ''हमारी मांगों में गैर निष्पादित आस्तियों को बट्टा खाते में नहीं डालना, जानबूझकर कर न चुकाने को आपराधिक अपराध घोषित करना और एनपीए की वसूली के लिए संसदीय समिति की सिफारिशों को लागू करना शामिल है.'' उन्होंने यह भी कहा कि बैंकों को कारपोरेट एनपीए का बोझ शुल्क बढ़ाकर ग्राहकों पर नहीं डालना चाहिए. वेंकटचलम ने कहा कि सरकार को बैंक बोर्ड ब्यूरो को समाप्त करना चाहिए.
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यूएफबीयू का दावा है कि उसके सदस्यों की संख्या 10 लाख है. बैंकिंग क्षेत्र के कुल कारोबार का 75 प्रतिशत 21 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के हिस्से आता है.
इनपुट: भाषा
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