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सिर्फ 6 दिन बचे! यमन में फांसी के फंदे तक कैसे पहुंची केरल की निमिषा- क्या सरकार बचा पाएगी?

Indian nurse Nimisha Priya on death row in Yemen: यमन में हत्या के मामले में दोषी ठहराई गई भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को 16 जुलाई को फांसी दी जानी है जिसे रोकने के लिए भारत पुरजोर प्रयास कर रहा है.

सिर्फ 6 दिन बचे! यमन में फांसी के फंदे तक कैसे पहुंची केरल की निमिषा- क्या सरकार बचा पाएगी?
Indian nurse Nimisha Priya on death row in Yemen: यमन में निमिषा को 16 जुलाई को फांसी दी जानी है
  • केरल की नर्स निमिषा प्रिया को यमन में हत्या के मामले में दोषी ठहराकर 16 जुलाई को फांसी देने की सजा सुनाई गई है.
  • निमिषा ने यमन में क्लिनिक खोला था, लेकिन पार्टनर तलाल मेहदी के साथ विवाद और उत्पीड़न के कारण मुश्किलें बढ़ीं.
  • भारत सरकार और सांसद मामले में सक्रिय हैं, विदेश मंत्री को पत्र लिखकर फांसी रोकने और बचाव के लिए हस्तक्षेप की मांग की गई है.
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Indian nurse Nimisha Priya on death row in Yemen: केरल का एक परिवार अभी गहरी निराशा में डुबा हुआ है. एक ऑटोरिक्शा चालक अपनी पत्नी की जान की भीख मांग रहा है, एक 12 साल की बेटी अपनी मां को लौटा देने की फरियाद कर रही है. दरअसल यमन में हत्या के मामले में दोषी ठहराई गई भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को 16 जुलाई को फांसी दी जानी है जिसे रोकने के लिए भारत पुरजोर प्रयास कर रहा है. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सांसद जॉन ब्रिटास ने भी विदेश मंत्री एस जयशंकर को पत्र लिखकर उनसे यमन में शीर्ष स्तर के अधिकारियों के साथ संपर्क कर निमिषा प्रिया की फांसी को तुरंत रोकने का आग्रह किया है.

एक क्लिनिक खोलने के सपने ने खोला फांसी का रास्ता

मूल रूप से केरल के पलक्कड़ जिले के कोल्लेनगोडे की रहने वाली निमिषा प्रिया अपने दिहाड़ी कमाने वाले माता-पिता को सपोर्ट करने के लिए अपने पति और बेटी के साथ 2008 में यमन चली गई. लेकिन पति और बेटी वित्तीय कारणों से 2014 में भारत लौट आए. उसी वर्ष, यमन गृहयुद्ध की चपेट में आ गया और वे वापस नहीं जा सके क्योंकि देश ने नए वीजा जारी करना बंद कर दिया था. निमिषा ने अलग-अलग अस्पतालों में काम करने के बाद उसने पार्टनरशिप में अपना क्लिनिक खोलना चाहा.

2015 में, निमिषा ने सना में अपना क्लिनिक स्थापित करने के लिए एक यमनी नागरिक, तलाल अब्दो मेहदी से हाथ मिलाया. निमिषा को मेहदी की मदद मांगनी पड़ी क्योंकि, यमन के कानून के तहत, केवल यमन के नागरिकों को क्लीनिक और व्यावसायिक फर्म स्थापित करने की अनुमति है. 2015 में, मेहदी निमिषा के साथ केरल आया. उस समय निमिषा एक महीने की छुट्टी पर भारत आई थी. यात्रा के दौरान, उसने निमिषा की एक शादी की तस्वीर चुरा ली, जिसे बाद में उसने यह दावा करने के लिए एडिट कि निमिषा ने उससे शादी की थी.

निमिषा की मां प्रिया द्वारा दायर याचिका में कहा गया था, "कुछ समय बाद, निमिषा का क्लिनिक शुरू हुआ, लेकिन मेहदी ने क्लिनिक के स्वामित्व वाले कागजातों में हेरफेर किया. उसने सभी को यह बताकर मासिक कमाई से पैसे निकालना शुरू कर दिया कि निमिषा उसकी पत्नी है. निमिषा ने आरोप लगाया था कि मेहदी उसे और उसके परिवार को सालों से परेशान कर रहा था. मेहदी ने उसका पासपोर्ट भी अपने पास रख लिया और यह सुनिश्चित किया कि वह यमन नहीं छोड़ेगी. उसने ड्रग्स के प्रभाव में उसे प्रताड़ित किया. उसने कई बार बंदूक की नोक पर उसे धमकी दी. उसने क्लिनिक से सारे पैसे और उसके गहनों को ले लिया."

मां कि याचिका में आगे आरोप लगाया गया कि यातना से निपटने में असमर्थ निमिषा ने सना में पुलिस से शिकायत की लेकिन पुलिस ने मेहदी के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय उसे ही गिरफ्तार कर लिया और छह दिनों के लिए जेल में डाल दिया. आगे आरोप लगाया गया कि जेल से लौटने पर यातना कई गुना बढ़ गई. जुलाई 2017 में, निमिषा ने अपने क्लिनिक के पास स्थित एक जेल के वार्डन की मदद ली. वार्डन ने सुझाव दिया कि उसे मेहदी को बेहोशी की दवा दे दे और फिर उसे अपना पासपोर्ट देने के लिए मनाना चाहिए.

हालांकि, ड्रग्स लेने वाले महदी पर बेहोश करने की दवा का कोई असर नहीं हुआ. उसने अपना पासपोर्ट वापस पाने के लिए हाई डोज देकर उसे फिर से बेहोश करने की कोशिश की, लेकिन दवा की अधिक मात्रा के कारण कुछ ही मिनटों में उसकी मृत्यु हो गई.

गिरफ्तारी और फिर फांसी की सजा का ऐलान

निमिषा प्रिया को यमन छोड़ने की कोशिश करते समय गिरफ्तार किया गया था और 2018 में हत्या का दोषी ठहराया गया था. 2020 में सना की एक ट्रायल कोर्ट ने उसे मौत की सजा सुनाई. 

इसके बाद नवंबर 2023 में यमन की सर्वोच्च न्यायिक परिषद (सुप्रीम कोर्ट की तरह) ने फैसले को बरकरार रखा. हालांकि साथ ही न्यायिक परिषद ने ब्लड मनि का विकल्प भी खुला रखा. ब्लड मनी का मतलब उस आर्थिक मुआवजे से है, जो दोषी की तरफ से पीड़ित परिवार को दिया जाता है. 38 साल की निमिषा वर्तमान में यमनी राजधानी सना की एक जेल में बंद है, जो ईरान समर्थित हूती के नियंत्रण में है.

इस मामले ने पूरे भारत का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है. विदेशों में भारतीय नागरिकों के भाग्य पर चिंता जताई गई. वहीं परिवार ने निमिषा को मौत की सजा से बचाने के लिए अपने प्रयास जारी रखें.

निमिषा प्रिया की मां, प्रेमा कुमारी (57 साल), उसे फांसी से बचाने के लिए अथक अभियान चला रही हैं. उन्होंने पीड़ित परिवार को ब्लड मनी के भुगतान के लिए बातचीत करने के लिए सना की यात्रा भी की है. लेकिन कोई सफलता नहीं मिली. पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार भारतीय पक्ष ने ब्लड मनि का भुगतान करके निमिषा की रिहाई सुनिश्चित करने का विकल्प भी खोजा था. लेकिन ऐसा पता चला है कि इसमें कुछ समस्याएं भी आईं.

क्या अब भी जान बचाई जा सकती है?

वहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी निमिषा को बचाने के लिए केंद्र को राजनयिक माध्यमों का इस्तेमाल करने का निर्देश देने का अनुरोध करने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जता दी है. अधिवक्ता सुभाष चंद्रन के.आर. ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि मामले में जल्द से जल्द राजनयिक माध्यमों की संभावनाएं तलाशी जानी चाहिए. इस पर जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जे. बागची ने मामला 14 जुलाई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया.

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास ने विदेश मंत्री एस जयशंकर को पत्र लिखकर निमिषा प्रिया को बचाने के लिए तत्काल हस्तक्षेप का आग्रह किया है. केरल के दिवंगत मुख्यमंत्री ओमन चांडी के बेटे और कांग्रेस विधायक चांडी ओमन ने भी बुधवार को केरल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर से मुलाकात कर निमिषा प्रिया के मामले में तत्काल हस्तक्षेप की मांग की.

सांसद जॉन ब्रिटास ने विदेश मंत्री को लिखे अपने लेटर में बताया कि ‘सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल' ने पहले ही ब्लड मनि के हिस्से के रूप में 40,000 डॉलर सौंप दिए हैं, लेकिन उसे यह अपडेट नहीं मिला है कि और कितने पैसे देने पड़ेंगे या निमिषा कैसे भारत आ पाएगी. उन्होंने कहा कि इस देरी से प्रिया को अपनी जान गंवानी पड़ सकती है.

8 जुलाई को छपी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार सरकारी सूत्रों ने बताया है कि वे निमिषा प्रिया मामले पर बारीकी से नजर रख रहे हैं. सूत्रों के अनुसार, " निमिषा प्रिया को जून 2018 में यमन में हत्या के अपराध के लिए दोषी ठहराया गया था और स्थानीय अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुनाई थी. हम तब से मामले पर बारीकी से नजर रख रहे हैं. हम स्थानीय अधिकारियों और उनके परिवार के सदस्यों के साथ नियमित संपर्क में हैं और हर संभव सहायता दे रहे है. हम मामले पर बारीकी से नजर रखना जारी रखेंगे."

इससे पहले, विदेश मंत्रालय ने निमिषा प्रिया को दी गई मौत की सजा के बारे में जानकारी मिलने की पुष्टि की थी और आश्वासन दिया कि सरकार हर संभव सहायता प्रदान कर रही है.

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